
यह भजनमार्ग के प्रवचन का सार प्रस्तुत करता है जिसमें परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्रीहित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने आज के युवा वर्ग में शराब सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति, उसके कारण और परिणामों पर गंभीर चर्चा की है। इस लेख में इस प्रवचन के विचारों का विस्तार और रसपूर्ण विवेचन किया गया है, साथ ही समाधानों की दिशा भी दिखाई गई है।youtube
वर्तमान सामाजिक परिदृश्य
आज के समय में भारतीय समाज में तेजी से बदलाव आ रहा है। विदेशी संस्कृति, अत्याधुनिक तकनीक, और सोशल मीडिया के प्रचार-प्रसार से युवा वर्ग पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्कूल व कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियां तक शराब सेवन जैसी हानिकारक प्रवृत्तियों में संलग्न हो रही हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि कई बार उन्हें इतनी अधिक शराब पी जाती है कि उन्हें उठाकर ले जाना पड़ता है। यह एक गंभीर सामाजिक समस्या बनती जा रही है।youtube
कुसंग और गलत आदतें
महाराज जी ने प्रवचन में बताया कि कुसंग और गलत संगति ही इन बुराइयों की जड़ है। बच्चों के पास मोबाइल है और वे देश-विदेश की हर व्यवहार, चाहे अच्छा हो या बुरा, सोशल मीडिया के जरिये देख सकते हैं। यह सीधे-साधे बच्चों में विदेशी संस्कृति की बुरी आदतों को अपनाने की प्रवृत्ति उत्पन्न करती है। वे अपने देश की श्रेष्ठ परंपराओं को छोड़कर ऐसी आदतें अपनाते जा रहे हैं जो उनके भावी जीवन को बर्बाद कर सकती हैं।youtube
माता-पिता और पर्यावरण की भूमिका
माता-पिता की भूमिका भी इस प्रवृत्ति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि माता-पिता स्वयं शराब पीते हैं या कोई गलत आचरण करते हैं, तो उनके बच्चे भी उसी राह पर बढ़ जाते हैं। परिवार में धार्मिक वातावरण, अच्छे संस्कार और अनुशासन बहुत जरूरी हैं। महाराज जी मानते हैं कि अगर माता-पिता स्वयं धर्म-मार्ग पर चलें तो बच्चों में गलत आदतें पनप ही नहीं सकतीं। बच्चों को अनुशासित और धार्मिक जीवन शैली सिखाने की जिम्मेदारी परिवार, विद्यालय और समाज की है।youtube
आधुनिकता के भ्रम और नैतिकता
आज के समय में लोग आधुनिकता की आड़ में पाश्चात्य जीवन शैली को अपनाते जा रहे हैं। शराब पीने वालों के समूह में अगर कोई बच्चा इन आदतों से दूर रहता है, तो उसे ‘बैकवर्ड’ अर्थात् पिछड़ा कहा जाता है। लेकिन महाराज जी स्पष्ट करते हैं कि वास्तव में वही बच्चा आगे है जो इन बुरी प्रवृत्तियों से दूर रहता है। समाज में नैतिकता, भय और अनुशासन का पुनर्स्थापन जरूरी है। आचरण और संस्कार की शक्ति ही व्यक्ति को सही दिशा में ले जाती है।youtube
मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्यगत परिणाम
शराब के सेवन से बच्चों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि शराब से उत्पन्न नशा केवल व्यक्ति की सोच ही नहीं बदलता, बल्कि उसके भीतर वासना (काम) और अहंकार जैसे शत्रु भी जागृत होते हैं। महाराज जी कहते हैं कि शराब पीने वाला व्यक्ति दिव्यता से गिरता है। यह उसके शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को नष्ट कर देता है।youtube
धार्मिक मार्ग और समाधान
भजन मार्ग, धर्म और सत्संग जीवन का वास्तविक समाधान है। महाराज जी बार-बार बच्चों को अच्छे आचरण, नामजप, और धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। वे बताते हैं कि समस्त समस्याओं का समाधान धर्म में है। बच्चों को कभी भी बुरी आदतों में आगे नहीं बढ़ना चाहिए, बल्कि स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए पीछे रहना ही श्रेष्ठ है। किसी की कुप्रेरणा में आकर कभी गलत आदतों को अपनाना नहीं चाहिए।youtube
सामाजिक जागरूकता
