

सत्संग, नाम-स्मरण, भक्ति-भाव और सेवा से। रोज़ थोड़ा समय ध्यान और जप के लिए रखें। मन को शुद्ध रखकर प्रेम से प्रभु को पुकारें, वे अवश्य मिलेंगे।
समझें कि गाली हमें नहीं, उनके अपने क्रोध और अज्ञान को दर्शाती है। सहनशीलता और धैर्य से चुप रहना ही सबसे बड़ी विजय है।
अभ्यास (साधना) और संयम से। भोजन, बोल, दृष्टि, और समय का सही प्रयोग करें। सत्संग और ध्यान से इन्द्रियों को नियंत्रित किया जा सकता है।
सात्विक संगति, सात्विक आहार और सतत आत्म-चिंतन से। व्यर्थ की उत्तेजक सामग्री से दूर रहें और मन को सदैव उच्च विचारों में लगाएँ।
अपने कौशल को निखारें, नई चीज़ें सीखें, ईमानदारी और परिश्रम से काम करें। डिजिटल साधनों और व्यवसायिक अवसरों का सदुपयोग करें।
गीता के उपदेश, सत्संग, ध्यान और प्रभु-भक्ति से। धीरे-धीरे मन को साधें, आत्म-ज्ञान प्राप्त करें और अहंकार त्यागें।