इनकम टैक्स की 5 सबसे कन्फ्यूजिंग टर्म्स के जोड़े – जानिए आसान हिंदी में

इनकम टैक्स की 5 सबसे कन्फ्यूजिंग टर्म्स के जोड़े, जिन्हें जानना जरूरी है। आसान भाषा में समझें और टैक्स फाइलिंग में गलती न करें।

FINANCE

6/17/20251 मिनट पढ़ें

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इनकम टैक्स फाइलिंग के दौरान कई बार ऐसे शब्द सामने आते हैं, जो सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन उनके मायने और असर बिल्कुल अलग होते हैं। अगर आप इन टर्म्स को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है। यहां हम आपको बताएंगे 5 ऐसे जोड़े, जो सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन पैदा करते हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं।

1. असेसमेंट ईयर (Assessment Year) vs फाइनेंशियल ईयर (Financial Year)

फाइनेंशियल ईयर (वित्तीय वर्ष) क्या है?

फाइनेंशियल ईयर वह साल होता है, जिसमें आप कमाई करते हैं। भारत में फाइनेंशियल ईयर 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक चलता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच कमाई की, तो यह फाइनेंशियल ईयर 2024-25 कहलाएगा।

असेसमेंट ईयर (मूल्यांकन वर्ष) क्या है?

असेसमेंट ईयर वह साल होता है, जिसमें आप अपनी पिछली कमाई (यानि फाइनेंशियल ईयर की) पर टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं और टैक्स देते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की कमाई का असेसमेंट ईयर 2025-26 होगा।

कन्फ्यूजन क्यों होता है?

लोग अक्सर फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर को एक जैसा समझ लेते हैं, जबकि टैक्स रिटर्न हमेशा असेसमेंट ईयर में फाइल होता है, कमाई फाइनेंशियल ईयर में होती है।

2. टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) vs टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS)

TDS (स्रोत पर कर कटौती) क्या है?

TDS वह टैक्स है, जो आपकी कमाई से पहले ही काट लिया जाता है। जैसे सैलरी, FD का ब्याज, रेंट आदि पर। इसे आपकी इनकम देने वाला ही काटता है और सरकार को जमा कर देता है।

TCS (स्रोत पर कर संग्रह) क्या है?

TCS वह टैक्स है, जो कुछ खास चीजों की बिक्री पर वसूला जाता है। जैसे अगर आप स्क्रैप, लकड़ी, या मोटर व्हीकल आदि बेचते हैं, तो विक्रेता खरीदार से TCS वसूलता है और सरकार को जमा करता है।

कन्फ्यूजन क्यों होता है?

TDS आपकी इनकम से कटता है, जबकि TCS खरीदारी पर वसूला जाता है। दोनों में फर्क समझना जरूरी है, ताकि टैक्स क्रेडिट का सही दावा कर सकें।

3. छूट (Exemption) vs कटौती (Deduction)

छूट (Exemption) क्या है?

छूट वह राशि है, जो आपकी कुल इनकम में से पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है। जैसे HRA, LTA, एग्रीकल्चर इनकम आदि। इनकम में से छूट की रकम घटाने के बाद ही टैक्स कैलकुलेट होता है।

कटौती (Deduction) क्या है?

कटौती वह राशि है, जो आपकी टैक्सेबल इनकम में से घटती है, लेकिन इसके लिए आपको कुछ निवेश या खर्च करना पड़ता है। जैसे 80C (LIC, PPF, EPF), 80D (हेल्थ इंश्योरेंस) आदि।

कन्फ्यूजन क्यों होता है?

छूट और कटौती दोनों टैक्स कम करते हैं, लेकिन छूट इनकम के सोर्स पर ही मिलती है, जबकि कटौती के लिए आपको निवेश या खर्च करना होता है। दोनों का असर टैक्सेबल इनकम पर अलग-अलग होता है।

4. एडवांस टैक्स vs सेल्फ असेसमेंट टैक्स

एडवांस टैक्स क्या है?

अगर आपकी सालाना टैक्स देनदारी 10,000 रुपये से ज्यादा है, तो आपको पूरे साल में ही किस्तों में टैक्स जमा करना होता है, इसे एडवांस टैक्स कहते हैं। यह 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च को जमा करना होता है।

सेल्फ असेसमेंट टैक्स क्या है?

अगर एडवांस टैक्स या TDS के बाद भी कुछ टैक्स बाकी रह जाता है, तो रिटर्न फाइल करते समय आप उसे खुद जमा करते हैं, इसे सेल्फ असेसमेंट टैक्स कहते हैं।

कन्फ्यूजन क्यों होता है?

लोग सोचते हैं कि दोनों टैक्स एक ही हैं, लेकिन एडवांस टैक्स साल के दौरान जमा होता है, जबकि सेल्फ असेसमेंट टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय बाकी टैक्स चुकाने के लिए होता है।

5. टैक्स क्रेडिट vs टैक्स रिबेट

टैक्स क्रेडिट क्या है?

टैक्स क्रेडिट वह रकम है, जो आपने पहले ही सरकार को (जैसे TDS, TCS, एडवांस टैक्स) के रूप में दी है। इसे आप अपनी टैक्स देनदारी में एडजस्ट कर सकते हैं।

टैक्स रिबेट क्या है?

टैक्स रिबेट वह छूट है, जो सरकार आपको टैक्स कैलकुलेशन के बाद देती है। जैसे सेक्शन 87A के तहत 5 लाख तक की इनकम पर 12,500 रुपये तक की रिबेट मिलती है।

कन्फ्यूजन क्यों होता है?

लोग टैक्स क्रेडिट और टैक्स रिबेट को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन क्रेडिट आपके द्वारा पहले से जमा टैक्स है, जबकि रिबेट सरकार द्वारा दी गई छूट है।

निष्कर्ष

इनकम टैक्स के ये 5 जोड़े अक्सर लोगों को कन्फ्यूज कर देते हैं। अगर आप इनमें फर्क समझ लेंगे, तो टैक्स फाइलिंग में गलती की संभावना कम हो जाएगी। सही जानकारी से आप टैक्स प्लानिंग भी बेहतर कर सकते हैं और पेनल्टी से बच सकते हैं।

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