ITR फाइलिंग डेडलाइन बढ़ने से 33% ज्यादा टैक्स रिफंड ब्याज: जानिए पूरा फायदा, गणना और टैक्स नियम ITR फाइलिंग डेडलाइन बढ़ी: क्या है नया बदलाव? (EN)

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आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। इस विस्तार से टैक्सपेयर्स को रिफंड पर मिलने वाले ब्याज में 33% तक की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

कैसे मिलता है टैक्स रिफंड पर ब्याज?

अगर आपने अपने टैक्स दायित्व से ज्यादा टैक्स पहले ही TDS या एडवांस टैक्स के जरिए जमा कर दिया है, तो आपको रिफंड के साथ ब्याज भी मिलता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 244A के तहत, टैक्स विभाग रिफंड की राशि पर हर महीने 0.5% साधारण ब्याज देता है। यह ब्याज उस अवधि के लिए मिलता है जब तक रिफंड प्रोसेस नहीं होता1

ITR डेडलाइन एक्सटेंशन से कैसे बढ़ा ब्याज?

  • पहले, अगर कोई टैक्सपेयर 31 जुलाई तक ITR फाइल करता था, तो उसे 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक का ब्याज मिलता था।

  • अब, डेडलाइन 15 सितंबर होने से, 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक ब्याज मिलेगा।

  • इससे रिफंड ब्याज में 33% तक की बढ़ोतरी हो रही है1

उदाहरण के लिए:

टैक्स रिफंड (₹)ब्याज (1 अप्रैल–31 जुलाई)ब्याज (1 अप्रैल–30 सितंबर)बढ़ोतरी (%)25,00050075033%50,0001,0001,50033%1,00,0002,0003,00033%2,00,0004,0006,00033%

किसे मिलेगा ज्यादा ब्याज?

  • जो टैक्सपेयर्स 15 सितंबर 2025 तक ITR फाइल करेंगे, उन्हें 1 अप्रैल 2025 से रिफंड प्रोसेसिंग तक का ब्याज मिलेगा1

  • अगर आप जल्दी (31 जुलाई से पहले) ITR फाइल करते हैं, तो रिफंड जल्दी मिल सकता है, लेकिन ब्याज कम मिलेगा।

  • देरी से फाइलिंग करने पर ब्याज बढ़ेगा, लेकिन रिफंड मिलने में भी देरी होगी।

ब्याज की गणना कैसे होती है?

  • अगर ITR डेडलाइन से पहले फाइल किया गया है, तो ब्याज 1 अप्रैल से रिफंड मिलने तक गिना जाएगा।

  • अगर डेडलाइन के बाद फाइल किया, तो ब्याज ITR फाइलिंग की तारीख से रिफंड मिलने तक मिलेगा।

  • ब्याज की गणना पूरी या आंशिक महीने के लिए 0.5% प्रति माह की दर से होती है1

क्या ब्याज टैक्स फ्री है?

  • नहीं, टैक्स रिफंड पर मिलने वाला ब्याज ‘Income from Other Sources’ के तहत टैक्सेबल है।

  • इसे उसी साल की आय में जोड़ना होता है जिस साल ब्याज मिला है, भले ही रिफंड किसी पुराने वर्ष का हो।

  • हालांकि, वित्त वर्ष 2025-26 (आकलन वर्ष 2026-27) से धारा 87A के तहत 12 लाख (वेतनभोगी के लिए 12.75 लाख) तक की आय पूरी तरह टैक्स फ्री है, जिससे कई टैक्सपेयर्स को इस ब्याज पर भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा1

NRI टैक्सपेयर्स को भी फायदा

  • NRI टैक्सपेयर्स को भी डेडलाइन बढ़ने से ज्यादा ब्याज मिलेगा, बशर्ते उनका टैक्स रिफंड बनता हो और ITR समय पर फाइल किया गया हो1

विशेषज्ञों की राय

“रिफंड देने की प्रक्रिया ITR फाइलिंग की तारीख पर निर्भर करती है, न कि डेडलाइन पर। अगर आप जल्दी फाइल करेंगे तो रिफंड जल्दी मिलेगा, लेकिन ब्याज कम मिलेगा। देर से फाइलिंग पर ब्याज ज्यादा मिलेगा, लेकिन रिफंड मिलने मेंदेरी होगी।— एस. श्रीराम, पार्टनर, लक्ष्मीकुमरन एंड श्रीधरन अटॉर्नीज1“रिफंड पर ब्याज टैक्सेबल है और इसे ‘Other Sources’ में दिखाना जरूरीहै।— डॉ. सुरेश सुराना, चार्टर्ड अकाउंटेंट

क्या सरकार को नुकसान?

डेडलाइन बढ़ने से सरकार को ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा, जो अंततः टैक्सपेयर्स के पैसे से ही जाएगा। साथ ही, ITR फाइलिंग यूटिलिटी में देरी के कारण रिफंड प्रोसेसिंग भी लेट हो सकती है।

टैक्सपेयर्स के लिए सुझाव

  • अगर आपको जल्दी रिफंड चाहिए, तो जल्दी ITR फाइल करें।

  • अगर ज्यादा ब्याज पाना है और रिफंड की जल्दी नहीं है, तो डेडलाइन के करीब फाइल करें।

  • ब्याज की राशि को अपनी आय में जरूर शामिल करें और टैक्स नियमों का पालन करें।

  • NRI टैक्सपेयर्स को भी यह फायदा मिलेगा, लेकिन टैक्स नियमों की जानकारी जरूर रखें।

निष्कर्ष

ITR फाइलिंग डेडलाइन बढ़ने से टैक्सपेयर्स को रिफंड पर 33% तक ज्यादा ब्याज मिलेगा, लेकिन यह ब्याज टैक्सेबल है। टैक्सपेयर्स को अपनी जरूरत और प्राथमिकता के अनुसार ITR फाइलिंग की रणनीति बनानी चाहिए। सरकार को इस बदलाव से ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा, लेकिन टैक्सपेयर्स के लिए यह एक अच्छा मौका है ज्यादा रिफंड ब्याज पाने का।

SOURCE: ECONMOIC TIMES.COM

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