अगर अंदर Fail होने का डर है तो अवश्य सुनें !(Special For Aspirants) / Must Listen / Bhajan Marg

महाराज जी की बातें – विस्तृत हिंदी लेख

परिचय:
यह प्रवचन परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज द्वारा दिया गया है, जिसमें परीक्षा का डर, नाम जप, ब्रह्मचर्य, असफलता पर चिंता जैसी जीवन के महत्वपूर्ण विषयों पर गहन मार्गदर्शन है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए है, जो परीक्षाओं या जीवन की चुनौतियों से डरते हैं, निराश होते हैं या स्वयं को कमजोर मान लेते हैं।


1. परीक्षा का डर और आत्मविश्वास
महाराज जी कहते हैं कि “परीक्षा का डर केवल मानसिक भ्रम है। जब तक मन पर नियंत्रण नहीं होगा, तनाव बना रहेगा। लाइफ में हर जगह टेंशन होती है – पढ़ाई, घर, परिवार, नौकरी – लेकिन टेंशन से बचने के लिए सबसे पहले संतुलन और भगवान का स्मरण ज़रूरी है। भगवान को याद करने से मन में स्थिरता आती है और अंदर की घबराहट दूर होती है।
विद्यार्थी अक्सर सोचते हैं – ‘अगर फेल हो गये तो क्या होगा?’ लेकिन महाराज जी समझाते हैं कि ‘फेल होना जीवन का अंत नहीं है’, बल्कि जीवन में अगली कोशिश के लिए एक प्रेरणा है। भगवान से जुड़कर, बार-बार कोशिश कर, जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।”

2. जीवन में संघर्ष – सफलता की ओर
महाराज जी जीवन को संघर्ष का नाम देते हैं – “संघर्ष ही जीवन है। विद्यार्थी चाहता है हर बार पास हो जाए, लेकिन कई बार असफलता मिलती है, फिर भी आगे बढ़ना सीखना चाहिए। हार को ज़िन्दगी का अंत नहीं मानना चाहिए। महाराज जी समझाते हैं – ‘भगवान के अंश हैं, हारना हमारी प्रवृत्ति नहीं है।’ अगर एक बार चूक हुई, तो अगली बार प्रयास करें, इमानदारी से मेहनत करें, भगवान आपकी मदद करेंगे।”

3. ब्रह्मचर्य और स्मृति
महाराज जी ब्रह्मचर्य के महत्व को बताते हैं – “आजकल के बच्चे ब्रह्मचर्य का नाश कर रहे हैं, जिससे उनकी स्मृति कमजोर हो रही है। ब्रह्मचर्य अपनाओ, स्मरण शक्ति बढ़ेगी। पढ़ाई के वक्त पवित्र ब्रह्मचर्य और भगवान का नाम जप हो, तो दिमाग में सारी बातें टेप हो जाएंगी, परीक्षा का डर छूमंतर हो जाएगा।”

4. भगवान के भरोसे रखें
महाराज जी प्रेरणा देते हैं – “हर जगह हार हो जाये तो भी एक जगह पास होना चाहिए, वो है – भगवान का आश्रय। असफलता के बाद भी भगवान का नाम लेना चाहिए, उनकी शरण में रहना चाहिए। भगवान छोटे काम को भी बड़ा बना देते हैं – मच्छर को ब्रह्मा बना सकते हैं और ब्रह्मा को मच्छर। आपके साथ भगवान हैं, तो छोटा कार्य भी बड़ा हो सकता है।”

5. पौराणिक उदाहरण – चंद्रहास की कहानी
महाराज जी के प्रवचन में चंद्रहास नामक राजकुमार की कहानी विस्तार से आती है। केरल के एक धार्मिक राजा के बेटा चंद्रहास, कई राजाओं के आक्रमण में खो जाता है, लेकिन भगवान की कृपा से उसकी रक्षा होती है। दासी द्वारा बचाया गया चंद्रहास मंत्री के शरण में जाकर बड़ा होता है, भगवान की भक्ति और कृपा के कारण हर समस्या से निकलता है। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कठिन समय में भी हिम्मत, ईमानदारी और भगवान में विश्वास रखना चाहिए।

6. प्रारब्ध पर विश्वास, निरंतर प्रयास
महाराज जी कहते हैं – जीवन संघर्ष से भरा है, लेकिन अगर प्रारब्ध में कुछ लिखा है, वह होकर रहेगा। लेकिन प्रयास और भगवान की कृपा बदलाव ला सकती है। जीवन में मुसीबतें भी आती हैं, लेकिन भगवान से विमुख होकर हार मानना उचित नहीं। अगर प्रारब्ध मजबूत है, तो विधाता भी नियम बदल सकते हैं।

