प्रस्तावना
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) भारत में एक महत्वपूर्ण सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को लंबे समय तक निवेश करने और रिटायरमेंट के बाद स्थायी आय उपलब्ध कराने का है। हालांकि, अब तक यह योजना एक “सेविंग्स टूल” रही है – यानी बचत जमा करने का माध्यम। लेकिन हाल ही में पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने जो नए निकासी नियम प्रस्तावित किए हैं, वे इसे असली “पेंशन प्रणाली” में बदलने की क्षमता रखते हैं।
इस लेख में हम सरल शब्दों में जानेंगे कि यह नया प्रस्ताव क्या है, इसमें दिए गए दो प्रमुख स्कीम कैसे काम करती हैं, और यह भारत के रिटायर लोगों के लिए क्यों एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
पृष्ठभूमि
पिछले दो दशकों में NPS ने भारत में लाखों लोगों को रिटायरमेंट के लिए बचत करने की आदत डाली है। लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद यह योजना स्पष्टता नहीं देती थी — लोग यह नहीं समझ पाते थे कि उन्हें हर महीने कितनी पेंशन मिलेगी, वह कितने साल चलेगी, और क्या उनकी आय महंगाई के अनुसार बढ़ेगी या नहीं।
PFRDA के नये परामर्श पत्र (consultation paper) में पहली बार यह फोकस सिर्फ कितनी बचत हो पर नहीं, बल्कि बचत से मिलने वाली स्थिर आय कैसे बने इस पर है।
नया प्रस्ताव – तीन स्कीमों का ढांचा
PFRDA ने तीन संभावित पेंशन निकासी स्कीमें पेश की हैं। इनमें से पहली दो स्कीमें, जो तुरंत लागू की जा सकती हैं, ने विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि ये भारतीय स्थितियों के अनुरूप और व्यावहारिक हैं।
स्कीम 1 – सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) + एन्युइटी
- रिटायरमेंट की उम्र अर्थात 60 साल पर व्यक्ति अपने फंड का 4.5% हर साल निकालना शुरू करेगा।
- अगले 10 वर्षों तक हर साल निकासी दर 0.25% बढ़ाई जाएगी।
- 70 साल की उम्र में यह व्यक्ति एक लाइफटाइम एन्युइटी (आजीवन पेंशन अनुबंध) में प्रवेश करेगा।
- यह स्कीम मानती है कि निवेश 35% इक्विटी (शेयर बाज़ार) और बाकी सुरक्षित साधनों में रहेगा।
इस प्लान की ख़ासियत यह है कि शुरुआती वर्षों में पैसे पर लचीलापन और नियंत्रण बना रहता है, और बाद में निश्चित पेंशन का लाभ मिलता है।
इस स्कीम की व्यवहारिकता
विश्लेषण में पाया गया कि 60 वर्ष के व्यक्ति को 70 की उम्र में लगभग 3% से 6% तक की एन्युइटी यील्ड मिल जाए तो उसकी पेंशन स्थिर रह सकती है। भारत के वर्तमान बाज़ार रेट्स में यह आसानी से संभव है।
अगर व्यक्ति 70 साल पर एन्युइटी नहीं खरीदता और खुद निकासी जारी रखता है, तो भी 90 वर्ष की उम्र में उसकी कुल संपत्ति शुरुआती पूंजी से लगभग 15 गुना तक बढ़ सकती है – यह इक्विटी निवेश के बल का प्रमाण है।
स्कीम 2 – महंगाई-लिंक्ड पेंशन योजना
यह स्कीम और एक कदम आगे जाती है। इसमें रिटायरमेंट कॉर्पस को दो पूलों में बांटा जाता है:
- पूल 1: सुरक्षित निवेश, जो बेसिक पेंशन देगा।
- पूल 2: इक्विटी और डेट में निवेश, जिससे हर साल महंगाई के अनुसार पेंशन में वृद्धि होगी।
इस तरह व्यक्ति को दो लाभ मिलते हैं –
- स्थिर निश्चित आय
- मुद्रास्फीति से सुरक्षा (inflation protection)
