पैसों की कमी की वजह से रिश्वत लेली जिससे मन और परिवार में अशांति हो गई है! Hindi-English
इस लेख में Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj के प्रवचन का शब्दशः हिंदी ट्रांसक्रिप्ट, विस्तार से व्याख्या, FAQ और उदाहरण दिए गए हैं, जिसमें पैसों की कमी के कारण रिश्वत लेने से उत्पन्न अशांति और उसके समाधान पर संत का मार्गदर्शन मिलता है।
SPRITUALITY


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1. महाराज जी की बातें
प्रश्न-
श्री हरिवंश महाराज जी महाराज जी, इन्होंने एक डिपार्टमेंट का नाम लिखा है। कह रहे हैं कि मैं 2 वर्ष से आपको सुन रहा हूं। महाराज जी कह रहे हैं कि मतलब हमने रिश्वत नहीं लेने का एक संकल्प लिया था। बट अभी पैसों की कमी हुई तो हमने रिश्वत ले ली महाराज जी और जहां हूं वहां यह सब एक आम बात है महाराज जी। अभी जब से लेना शुरू किया या लिया है तब से पूजा पाठ और परिवार में मतलब ठीक नहीं हो रहा महाराज जी मेरा मार्गदर्शन करें।
महाराज जी का उत्तर-
हम सबसे कहते हैं कि जो घूस है जो बेईमानी का धन है, जो अधर्म का धन है यह लेने में अच्छा लगता है लेकिन हृदय और परिवार दोनों पर ये फर्क पड़ जाएगा। हृदय अशांत हो जाएगा देखो आप कह रहे हो, पूजा पाठ में, मन और परिवार के बच्चों पर परिवार के सदस्यों पर प्रतिकूल ऐसा प्रभाव पड़ेगा कलह अशांति और ज्यादा अपवित्र धन आ गया तो अपंगता ऐसे बहुत से घटनाएं हो जाएंगी जिनमें पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा।
₹100 कमाओ लेकिन धर्म पूर्वक कमा के लाओ। उस ₹100 से परिवार का पोषण करोगे तो सबकी बुद्धि शुद्ध रहेगी। सब प्रसन्न रहेंगे। सब स्वस्थ रहेंगे। एक लाख कमा के लाओगे अस्वस्थ हो जाएंगे। बुद्धि खराब हो जाएगी। इसलिए हमें तो लगता है कि घूस नहीं लेनी चाहिए।
हमें जो जहां आप जिस डिपार्टमेंट में भी हो आपका वेतन तो निश्चित है ना। आप अपने वेतन से क्यों नहीं अपने परिवार का पोषण करते? वेतन से अधिक हमें जरूरत नहीं। मोटरसाइकिल से नहीं चल पाओगे तो साइकिल से तो चल लोगे ना। उससे शरीर स्वस्थ रहेगा और हराम की मोटरसाइकिल लोगे तो एक्सीडेंट हो जाएगा। चलने लायक नहीं रहोगे।
समझो यह अधर्म का पैसा हमको कहीं ना कहीं जाकर के ऐसा भिड़ा देता है जहां हम दुखी हो जाते हैं। ईमानदारी का पैसा वो भले साइकिल से चलो, भले दाल रोटी खाओ, भले साधारण कपड़े पहनो, सुख से रहोगे, शांति से रहोगे।
'आजकल सब चलता है' तो सब नष्ट भी तो हो रहे हैं। उन बातों को देखो ना। बेईमानी से करोड़ों की कार खरीदने में अच्छा लगा, रोब (घमंड) हुआ और जब उसका एक्सीडेंट हुआ, पिस गए और धर्म से साइकिल से चल रहे हो आराम से पूरा जीवन बीती तो वो अच्छा कि बेईमानी से वो करके नष्ट हो जाओ वो अच्छा.
महाराज जी के परिकर
दूसरों को देखते हैं तो लगता है कि इसका तो घर है, चार गाड़ियां हैं हमारी भी जिंदगी ऐसी हो.
महाराज जी
हम धर्म से चलते हैं चाहे हमको जैसी भी परिस्थिति हो हम दूसरों से होड़ नहीं मिलाएंगे, तो दूसरों को नष्ट होते हुए भी तो देखते हो ना तो उधर बुद्धि क्यों नहीं लगाते दूसरों जो जो नष्ट हो रहे हैं उन पर भी बुद्धि लगाइए ना कितने यह दुर्घटनाएं भी तो अपने दिमाग में लाओ कि अधर्म का फल दुर्घटना है विपत्ति है दुख है वो कभी भी हमारे ऊपर आ सकता है. हमें एक कदम पर विश्वास नहीं क्या घटना घटने वाली है, आप आराम से पैदल चले जा रहे हो वो ठोक दिया आकर के बैलेंस बिगड़ा उसका वो आके वो आपको ठोक दिया आकर.
