
Asian Paints की Q1 FY2026 (29 जुलाई 2025) कॉन्फ्रेंस कॉल में कंपनी ने कुछ खास चुनौतियाँ और बाजार की दिक्कतें शेयर की थीं, जिन्हें हिंदी में संक्षिप्त रूप में नीचे बताया गया है।
Asian Paints की हालिया चुनौतियाँ (हिंदी में):
- कमजोर मांग और मौसमी असर:
पिछली तीन-चार तिमाहियों में मार्केट की कुल मांग कमजोर रही। इस तिमाही में शुरुआती बारिश (early monsoons) की वजह से पेंट के डिमांड पर दबाव आया, खासकर बाहरी पेंटिंग सेगमेंट में असर दिखा। - डीलर्स और रीटेलर्स का दबाव:
कंपनी का डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क हालाँकि बढ़ रहा है, लेकिन कई जगहों पर रीटेलर्स की बिक्री धीमी रही और कंज्यूमर की तरफ से डाउनट्रेडिंग (महंगे प्रोडक्ट से सस्ते की तरफ झुकाव) देखने को मिला, खासतौर पर लग्ज़री सेगमेंट में। - कॉम्पटीशन और रियायती प्रेशर:
बाज़ार में पुराने और नए दोनों तरह के पेंट ब्रांड्स की कॉम्पटीशन तेज हो गई है। नए ब्रांड्स द्वारा “10% एक्स्ट्रा” जैसे ऑफर दिए जा रहे हैं, जिसका असर डीलर और कस्टमर के बिहेवियर पर दिख रहा है। इससे कंपनी को सेल्स प्रोमोशन और मार्केटिंग खर्च बढ़ाने पड़े। - रॉ मटेरियल लागत और एंटी-डंपिंग ड्यूटी:
कच्चे माल (जैसे TiO2) की कीमतों में उतार-चढ़ाव और चीन से आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगने से लागत में बढ़ोतरी की आशंका है, जिससे भविष्य में प्राइसिंग और मार्जिन पर दबाव रह सकता है। - होम डेकोर बिजनेस में स्लोडाउन:
कंपनी के होम डेकोर और बाथ/किचन सेगमेंट की ग्रोथ पिछली कुछ तिमाहियों से स्लो रही, इसमें कस्टमर की discretionary (वैकल्पिक) खर्च करने की कमी मुख्य वजह है। - बाजार में रीजनल विविधता:
दक्षिण भारत (South India) के बाज़ार में डिमांड अपेक्षाकृत कमजोर रही, जबकि पश्चिम और पूर्वी भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर थी। - ग्रॉस मार्जिन पर दबाव:
भले ही रॉ मटेरियल्स में थोड़ी राहत दिखी, लेकिन प्रोडक्ट मिक्स और प्राइसिंग प्रेशर के कारण मार्जिन में हल्का दबाव आया।
इन सब चुनौतियों के बावजूद, कंपनी ने सुधारात्मक कदम उठाने की बात कही—जैसे इनोवेशन, रीजनलाइजेशन, कलेक्शन सुधार, नई वैल्यू-फॉर-मनी सीरीज़ और सप्लाई चेन पर बेहतर नियंत्रण पर फोकस किया जा रहा है।Asian Paints की Q1 FY2026 (जुलाई 2025) की कॉन्फ्रेंस कॉल में कंपनी ने कई चुनौतियों का उल्लेख किया है।
मुख्य चुनौतियाँ (हिंदी में):
- मांग कमजोर रही, विशेषकर पिछली कुछ तिमाहियों से—इस तिमाही में शुरुआती मानसून के कारण डिमांड और भी प्रभावित हुई।
- बाजार में कॉम्पटीशन बढ़ा है, जिसमें नए और पुराने दोनों तरह के खिलाड़ी आक्रामक तरीके से छूट/ऑफर दे रहे हैं, जिससे बिक्री और मार्जिन दोनों पर दबाव है।
- कच्चे माल (खासकर TiO2) पर चीन से आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी के कारण लागत बढ़ रही है, जिससे भावी तिमाहियों में मार्जिन पर असर हो सकता है।
- होम डेकोर सेगमेंट और बाथ व किचन कारोबार में सुस्ती जारी रही, इसमें ग्राहकों के वैकल्पिक खर्च (discretionary spending) की कमजोरी का बड़ा हाथ रहा।
- दक्षिण भारत में मांग अपेक्षाकृत कमजोर रही, जबकि पश्चिम व पूर्वी भारत में अपेक्षाकृत स्थिति बेहतर रही।
इन सभी चुनौतियों का कंपनी प्रबंधन ने विस्तार से उल्लेख कर ईनोवेशन व रीजनलाइजेशन जैसे उपायों को तेज करने का भरोसा जताया है।