कई किशोर अपने घर से भाग जाते हैं और कभी-कभी घर का पैसा भी लेकर दोस्तों के साथ भागते हैं, जिससे परिवार को गहरा आघात पहुंचता है। इस तरह की घटनाएँ क्यों घटती हैं, बच्चे ऐसा सोचना कैसे शुरू करते हैं, माता-पिता को क्या करना चाहिए ताकि बच्चा ऐसा न सोचे और एक्सपर्ट्स का क्या मानना है—इन विषयों पर विस्तार से चर्चा नीचे दी जा रही है। साथ ही, बच्चा भागने पर तत्काल क्या कदम उठाएं, इसका भी मार्गदर्शन मिलेगा।
भूमिका : समस्या कितनी गंभीर है
आधुनिक समाज में किशोरों द्वारा घर से भागने की घटनाएं बढ़ गई हैं। कई बार ये किशोर घर का पैसा या कीमती सामान भी साथ ले जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और बाल मनोवैज्ञानिक इसे गंभीर सामाजिक चुनौती मानते हैं ।
किशोर ऐसा क्यों करते हैं? (कारण)
- घर में संवाद की कमी या भावनात्मक दूरी
- शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक शोषण तथा उपेक्षा
- अत्यधिक दबाव, डांट, अनुशासन, या निषेधात्मक माहौल (ऑथोरिटेरियन पैरेंटिंग)
- पारिवारिक कलह, माता-पिता का झगड़ा अथवा तलाक
- नशे की लत या गलत संगत का असर
- स्कूल का तनाव, बुलीइंग, रिजल्ट का दबाव
- व्यक्तिगत असफलता, डर, अपराध-बोध या शर्मिंदगी
- सहपाठियों का प्रभाव (पियर प्रेशर) व स्वतंत्रता की इच्छा
- घर से लगाव की कमी या अलग-थलग महसूस करना
अधिकांश मामलों में, किशोर खुद को असहाय या शक्तिहीन महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में घर छोड़ना उन्हें एकमात्र रास्ता दिखता है ।
बच्चा पैसे चुरा कर क्यों भागता है?
- आवश्यकता (पैसा चाहिए दोस्तों के साथ या कहीं जाने के लिए)
- घर में पैसे और संसाधन संभालने के मौके का अभाव
- नकारात्मक भावनाएँ जैसे ईर्ष्या या हीन भावना
- पैसा चोरी कर एक अस्थायी ‘आज़ादी’ या ‘स्वतंत्रता’ का अनुभव करना
- गलत संगत या गिरोह (गैंग) का दबाव
- चिंता, भागने की जल्दी में अपनाया गया रास्ता
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, समाचारों और बाकी घटनाओं से प्रेरणा लेना या समान घटनाओं के बारे में सुनना भी किशोरों को ऐसी जेबकतरी या चोरी के लिए प्रेरित कर सकता है ।youtube+1
बच्चे ऐसा क्यों सोच पाते हैं? (मनोवैज्ञानिक दृष्टि)
- किशोरावस्था में दिमाग में हार्मोन्स के बदलाव, रिस्क लेने की प्रवृत्ति अधिक होती है
- स्वतंत्रता, पहचान और निजी निर्णय लेने की प्रबल चाहत होती है
- सही-गलत के फ़ैसलों और भावनाओं को समझने की क्षमता अभी विकसित हो रही होती है
- समस्या-समाधान (problem solving) में अनुभव की कमी
- “ब्लैक एंड व्हाइट” थिंकिंग—उन्हें लगता है कि घर छोड़ने से समस्या सुलझ जाएगी ।empoweringparents+1
एक्सपर्ट व्यू: विशेषज्ञ क्या बोलते हैं?