तो हम धर्म से चले सुरक्षित रहें, भगवान का नाम जप करें दूसरों को कभी दुख ना दें तो हमें दुख नहीं मिलेगा। अब हमें तो बिल्कुल इसमें अच्छा नहीं लगता कि आप घूस लेकर के अपना जीवन व्यतीत करें। मेहनत की कमाई धर्म की कमाई और सरकारी डिपार्टमेंट में एक वेतन निश्चित होता है। तो उस वेतन से अपना परिवार चलाएं। बेईमानी से जो बेईमानी में गया वो नष्ट हो गया। आज नहीं तो कल इधर से (अभी कानून के द्वारा) नष्ट नहीं होगे तो भागवतिक विधान लागू हो जाएगा। वो नष्ट कर देगा। तुम खुद अशांत हो जाओगे। तुम खुद परेशान हो जाओगे, परिवार परेशान हो जाएगा। वो आपको चैन से नहीं रहने देगा। जो धन है ना इतनी लालसा बढ़ जाएगी कि अधर्म करने में भी आपको संकोच नहीं होगी। इसलिए बेईमानी का धन तो ऐसे डरो जैसे जहर से डरा जाता है कि जहर भोजन में मिल गया तो मार डालेगा। इसलिए बेईमानी का धन नहीं भाई।
महाराज जी के परिकर
सहजता से दे रहा है कोई।
महाराज जी का उत्तर
सहजता से कौन देता है? सब अंदर से पीड़ित होकर के देते हैं। सहजता से कोई घूस देता है। सहजता से वह तुम्हें केवल बातें बनाने के लिए कह सकते हो कि भाई उसने प्रसन्नता से दिया है, प्रसन्नता से कोई घूस देता है। काम बनाने के लिए कैसे भी कैसे भी हमारा काम बनना चाहिए। वो अशांत होकर के देता है।
पापी पुरुष अधर्मी पुरुष वो हर्षित होकर जरूर दे सकता है। क्योंकि 50 करोड़ मार रहा है बेईमानी से तो वो बेईमानी का धन जब तुम्हारे पास जाएगा तो तुम्हारी बुद्धि को फेल कर देगा। तुम्हारे परिवार को फेल कर देगा। हमारी बातें आज मान लो, नहीं कल दुखी होगे और परिणाम खुद देख लोगे। अरे यार चैन से लड़के बच्चे परिवार सुखी हो। नमक रोटी खाते हो। साधारण कपड़ा पहनते हो। साइकिल से चलते हो। बढ़िया है। बढ़िया जीवन है। वह बेईमानी का जीवन Mercedes वाला अच्छा नहीं जो ठोके पूरा परिवार नष्ट हो जाए। हमारी बातों को समझने की कोशिश करो। तो जहां तक हो सके हम प्रार्थना करेंगे कि आप घूस ना ले.
2. विस्तार से व्याख्या (Explanation in Hindi)
महाराज जी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में बताया कि बेईमानी या रिश्वत से कमाया गया धन भले ही बाहर से आकर्षक लगे, लेकिन वह अंततः मन, परिवार और जीवन में अशांति, कलह और दुख का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कमाया गया थोड़ा धन भी परिवार के लिए शांति, स्वास्थ्य और सुख का कारण बनता है।
महाराज जी ने उदाहरण देकर समझाया कि अगर आप साइकिल से चलते हैं, साधारण कपड़े पहनते हैं, दाल-रोटी खाते हैं, लेकिन वह धन धर्मपूर्वक कमाया गया है, तो उसमें सच्चा सुख और शांति है। वहीं, बेईमानी से कमाया गया धन चाहे आपको महंगी गाड़ी, बड़ा घर दिला दे, लेकिन वह धन आपके जीवन में अशांति, दुर्घटना, विपत्ति और दुख लाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि रिश्वत लेने वाला और देने वाला दोनों ही अंदर से पीड़ित होते हैं। कोई भी सहजता से रिश्वत नहीं देता, बल्कि मजबूरी या दुख के साथ देता है। ऐसे धन को महाराज जी ने जहर के समान बताया, जो जीवन को नष्ट कर देता है।
महाराज जी ने सलाह दी कि सरकारी नौकरी में वेतन निश्चित होता है, उसी से परिवार का पालन करें। जरूरत से ज्यादा की लालसा न रखें। दूसरों की दिखावे की जिंदगी देखकर अपने धर्म और ईमानदारी से समझौता न करें।
उन्होंने यह भी कहा कि बेईमानी का धन बुद्धि और परिवार दोनों को नष्ट कर देता है। आज नहीं तो कल, उसका दुष्परिणाम जरूर सामने आता है। इसलिए, मेहनत और धर्म से कमाया गया धन ही सच्चा सुख और शांति देता है।
3. English Explanation
Maharaj Ji clearly states that money earned through dishonesty or bribery may seem attractive on the surface, but it ultimately brings unrest, conflict, and sorrow to the mind, family, and life. He emphasizes that even a small amount earned honestly brings true peace, health, and happiness to the family.
