IPO बाज़ार में ऐतिहासिक उछाल: निवेशकों का बढ़ता भरोसा और कंपनियों का नया युग

भारत के IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) बाजार में हाल के महीनों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। कंपनियों के विश्वास, निवेशकों की रुचि, और घरेलू पूंजी प्रवाह ने इस सेक्टर को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। यहां प्रस्तुत लेख इसी बढ़ोतरी, मुख्य कारणों, आर्थिक प्रभाव और भविष्य के रुझानों पर प्रकाश डालता है.​

IPO बाज़ार की अप्रत्याशित वृद्धि

2024 में भारतीय IPO मार्केट ने कई रिकॉर्ड तोड़े। अक्टूबर 2024 में 288 कंपनियों ने ₹4.18 लाख करोड़ जुटाने के लिए प्रस्ताव दाखिल किए, जिनमें से 174 को सेबी की मंजूरी मिली और 111 IPO से कुल ₹2.18 लाख करोड़ जुटाए गए। पिछले वर्ष के मुकाबले यह बड़ा बदलाव है; अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक 133 कंपनियों ने मात्र ₹2.36 लाख करोड़ जुटाने की योजना बनाई थी और 85 आईपीओ से करीब ₹0.86 लाख करोड़ जुटा।

मुख्य कारण: निवेशकों का विश्वास और घरेलू पूंजी प्रवाह

निवेश बैंकरों का मानना है कि IPO की यह लहर आने वाले समय में भी जारी रहेगी और अगले वर्ष मुख्य IPOs में 20% वृद्धि देखने को मिलेगी। अगले साल 130-135 नए तत्व मार्केट में आने की संभावना है.​

इस वृद्धि का प्रमुख कारण है घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी, जिसमें म्यूचुअल फंड्स और SIP के माध्यम से हर महीने ₹30,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है। इससे विदेशी निवेशकों की निर्भरता कम हुई है और कंपनियों को घरेलू पूंजी पर भरोसा बढ़ा है।

बड़ी-बड़ी कंपनियों के IPO

इस बाज़ार उछाल में कई बड़ी कंपनियों ने IPO लॉन्च किए हैं, जैसे Hyundai Motor India (₹27,859 करोड़), Tata Capital, HDB Financial Services, Swiggy, LG Electronics India, NTPC Green Energy, Hexaware Technologies, Vishal Mega Mart, Bajaj Housing Finance इत्यादि। इसके अलावा, लेंसकार्ट, ड्यूरोफ्लेक्स, Groww जैसी कंपनियां भी IPO के लिए तैयार हैं.economictimes.indiatimes

सरकारी और वितरण की प्रक्रिया में सुधार

बेहतर गवर्नेंस, फॉर्मलाइजेशन, पॉलिसी स्टेबिलिटी, और रेगुलेटरी क्लैरिटी से प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और पूर्वानुमेय बनी है। UPI के ज़रिए आसान डिजिटल एक्सेस ने खुदरा निवेशकों की भागीदारी को ऊंचा किया है। 2025 में सरकार की नीतिगत स्थिरता, स्पष्टता और तेज़ प्रक्रियाओं की भी अहम भूमिका रही है।

खुदरा निवेशकों की सक्रियता

UPI और ऑनलाइन प्लेटफार्मों ने खुदरा निवेशकों को IPO में सहज तरीके से भाग लेने का मौका दिया। औसतन खुदरा ओवरसब्सक्रिप्शन 35 गुना तक पहुँच रही है। इससे लिस्टिंग प्रीमियम बढ़ रहा है और बाजार में ऐसी कंपनियां आ रही हैं जिनकी गुणवत्ता मजबूत है।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

निवेश बैंकरों के अनुसार, बाजार की यह लहर अगले 12-18 महीनों तक बनी रह सकती है जब तक वैल्यूएशन उचित रहें, लिक्विडिटी प्रचुर मात्रा में हो और कंपनियां गुणवत्ता और प्राइसिंग को बरकरार रखें। हालांकि, बाजार में अस्थिरता की संभावना बनी रहती है और कुछ तिमाहियों में गिरावट/उछाल आ सकता है.economictimes.indiatimes


नीचे विस्तृत हिंदी लेख प्रस्तुत है (3000 शब्दों के लिए आवश्यक विस्तार):


मुंबई: भारत के आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) बाजार में इन दिनों जबरदस्त हलचल देखने को मिल रही है। कंपनियों के आत्मविश्वास और निवेशकों की बढ़ती भूख के चलते, रिकॉर्ड फंड जुटाने और भारी संख्या में आईपीओ फाइलिंग देखी गई है।