सिमुलेशन परिणाम
25 वर्षों के भारतीय शेयर, बॉन्ड और महंगाई के आंकड़ों पर आधारित परीक्षणों में पता चला कि इस स्कीम का “फेल्योर रेट” 1% से भी कम है – यानी अधिकांश रिटायर लोगों का पैसा 85 वर्ष की उम्र से पहले खत्म नहीं होगा।
निकासी दर लगभग 3.5% रखी गई है, जो भारत के स्थायी वित्तीय ढांचे के अनुरूप और यथार्थवादी मानी जाती है।
दोनों स्कीमों की तुलना
| पहलू | स्कीम 1 (SWP + Annuity) | स्कीम 2 (Inflation-linked) |
|---|---|---|
| प्रारंभिक निकासी | 4.5%, हर साल +0.25% | 3.5% औसतन |
| निवेश संरचना | 35% इक्विटी, बाकी बॉन्ड | पूल 1 सुरक्षित, पूल 2 इक्विटी-विकासशील |
| 70 वर्ष के बाद | एन्युइटी में बदलना | 25 वर्ष तक पेंशन समायोजन |
| महंगाई सुरक्षा | सीमित | पूर्ण या आंशिक |
| विफलता संभावना | मध्यम (अन्य कारकों पर निर्भर) | बहुत कम (<1%) |
| बड़ी कमी | एन्युइटी स्थिर रहती है, महंगाई नहीं झेल पाती | 85+ आयु वालों के लिए पेंशन समाप्ति की संभावना |
सीमाएं और चुनौतियाँ
- स्कीम 1 में 70 वर्ष के बाद एन्युइटी दर स्थिर रहती है, जिससे खरीद शक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।
- स्कीम 2 की 25 साल की फिक्स अवधि उन लोगों के लिए पर्याप्त नहीं जो 85 वर्ष से आगे जीवित रहते हैं।
- दोनों स्कीमें कुछ अनुभवजन्य (empirical) डेटा पर निर्भर हैं, इसलिए शुरुआती वर्षों में लगातार परीक्षण की ज़रूरत होगी।
फिर भी, ये खामियाँ मूल ढांचे की कमजोरियाँ नहीं, बल्कि सुधार योग्य बिंदु हैं।
भारत के संदर्भ में महत्व
भारत में अब तक रिटायरमेंट की चर्चा मुख्यतः “कितनी बचत करें” पर केंद्रित रही है। पर इन नए NPS नियमों ने ध्यान “बचत को पेंशन में बदलने” की दिशा में मोड़ा है। यह बदलाव भारत को भविष्य में एक वास्तविक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की ओर ले जाने की क्षमता रखता है।
विशेषज्ञों की राय
वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव भारत जैसे उभरते देश के लिए सबसे व्यवहारिक मॉडल साबित हो सकता है। कारण यह हैं:
- इसमें घरेलू निवेश का उपयोग होता है, विदेशी निर्भरता नहीं।
- निकासी दर महंगाई और बाज़ार की उतार-चढ़ाव के अनुकूल तय की गई है।
- यह व्यक्तियों को समय के साथ स्वावलंबन और वित्तीय स्थिरता देता है।
एक संभावित भविष्य
अगर PFRDA की सलाह स्वीकार कर ली जाती है और इन्हें लागू किया जाता है, तो NPS का रूप पूरी तरह बदल सकता है—यह सिर्फ कर-छूट या बचत योजना नहीं रहेगा, बल्कि एक पेंशन सुरक्षा प्रणाली बनेगा जो लाखों परिवारों को वृद्धावस्था की चिंता से मुक्त करेगा।
निष्कर्ष
- नई NPS निकासी नीतियाँ सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं हैं, बल्कि भारत के पेंशन ढांचे में सोचने का तरीका बदलने वाली पहल हैं।
- स्कीम 1 से लोगों को लचीलापन और व्यक्तिगत नियंत्रण मिलता है।
- स्कीम 2 उन्हें स्थिर आय और महंगाई से सुरक्षा देती है।
- दोनों मिलकर NPS को एक आधुनिक, टिकाऊ और भरोसेमंद पेंशन प्लेटफ़ॉर्म बना सकती हैं।
सरल शब्दों में –
यह योजना आपके रिटायरमेंट को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि बढ़ती महंगाई से बचाव का कवच भी प्रदान करेगी।