समाज को चाहिए कि वह बच्चों के बीच जागरूकता फैलाए कि शराब सेवन किस प्रकार विनाशकारी है। स्कूल, कॉलेज, धर्मस्थल और परिवार में बच्चियों और बच्चों को बताना चाहिए कि आधुनिकता का सही अर्थ चरित्र, नैतिकता और धार्मिकता है। समाज में अगर भय, अनुशासन और सही मार्गदर्शन हो, तो बच्चों का मार्गदर्शन संभव है।youtube
शराब और महिलाओं की स्थिति
प्रवचन में विशेष रूप से यह बात आई कि विद्यालयों में लड़कियां शराब पीने लगी हैं। इसके पीछे कई सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक कारण हैं। कहीं न कहीं, आधुनिकता, प्रतियोगिता तथा दिखावे की प्रवृत्ति इसे बढ़ा रही है। महाराज जी स्पष्ट करते हैं कि जो महिलाएं इन कुरीतियों से बची हुई हैं, उन्हें ‘बैकवर्ड’ कहना समाज की सोच को दिखाता है। वास्तव में, यही महिलाएं समाज का वास्तविक निर्माण करती हैं।youtube
शिक्षा प्रणाली की चुनौतियाँ
शिक्षा प्रणाली में भी आज चुनौतियाँ हैं। विद्यालयों में अच्छी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, योग, ध्यान, और सत्संग को भी अनिवार्य करना चाहिए। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का पाठ भी पढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षा और संस्कार का जो संगम है वही मानव जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है।youtube
मोबाइल और तकनीक का दुरुपयोग
आज के बच्चे हर तरह की जानकारी मोबाइल से प्राप्त कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी का गलत प्रयोग उनमें प्रलोभन, आकर्षण और बुरी आदतें डाल रहा है। परिवार और समाज का दायित्व है कि सही गाइडलाइन दें, ताकि बच्चे तकनीक का सकारात्मक उपयोग करें।youtube
व्यक्तिगत अनुभव और प्रेरणा
महाराज जी ने उदाहरण देकर बताया कि जब खुद बच्चों को गलत संगति मिलती है, वे जल्द ही आदतों में गिरावट देखने लगते हैं। सोच बदलें, अपने जीवन का लक्ष्य तय करें। जीवन में सफल बनने के लिए अच्छे आचरण, साज-संभाल, और धर्म का मार्ग अपनाएं। गलत संगत से बचें, और भय, अनुशासन के साथ आगे बढ़ें।youtube
समाधान की दिशा
- परिवार में धार्मिक माहौल बनाएं, केवल संस्कार ही बच्चों को बचा सकते हैं।
- माता-पिता स्वयं अनुशासित रहें, बच्चों को अच्छा आदर्श दें।
- विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को अनिवार्य बनाएं।
- बच्चों के सगे-संबंधियों और मित्रों को सही चयन के लिए प्रेरित करें।
- समाज में जागरूकता अभियान चलाएं।
- तकनीक का सकारात्मक प्रयोग सिखाएं।
- सत्संग, भजन, नामजप, ध्यान का अभ्यास प्रेरित करें।
- बच्चों से लगातार संवाद बनाए रखें, उनकी समस्याओं को समझें।
भजन मार्ग का आचरण
भजन मार्ग अर्थात् दिव्य जीवन शैली को अपनाने से समस्त बुराइयों से सुरक्षा संभव है। दृढ़ संकल्प, गायन, सत्संग और आध्यात्मिक साधना व्यक्ति को सशक्त बनाती है। बच्चों को जितना धर्म से जोड़ा जाएगा, उतना ही वे बुरी आदतों से दूर रहेंगे।youtube
निष्कर्ष
समाज, परिवार और शिक्षा प्रणाली को मिलकर बच्चों के चरित्र निर्माण हेतु कार्य करना चाहिए। शराब जैसी बुरी आदतें केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। सही सोच, सही ज्ञान और धर्म का मार्ग ही जीवन को सफल और दिव्य बना सकता है। जो व्यक्ति पीछे रहकर बुरी आदतों से बचता है, वही आगे बढ़ने का अधिकारी है।youtube
प्रेरणादायक संदेश
महाराज जी का प्रवचन बच्चों, अभिभावकों और समाज को एक नई दिशा देता है कि बाहरी दिखावे, आधुनिकता और गलत आदतों से दूर रहकर, सच्चे मार्ग पर चलें। भजन, धर्म, और संस्कार की शक्ति से मानव जीवन को दिव्यता प्राप्त होती है। यही असली आधुनिकता है—मूल्य आधारित जीवन, जिसमें सच्चाई, प्रेम, करुणा, अनुशासन और धर्म हो।youtube
नोट: यह लेख भजन मार्ग प्रवचन से लिया गया है, जिसमें महाराज जी द्वारा उल्लेखित विचारों, समाधान और मार्गदर्शन को विस्तारशीलता दी गई है। इसमें समाज, परिवार, शिक्षा और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा तथा मार्गदर्शन समाहित है।youtube