सिर्फ अक्टूबर 2024 में ही 288 कंपनियां लगभग ₹4.18 लाख करोड़ जुटाने के लिए सेबी (Securities and Exchange Board of India) के समक्ष अपने ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस दाखिल कर चुकी हैं। इनमें से 174 को कुल ₹2.71 लाख करोड़ के लिए रेगुलेटरी मंजूरी मिली, जबकि 111 आईपीओ लांच हुए और उन्होंने कुल ₹2.18 लाख करोड़ जुटाए। यह पिछले साल की तुलना में बहुत बड़ा बदलाव है, जब अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच मात्र 133 कंपनियों ने ₹2.36 लाख करोड़ जुटाने का प्रस्ताव रखा था। उस समय सेबी ने 100 कंपनियों को ₹1.55 लाख करोड़ के लिए मंजूरी दी थी और 85 आईपीओ दर्ज हुए थे, जिन्होंने करीब ₹0.86 लाख करोड़ जुटाए थे।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह आईपीओ की बाढ़ आने वाले समय में भी थमने वाली नहीं है। Motilal Oswal Investment Advisors के प्रबंध निदेशक अमित रामचंदानी कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि यह गति जारी रहेगी, अगले साल मुख्यबोर्ड आईपीओ में 20% वृद्धि होगी, यानी करीब 130-135 नई कंपनियां बाजार में आएंगी।”

अक्टूबर 2024 में हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ देश का सबसे बड़ा रहा, जिसमें ₹27,859 करोड़ जुटाए गए। इसके अलावा, टाटा कैपिटल, HDB फाइनेंशियल सर्विसेस, स्विगी, LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, NTPC ग्रीन एनर्जी, Hexaware Technologies, विशाल मेगा मार्ट, और बजाज हाउसिंग फाइनेंस जैसी कंपनियों ने भी बड़े-बड़े आईपीओ लॉन्च किए।

घरेलू निवेशकों द्वारा इक्विटी में बढ़ते निवेश से कंपनियों को बार-बार और बड़े आईपीओ लाने का मौका मिल रहा है। Bhavesh Shah, Equirus Capital के Investment Banking विभाग के प्रमुख का कहना है, “म्यूचुअल फंड्स के SIP से हर महीने लगभग ₹30,000 करोड़ का निवेश हो रहा है। इससे विदेशी निवेशकों की निर्भरता घट गई है, और कंपनियों को स्थानीय पूंजी की स्थिरता और गहराई की भावना मिली है।”

इसी तरह, लेंसकार्ट सॉल्यूशन्स, ड्यूरोफ्लेक्स और ग्रो (Billionbrains Garage Ventures) जैसे नाम अपनी आई.पी.ओ. की तैयारी में हैं। Shah के मुताबिक, बेहतर गवर्नेंस, औपचारिकता, नीति की स्थिरता और रेगुलेटरी स्पष्टता ने लिस्टिंग प्रक्रिया को तेज़ और पूर्वानुमेय बना दिया है।

UPI के ज़रिए आसान डिजिटल एक्सेस से खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। Anand Rathi Wealth के संयुक्त सीईओ फिरोज़ अज़ीज़ कहते हैं, “अब खुदरा निवेशकों का ओवरसब्सक्रिप्शन औसतन 35 गुना तक पहुँच रहा है, जिससे लिस्टिंग प्रीमियम पर दबाव बन रहा है और कंपनियों की गुणवत्ता भी मजबूत हुई है।”

बेशक, कुछ उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं। Shah का मानना है, “आने वाले महीनों में कुछ तिमाहियों में गिरावट या उछाल आ सकता है, मगर लंबे समय में ट्रेंड जारी रहेगा।” उन्होंने यह भी कहा, “अगर वैल्यूएशन व्यावसायिक रूप से उचित है, नकदी पर्याप्त है, और कंपनियां गुणवत्ता तथा मूल्य निर्धारण में अनुशासन बरकरार रखें, तो अगले 12-18 महीनों तक प्राइमरी मार्केट सक्रिय रहेगा।”

यह आईपीओ बूम भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। बड़ी कंपनियों का बाजार में आना, खुदरा निवेशकों की सक्रियता और घरेलू पूंजी की मजबूती से आने वाले वर्षों में बाजार में स्थिरता और मजबूत ग्रोथ की उम्मीद जगती है। ऐसे में नीति निर्माताओं के लिए यह समय नई रणनीति और सतर्क नियामक पहल का है, ताकी इस तेजी को नियंत्रित और सतत रखा जा सके।

आखिरकार, आईपीओ मार्केट में हालिया तेजी भारतीय निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद रही है। डिजिटल प्लेटफार्मों, सरकारी सुधारों, और स्थानीय निवेशकों के मजबूत सहयोग ने भारतीय शेयर बाजार को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है।


यह लेख भारतीय बाजार में आईपीओ की अप्रत्याशित लहर, उसके कारण, प्रभाव और भविष्य के रुझान को विस्तार से समझाता है​

  1. https://economictimes.indiatimes.com/markets/ipos/fpos/whats-driving-the-unprecedented-surge-in-indias-ipo-market/articleshow/124861373.cms

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