
यह लेख दिल्ली के प्रसिद्ध खारी बावली ड्राई फ्रूट बाजार में दिवाली से ठीक पहले के माहौल और व्यापार पर केंद्रित है। इसमें जीएसटी दर में बदलाव, बाजार में ग्राहकों की स्थिति, दुकानदारों की प्रतिक्रिया, सुरक्षा व साफ-सफाई जैसे मुद्दों को विस्तार से बताया गया है।
खारी बावली: देश का सबसे बड़ा ड्राई फ्रूट बाजार
पुरानी दिल्ली की खारी बावली, जो कि एशिया का सबसे बड़ा मेवा और किराना बाजार माना जाता है, दिवाली के दौरान बिज़नेस का केंद्र बन जाती है। यहां देशभर से, और कई बार विदेशों से भी, ग्राहक और व्यापारी आते हैं। खासतौर पर दिवाली जैसे त्योहार पर यहाँ जबर्दस्त गहमा-गहमी देखने को मिलती है।
हर साल दिवाली से ठीक पहले लोग मेवा को गिफ्ट के तौर पर खरीदते हैं, क्योंकि यह साल भर की तुलना में त्योहारों में ज्यादा बिकता है। बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, पिस्ता — ये सब ड्राई फ्रूट्स की मुख्य किस्में हैं, जिनकी मांग दिवाली पर कई गुना बढ़ जाती है। दुकानों में पैकेजिंग सामग्री, गिफ्ट डिब्बे, थाल और खास कंबिनेशन पैक भी उपलब्ध रहते हैं।
कारोबार की चाल: इस वर्ष का विश्लेषण
खारी बावली के दुकानदारों से बात करते हुए एक ट्रेंड सामने आता है: दिवाली पर कारोबार पिछले साल की तुलना में कुछ फीका है। कई दुकानदार कहते हैं कि पिछले वर्ष जहां 100 ग्राहक आते थे, इस साल केवल 25 ही आ रहे हैं। हालांकि, भीड़ बाजार में दिखती है, लेकिन बिक्री उतनी नहीं हो रही।
इसके पीछे मुख्य वजह है — ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ना और मार्केट में ग्राहक की खरीद क्षमता कम होना। दुकानदार बताते हैं कि लोग ऑनलाइन वहां-घर बैठे ऑर्डर करना पसंद करने लगे हैं, जिससे बाजार में ग्राहक कम दिखते हैं। हालांकि, त्योहार के कारण भीड़ जरूर है। इसके अलावा, महंगाई और ड्राई फ्रूट्स के दामों में तेजी भी बिक्री को प्रभावित कर रही है।
GST में कटौती का असर
मोदी सरकार ने हाल ही में ड्राई फ्रूट्स पर GST को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसका उद्देश्य था कि ड्राई फ्रूट बाजार में कुछ राहत आए, कीमतें कम हों और उपभोक्ता को फायदा मिले। लेकिन दुकानदारों का कहना है कि इस नीति का कोई खास असर मार्केट में नहीं दिखाई दे रहा।
दरअसल, ड्राई फ्रूट्स की असली कीमत क्रॉप प्रोडक्शन (फसल का उत्पादन), इंपोर्ट, डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है। अगर माल की शॉर्टेज है और कंटेनर कम आए हैं, तो चाहे टैक्स कम भी हो जाए, कीमतों में कोई बड़ी कमी नहीं आती। इस साल कई आइटम जैसे किशमिश, बादाम, अखरोटगिरी के दाम पिछले साल की तुलना में दोगुने हो गए हैं — किशमिश ₹280-₹480 किलो, बादाम में ₹50-₹70 किलो का अंतर, अखरोटगिरी ₹1300-₹1800 किलो।
कुछ दुकानदार बताते हैं कि अफगानिस्तान, काबुल, ईरान जैसे देशों से माल की सप्लाई इस साल काफी कम आई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं। अमेरिकन और इंडियन क्रॉप की क्वालिटी और मात्रा भी दामों को प्रभावित कर रही है।
दुकानदारों की राय: क्या मेवे सस्ते हुए?
