
ब्रशिंग (Brushing)
दांतों की देखभाल को लेकर अक्सर हमारे मन में तरह-तरह के सवाल और भ्रम होते हैं। कौन सा टूथपेस्ट अच्छा है? कैविटी से कैसे बचें? क्या दांत सफेद करने के घरेलू उपाय सुरक्षित हैं? इन सभी सवालों के जवाब और भी बहुत कुछ जानने के लिए हमने भारत के जाने-माने कॉस्मेटिक डेंटिस्ट डॉ. संदेश मायकर से खास बातचीत की। पेश है उनकी विज्ञान-आधारित सलाह का संपूर्ण लेखा-जोखा।
ब्रशिंग (Brushing): सही तरीका ही है कुंजी
डॉ. मायकर के मुताबिक, अच्छी ओरल हेल्थ की नींव सही तरीके से ब्रश करने पर टिकी होती है।
- सही समय: दिन में दो बार ब्रश करना आदर्श है, लेकिन रात में सोने से पहले ब्रश करना सबसे ज़्यादा जरूरी है। इससे दिनभर में जमा हुआ प्लाक और खाने के अवशेष साफ होते हैं, जो कैविटी का मुख्य कारण बनते हैं।
- सही तकनीक: ब्रश को हमेशा नरम हाथों से और गोल-गोल घुमाते हुए चलाएं। जोर लगाकर ब्रश करने से दांतों का इनेमल घिस सकता है।
- सही टूल: हमेशा सॉफ्ट ब्रिसल वाला ब्रश चुनें। ब्रश को हर तीन महीने में या ब्रिसल्स फैलने पर बदल देना चाहिए।
- जीभ की सफाई: ब्रश करते समय जीभ की सफाई करना न भूलें, क्योंकि इसपर जमा बैक्टीरिया सांसों की दुर्गंध (Bad Breath) का कारण बनते हैं।
व्हाइटनिंग (Whitening): विज्ञापनों के झांसे में न आएं
चमकते white teeth के चक्कर में हम अक्सर गलत प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर बैठते हैं। डॉ. मायकर इसके बारे में स्पष्ट करते हैं:
- मिथक: जोर से ब्रश करने या हार्ड ब्रिसल वाले ब्रश से दांत सफेद होते हैं।
- सच्चाई: ऐसा करने से दांतों की ऊपरी परत (Enamel) घिसती है, जिससे अंदर की पीली परत (Dentin) दिखने लगती है और दांत और भी पीले नज़र आते हैं।
- सही उपाय: व्हाइटनिंग एक मेडिकल प्रक्रिया है, इसे डेंटिस्ट की देखरेख में ही करवाना चाहिए। व्हाइटनिंग टूथपेस्ट खरीदते समय उसकी RDA (Relative Dentin Abrasivity) वैल्यू 70 से कम जरूर देखें।
कैविटी (Cavity): दुश्मन को पहचानें
कैविटी सिर्फ चीनी खाने से नहीं, बल्कि खाने के दांतों पर लंबे समय तक चिपके रहने से होती है।
- मुख्य कारण: स्टिकी खाद्य पदार्थ जैसे टॉफी, चॉकलेट, केक आदि दांतों पर चिपक जाते हैं और बैक्टीरिया उन्हें अम्ल में बदल देते हैं, जो इनेमल को नुकसान पहुंचाता है।
- बचाव: खाने के बाद पानी से कुल्ला करें। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे सेब, गाजर) खाने से दांतों की प्राकृतिक सफाई होती है। हर छह महीने में डेंटिस्ट से चेकअप करवाएं।
ब्रेसेस (Braces): सुंदर मुस्कान के लिए सही कदम
टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने के लिए ब्रेसेस एक कारगर उपाय है।
- जरूरी बात: ब्रेसेस लगवाने का फैसला हमेशा किसी योग्य ऑर्थोडॉन्टिस्ट की सलाह से ही लें।
- ध्यान रखें: ब्रेसेस लगने के बाद दांतों की सफाई पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। विशेष तरह के ब्रश और फ्लॉस का इस्तेमाल करना होता है ताकि खाना फंसकर सड़न पैदा न करे।
- नियमितता: ब्रेसेस का ट्रीटमेंट लंबा चलता है, इसमें डेंटिस्ट के पास नियमित जांच बेहद जरूरी है।
कैंसर (Cancer): सजगता ही है बचाव
मुंह का कैंसर भारत में एक गंभीर समस्या है, लेकिन सतर्कता से इससे बचा जा सकता है।
- मुख्य कारण: तंबाकू, गुटखा, पान मसाला आदि का सेवन मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इनके सेवन से तुरंत परहेज करें।
- शुरुआती लक्षण: मुंह में लंबे समय तक न भरने वाला छाला, सफेद या लाल चकत्ते, निगलने में तकलीफ, या आवाज में बदलाव जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- नियमित जांच: अपने डेंटिस्ट से नियमित चेकअप के दौरान मुंह की कैंसर की स्क्रीनिंग भी जरूर करवाएं। शुरुआती अवस्था में पकड़े जाने पर इसका इलाज संभव है।
डॉ. मायकर की खास सलाह:
- फ्लॉसिंग है जरूरी: ब्रशिंग के साथ-साथ रोजाना फ्लॉस करना उतना ही महत्वपूर्ण है। यह दांतों के बीच फंसे खाने के कणों को निकालता है जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता।
- टूथपेस्ट चुनते समय: फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें। बच्चों के लिए उनकी उम्र के अनुसार फ्लोराइड की मात्रा वाला टूथपेस्ट ही चुनें।
- विज्ञापनों से दूर: सेलिब्रिटी देखकर या विज्ञापनों के आधार पर टूथपेस्ट न चुनें। अपने डेंटिस्ट की सलाह लें और अपनी जरूरत के हिसाब से उत्पाद चुनें।
निष्कर्ष
डॉ. संदेश मायकर की सलाह स्पष्ट है – अच्छी ओरल हेल्थ के लिए जरूरी है नियमितता, सही जानकारी और विज्ञान पर भरोसा। सही ब्रशिंग की आदत, संतुलित आहार, नियमित डेंटल चेक-अप और तंबाकू जैसे हानिकारक पदार्थों से दूरी बनाकर आप न केवल कैविटी और दांतों की समस्याओं से बच सकते हैं, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम भी कर सकते हैं। एक स्वस्थ मुस्कान ही आपके पूरे शरीर के स्वास्थ्य की पहचान है।