- गंभीर संवादहीनता, डर या उपेक्षा के हालात में अधिकांश किशोर घर छोड़ते हैं
- अत्यधिक अनुशासन (authoritarian parenting) या मार-पीट, जलील करने का माहौल बच्चों को और विद्रोही बना सकता है
- सही वक्त पर सपोर्ट, खुलापन और सकारात्मक माहौल बच्चों को घर की ओर जोड़कर रखता है
- कुछ किशोर आवेग में भागते हैं, बाद में पछताते हैं। रोकथाम के लिए सोशल इमोशनल स्किल्स की ट्रेनिंग जरूरी है ।
माता-पिता के लिए रोकथाम के उपाय
- घर पर पारदर्शिता और खुलेपन का माहौल बनाना
- बच्चों से नियमित बातचीत करना, न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई, बल्कि जीवन से जुड़ी हर बात पर
- बच्चे की बात को ध्यान से सुनना, उसकी फीलिंग्स को समझना
- निर्णय लेने में बच्चे की भी राय लेना, उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करना
- अत्यधिक कंट्रोलिंग मत बनें; थोड़ी छूट भी जरूरी है
- डांटने या ताने देने के बजाय समस्याओं का समाधान साझा करें
- जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक सलाहकार या विशेषज्ञ की मदद लें
- बच्चा विरोध करे तब भी शांत रहें, और संवाद का रास्ता खुला रखें ।focusonthefamily+3
क्या करें ताकि बच्चा ऐसा ना सोचे
- विश्वास का रिश्ता बनाएं, बच्चे की समस्याएं बिना डरे बताने दें
- खुद भी गलतियां मानने में संकोच न करें (मॉडलिंग बिहेवियर)
- बदलते समय और डिजिटल दुनिया को समझें, दोस्ताना माहौल बनाएं
- छोटी-छोटी बातों में सजा ना दें, भावनात्मक सहयोग दें
- सार्थक साथ बिताएं: घूमना, खेलना, कोई क्रिएटिव एक्टिविटी
- उनके दोस्त, स्कूल, सोशल मीडिया सर्किल पर भी ध्यान रखें
अगर बच्चा घर से भाग जाए तो?
- घबराहट न दिखाएँ, पर तुरंत कार्रवाई करें
- स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं (एफआईआर)
- बच्चे के दोस्त, रिश्तेदार, स्कूल, सोशल मीडिया आदि से संपर्क करें
- यदि शक है कि बच्चा ट्रेनों या बसों से बाहर गया है, तो रेलवे/बस अड्डे पर भी सूचना दें
- बच्चे के सभी फोटो, पहचान संबंधी जानकारी पुलिस को दें
- बच्चा मिलने के बाद मानसिक समर्थन और समझदारी से बात करें; डांटे नहीं
- अगर कारण गंभीर (उदाहरण: शोषण, हिंसा या मानसिक स्वास्थ्य समस्या) है तो तुरंत काउंसलर या विशेषज्ञ की मदद लें ।
किशोर भागने की घटनाओं का समाज पर असर
- पारिवारिक अविश्वास, ‘ब्लेम गेम’ का माहौल
- भागा हुआ बच्चा अपराध, नशा या दुराचार की जाल में फंस सकता है
- किशोरों की शिक्षा, करियर और मानसिक विकास पर गहरा असर
- माता-पिता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
दीर्घकालिक समाधान
- परिवार, स्कूल और समाज की साझेदारी—प्रिवेंटिव एजुकेशन
- स्कूलों और समाज में काउंसलिंग की व्यवस्था
- बच्चों और युवाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर, सेफ हाउस, या काउंसलिंग सेन्टर
- सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पैरेंटिंग वर्कशॉप्स
- स्थानीय प्रशासन द्वारा बाल अधिकारों, संरक्षण आदि पर जागरूकता अभियान
सार
किशोरों द्वारा घर से भागने की प्रवृत्ति वक्त के साथ गंभीर होती जा रही है। ये सिर्फ घर या बच्चे की गलती नहीं, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत कारणों का मिला-जुला परिणाम है। संवाद, समझ और भावनात्मक सहयोग की भूमिका सबसे अहम है। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम रखना, समस्याओं को मिलकर सुलझाना, और आवश्यकता हो तो विशेषज्ञ की मदद लेना—इसी में सभी का भला है। अगर बच्चा भाग जाता है, तो तुरंत पुलिस और संबंधित संस्थाओं की सहायता लें, सहायता और समझदारी से ही परिवार दोबारा जुड़ सकता है।
यह लेख आपको किशोरों के मनोविज्ञान, कारण, रोकथाम, और तत्काल कार्रवाई संबंधी गाइडलाइन देता है, ताकि कोई बच्चा इस रास्ते पर न चले, और अगर चला भी जाए तो परिवार धैर्य के साथ समाधान की ओर बढ़ सके ।