बाजार में यह चर्चा ज़रूर है कि GST घटने के बाद चीज़ें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन लगभग सभी दुकानदार एक राय रखते हैं कि असल में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ा है। उनका मानना है कि, “सरकार भले टैक्स कम कर दे, जब माल कम रहेगा और डिमांड ज्यादा होगी, तो रेट तो तेज ही रहेंगे।” यानी डिमांड-सप्लाई की वजह से बढ़ी कीमतें GST स्लैब बदलने से काबू में नहीं आई।
दूसरी तरफ कुछ व्यापारी कहते हैं कि जहां रेट और क्वालिटी कम्पटिटिव होती है, वहां ग्राहक आ जाते हैं और अच्छे-खासे क्वांटिटी में खरीद भी करते हैं — खासकर गिफ्टिंग के लिए। कुछ ड्राई फ्रूट्स जैसे मखाना, किशमिश, अफगानी अंजीर के रेट में तेजी है, जबकि बाकी प्रोडक्ट्स के रेट नॉर्मल हैं।
बाजार की सफाई और सुरक्षा: चुनौतियां बरकरार
खारी बावली जैसा देश-एशिया का सबसे बड़ा बाजार होने के बावजूद, यहां कई बार साफ-सफाई और सुरक्षा के हालात चिंताजनक रहते हैं। दुकानदार और ग्राहक दोनों शिकायत करते हैं कि सड़क पर अक्सर सीवर का पानी बहता रहता है, जिससे बदबू, कीचड़ और स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ जाते हैं। मजदूर, रिक्शा चालक, ग्राहक — सभी को गंदगी में चलना पड़ता है।
सुरक्षा के नाम पर बाजार के प्रवेश पर एक मेटल डिटेक्टर तो लगा है, लेकिन वह भी अक्सर ठीक से काम नहीं करता। दिवाली जैसे मौके पर भारी भीड़ जुटती है, इसलिए दुकानदार दिल्ली सरकार और पुलिस से अपील करते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की जाए, ताकि कोई हादसा न हो।
थोक और खुदरा बाजार: गिफ्टिंग ट्रेंड
दिवाली पर गिफ्ट पैक की डिमांड आसमान छूती है। दुकानदार बताते हैं कि अलग-अलग डिब्बे, थाल और स्पेशल पैकेजिंग मार्केट में उपलब्ध है, जो ग्राहकों को खूब पसंद आते हैं। गिफ्टिंग के लिए ड्राई फ्रूट्स की बिक्री त्योहारों में तेजी से बढ़ जाती है — क्योंकि लोग सेहत को लेकर अब ज्यादा सचेत हो गए हैं, और मिठाइयों की तुलना में ड्राई फ्रूट्स को गिफ्ट करना पसंद करते हैं।youtube
कई दुकानदार बताते हैं कि मखाना की सेल डबल हो गई है, और अमेरिकन क्रॉप्स के प्रोडक्ट्स “रीज़नेबल” प्राइस पर बिक रहे हैं। गिफ्ट पैक में एक किलो बादाम, काजू या अखरोट गिरी आसानी से मिल जाता है, जिसकी कीमत मिठाई के डिब्बे से कहीं ज्यादा वाजिब है।
व्यापार पर असर डालने वाले अन्य कारक
व्यापार में इस बार जो उदासी देखने को मिली उसके पीछे कई वजहें हैं:
- इंपोर्टेड माल की शॉर्टेज (काबुल, अमेरिका, ईरान से माल कम आया)
- इंडियन फसल कम होना (बादाम, किशमिश, अखरोट में कमी)
- डिमांड-सप्लाई का असंतुलन
- ऑनलाइन बिक्री का चलन बढ़ना
- ग्राहक की खरीदने की ताकत में कमी
- बाजार में महंगाई
इन सभी का मिला-जुला असर यह है कि कीमतें तेज हैं, बिक्री कम है, बाजार में भीड़ तो है मगर दुकानदारी उस अनुपात में नहीं है।
ग्राहक की प्रतिक्रिया: बदलते व्यवहार
दुकानदारों के अनुसार, ग्राहक अब मार्केट में कम आ रहे हैं, और ऑनलाइन प्लेटफार्म का रुझान ज्यादा दिख रहा है। हालांकि, दिवाली पर गिफ्ट के विकल्प बढ़ गए हैं — खाने-पीने की चीज़ों के अलावा अब अन्य प्रकार के गिफ्ट्स भी चलते हैं। ग्राहक परचेजिंग पावर कम बताई जा रही है, क्योंकि सामान महंगा है, और लोग विकल्प तलाशते हैं।
कुछ ग्राहक बाजार में आकर भी खासी सावधानी बरतते हैं — भीड़-भाड़ से बचना, जल्दी-जल्दी खरीदारी करके निकलना, सफाई के बुरे हालात से बचाव करना।
बाजार के भविष्य की झलक
खारी बावली का भविष्य भी इन तमाम बदलते रुझानों पर निर्भर करेगा। अगर इंपोर्ट की स्थिति सुधरी, क्रॉप प्रोडक्शन बढ़ा, डिमांड-सप्लाई संतुलित रही, और सरकार साफ-सफाई व सुरक्षा पर ध्यान दे, तो अगले साल के कारोबार में उत्साह लौट सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन व ऑफलाइन बिक्री के संतुलन, पैकेजिंग इनोवेशन, और गिफ्टिंग ट्रेंड्स पर भी बाजार का माहौल निर्धारित होगा।
दुकानदारों की एक राय यह भी है कि “ग्राहक को माल चाहिए — वह 12% GST में भी खरीदेगा, 5% में भी खरीदेगा। फर्क तब पड़ता है जब माल सस्ता हो या वाजिब दाम पर उपलब्ध हो जाए।” यानी असली राहत तभी मिलेगी जब सप्लाई चेन सुचारू हो और क्रॉप की उपलब्धता ठीक रहे।
निष्कर्ष
दिवाली 2025 के वक्त खारी बावली में ड्राई फ्रूट्स के बाजार में उमंग के साथ चिंता की झलक भी दिखी। GST कटौती के बावजूद दाम तेज हैं, और ग्राहकों की संख्या में गिरावट है। खरीदारी का तौर-तरीका, गिफ्टिंग ट्रेंड, फसल की उपलब्धता, ऑनलाइन बिक्री का प्रभाव — ये सभी बाजार को आकार दे रहे हैं। दुकानदारों की उम्मीद है कि सरकार आगे सुरक्षा-सफाई बेहतर बनाए, साथ ही इंपोर्ट और सप्लाई चेन पर विशेष ध्यान दे। आने वाले वक्त में यही कारक खारी बावली के उत्सव और कारोबार को नई दिशा देंगे।
स्रोत
इस लेख में दी गई जानकारी Sharad Sharma की ग्राउंड रिपोर्ट “Diwali पर Dry Fruits के सबसे बड़े बाजार पुरानी दिल्ली के Khari Baoli में कैसा है माहौल?” (14 अक्टूबर 2025) पर आधारित है। रिपोर्ट में दुकानदारों व ग्राहकों से साक्षात्कार, बाज़ार का वास्तविक दृश्य, और त्योहार के समय व्यापार की चुनौतियों पर गहरा विश्लेषण किया गया है।