He gives examples: if you ride a bicycle, wear simple clothes, and eat basic food, but the money is earned righteously, there is real happiness and peace in it. On the other hand, money earned through dishonesty may buy you luxury cars and big houses, but it brings unrest, accidents, misfortune, and sorrow into your life.
Maharaj Ji also says that both the giver and taker of bribes are internally troubled. No one gives a bribe happily; it is always given with pain or compulsion. Such money is like poison, destroying life.
He advises that in a government job, the salary is fixed—run your family with that. Do not crave more than you need. Do not compromise your honesty by seeing others' showy lifestyles.
He further explains that dishonest money destroys both intellect and family. Sooner or later, its bad consequences will appear. Only money earned through hard work and righteousness brings true happiness and peace.
4. FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1: क्या पैसों की कमी के कारण रिश्वत लेना सही है?
A: महाराज जी के अनुसार, पैसों की कमी के बावजूद रिश्वत लेना गलत है। इससे मन, परिवार और जीवन में अशांति आती है।
Q2: बेईमानी से कमाए धन का क्या प्रभाव होता है?
A: बेईमानी से कमाया गया धन मन, बुद्धि, परिवार और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। यह धन अंततः दुख, विपत्ति और अशांति लाता है।
Q3: ईमानदारी से कमाए धन में क्या विशेषता है?
A: ईमानदारी से कमाया गया धन भले ही कम हो, लेकिन उसमें शांति, स्वास्थ्य और सच्चा सुख मिलता है।
Q4: रिश्वत देने और लेने वाले दोनों पर क्या असर होता है?
A: दोनों ही अंदर से पीड़ित होते हैं। कोई भी खुशी से रिश्वत नहीं देता, मजबूरी में देता है, और लेने वाला भी अंततः अशांत रहता है।
Q5: क्या दूसरों की दिखावे की जिंदगी देखकर हमें भी वैसा करना चाहिए?
A: नहीं, महाराज जी के अनुसार, दूसरों की दिखावे की जिंदगी देखकर अपने धर्म और ईमानदारी से समझौता नहीं करना चाहिए।
5. उदाहरण (Example)
मान लीजिए, एक सरकारी कर्मचारी है, जिसकी सैलरी सीमित है। परिवार की जरूरतें बढ़ने पर वह रिश्वत लेना शुरू कर देता है। शुरू में उसे लगता है कि अब सब ठीक हो जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे घर में कलह, बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत, स्वास्थ्य में गिरावट, और पूजा-पाठ में मन न लगना शुरू हो जाता है।
दूसरी ओर, वही कर्मचारी अगर ईमानदारी से कमाए धन में संतुष्ट रहता, तो भले ही साधारण जीवन जीता, लेकिन परिवार में शांति, स्वास्थ्य और सुख बना रहता।
महाराज जी के अनुसार, बेईमानी का धन जहर के समान है, जो धीरे-धीरे जीवन को नष्ट कर देता है। इसलिए, हमेशा धर्म और ईमानदारी से कमाए धन से ही जीवन यापन करना चाहिए।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
महाराज जी का संदेश स्पष्ट है—धर्म और ईमानदारी से कमाया गया धन ही सच्चा सुख, शांति और समृद्धि देता है। बेईमानी या रिश्वत से कमाया गया धन भले ही तात्कालिक लाभ दे, लेकिन वह अंततः जीवन में अशांति, दुख और विनाश लाता है।
इसलिए, जीवन में कभी भी बेईमानी का रास्ता न अपनाएं, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। ईमानदारी, संतोष और धर्म का मार्ग ही सच्चा मार्ग है।
7. English Article (Summary)
Bribery and Inner Turmoil: Sant's Guidance
Maharaj Ji, in his discourse, addresses a person troubled by unrest in his mind and family after accepting bribes due to financial constraints. Maharaj Ji explains that money earned through dishonesty, even if it seems beneficial at first, brings only unrest, conflict, and sorrow.
He emphasizes that honest earnings, however small, bring true peace, health, and happiness. He gives relatable examples: living simply with honest money is far better than living luxuriously with dishonest money, which brings misfortune and sorrow.
Maharaj Ji points out that both the giver and taker of bribes are internally troubled; no one gives a bribe happily. Such money is like poison, destroying peace and intellect.
He advises to live within one's means, not to crave more than necessary, and not to compromise honesty by comparing oneself to others' showy lifestyles. Dishonest money eventually destroys both intellect and family.
The only path to true happiness and peace is through hard work and righteousness.
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