7. आत्महत्या या नकारात्मक सोच का खंडन
महाराज जी कहते हैं – “कोई भी विषय हो – पढ़ाई, खेती, व्यापार – असफलता में जीवन नष्ट करने का विचार रखना बेहद गलत है। संघर्ष करें, फिर जीतेंगे। जो हार मानकर शरीर त्यागने की सोचते हैं, वे भूल जाते हैं कि यह जीवन बहुत मूल्यवान है। हानि के बाद भी जीवन चलता है, और पुनः प्रयासों से सफलता मिलती है।”

8. नेगेटिविटी से बाहर निकलना – पुनर्जन्म का महत्व
महाराज जी बहुत मार्मिक ढंग से बताते हैं – “अगर आप जीवन नष्ट कर देते हैं, तो नीचे योनियों में जन्म मिलता है, अधिक कष्ट होते हैं। मनुष्य जन्म बहुत भाग्य से मिलता है, इसका महत्व समझो। अपने को इतना घृणित न बनाओ कि पुनः मनुष्य न बन सको। भगवान का भजन करो, धर्मपूर्वक कार्य करो, समाज और राष्ट्र की सेवा करो, जीवन पवित्र बनाओ।”

9. भगवान की शरण – जीवन का सबसे बड़ा संबल
महाराज जी अपने प्रवचनों में बार-बार बतलाते हैं कि “भगवान की शरण में रहने से हर कठिनाई दूर हो जाती है। भगवान जिसे उठाना चाहते हैं, उसकी सारी बाधाएं खुद-ब-खुद कट जाती हैं। जो भगवान से विमुख होता है, चाहे कितनी भी उन्नति कर ले, उसका परिणाम अच्छा नहीं होता। जो भगवान का दास होता है, उसका मंगल ही मंगल होता है।”

10. मन की प्रसन्नता और सकारात्मकता
जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखना सबसे जरूरी है। महाराज जी कहते हैं – “अपने मन में प्रसन्नता रखो, जो भी होगा मंगलमय होगा। भगवान मंगल भवन हैं, उनकी शरण में रहकर कोई भी चिंता मन में नहीं आनी चाहिए।”

11. बीती बातें और आगे की राह
महाराज जी विद्यार्थियों को यही समझाते हैं – “टेंशन को टेंशन न बनाओ। पढ़ाई करो, भगवान का नाम लो, पूजा-पाठ करो, शुद्ध ब्रह्मचर्य रखो, तुम्हें अगर सफल होना है, तो भगवान के ऊपर छोड़ दो। कहो – ‘हे भगवान, आपकी इच्छा होगी तो पास कर देंगे, नहीं तो फिर प्रयास करेंगे।’ जहाँ भगवान की कृपा है, वहाँ हर मुश्किल आसान हो जाएगी।”

12. संघर्ष की मिसाल से प्रेरणा
महाराज जी संघर्ष को जीवन का अभिन्न अंग बताते हैं – “जीवन में कभी किसान हार जाता है, तो कोशिश करता है, व्यापार में नुकसान हो जाता है तो फिर मेहनत करता है, विद्यार्थी फेल होता है तो फिर पढ़ता है, और भगवान हर बार उसका साथ देते हैं।”

13. भजन, सेवा और धर्म
महाराज जी अंत में कहते हैं – “इतना भजन करो, इतनी सेवा करो, कि भगवान तुम्हें नई राह दे दें। जीवन तभी पवित्र बनता है, जब धर्म पालन करो, समाज, राष्ट्र की सेवा करो, भगवान का नाम जपो।”


निष्कर्ष:
इस प्रवचन में महाराज जी ने जीवन के हर पहलु को छू लिया – डर, असफलता, संघर्ष, ब्रह्मचर्य, भगवान पर भरोसा, सेवा, भजन, धर्म। विद्यार्थियों एवं हर व्यक्ति के लिए यह सीख है कि असफलताओं से डरना नहीं चाहिए; बार-बार प्रयास करते रहो, हिम्मत रखो, भगवान का नाम जपते रहो, और अपने जीवन को सेवा, भक्ति, समाज, राष्ट्र के कार्यों में लगा दो। यही सच्चा जीवन है।

आशय यही है – हर मुश्किल में सकारात्मक सोच रखो, भगवान की शरण में रहो, प्रयत्नशील रहो, सेवा करो, भजन करो, ब्रह्मचर्य अपनाओ और मनुष्य जीवन को सफल बनाओ। यही महाराज जी का सन्देश है।

यह विस्तारपूर्वक लेख महाराज जी के प्रवचन की गहराई, उदाहरण, चेतावनी, सफलता के मंत्र, ब्रह्मचर्य की महत्ता, संघर्ष का मूल्य, और भगवान के भरोसे का अनुभव कराता है। विद्यार्थियों और युवाओं के लिए जीवन की चुनौतियों को पार पाने का अमूल्य मार्गदर्शन है।

  1. https://www.youtube.com/watch?v=vk7sxXM3D1k

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