सामान बेचने के लिए ग्राहकों को प्रलोभन और लुभावनी बातें करना क्या गलत है ?
अपने सामान की प्रशंसा तो करनी है लेकिन घटिया सामान नहीं देना और झूठ नहीं बोलना। जैसे कुछ लोग झूठ बोलते है कि आपको इस दाम में बेचने में कुछ नहीं बच रहा है। कसम से बिल्कुल नहीं बच रहा है। यह सब नाटकबाजी करने की जरूरत नहीं है। वस्त्र बहुत बढ़िया हो, इसकी कीमत फिक्स हो।
जैसे कोई ग्राहक कहे कि उधर 130 का मिल रहा है आप 160 क्यों दे रहा है, आप कहे हम 160 का ही देंगे आप आदर से वहां जाकर 130 का ले लीजिए। पांच पैसे कम नहीं करे। बिल्कुल अपने पर टिके रहो। झूठ बोलना नहीं कि हम इतने का लाए है इतने का ही बेच रहे हैं। जैसी जैसी क्वालिटी है वैसे वैसे उसका दाम अपना मुनाफा लगाकर फिक्स कर लो। जैसे इसमें अधिक से अधिक मुनाफा 20 रूपए ले रहे है। उस ले ले। ग्राहक को बताने की जरूरत नहीं है। अपना फिक्स कर लो। इसमें कोई हानि नहीं है। अपनी वस्तु बेचने वाला अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है। पर उसकी झूठी प्रशंसा नहीं करें। घटिया माल को अच्छा माल बताकर हमें नहीं देना है। आप सत्य से फिक्स दाम में अच्छी वस्तु दो तो जो अच्छे लोग है वो समझ जाएंगे इस दुकान में मोल भाव नहीं होने वाला है और यह चीज अच्छी बेचता है।
सबसे बड़ी बात है कि धर्म से आपको 500 रूपए मिल रहा है तो आपके परिवार में सुख शांति रहेगी, आपके परिवार के लोगों में दिमागी उलझने नहीं रहेंगी। दिमाग से स्वस्थ रहेंगे और अधर्म से कमाकर जाओंगे तो परिवार में ही दिमाग की उलझनें बढ़ जाएंगी।