भारत में XL और XXL साइज के कपड़ों की माँग सबसे ज्यादा है और जैसे ही इनका स्टॉक दुकानों में आता है, तुरंत बिक जाता है। कंपनियाँ भी अब सबसे ज्यादा ध्यान इसी साइज की फैशन, फिट और स्टॉकिंग पर दे रही हैं, क्योंकि बाजार की माँग लगातार बढ़ रही है.
फैक्ट्स और आँकड़े
- भारत के प्लस साइज/XL-XXL कपड़ों का बाजार 2023 में करीब ₹83,500 करोड़ (USD 10,075 मिलियन) था और यह 2032 तक ₹1,51,900 करोड़ (USD 18,286 मिलियन) होने की उम्मीद है; ग्रोथ रेट लगभग 6.8% वार्षिक है.
- यह ट्रेंड सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी तेजी से बढ़ रहा है.
- सबसे ज्यादा माँग कैजुअल वियर, स्पोर्ट्स वियर, एथनिक वियर और फॉर्मल (ऑफिस) वियर की है; कंपनियाँ XL से 7XL तक के ऑप्शंस ला रही हैं.
- समशेक, बिग हेलो, Biba, Zivame जैसी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ अब अपने कलेक्शन में XL और उससे बड़े साइज पर ज़ोर दे रही हैं.
- पिछले 5 सालों में सोशल मीडिया, इंफ्लुएंसर, और बॉडी पॉजिटिविटी मूवमेंट से प्लस साइज फैशन की माँग और स्वीकार्यता दोनों बढ़ी है.
ट्रेंड के पीछे कारण
- शरीर के आकारों में बदलाव: भारतीय आबादी में औसत वजन और शरीर के आकार में बढ़ोतरी हुई है, जिससे XL और XXL जैसे बड़े साइज की माँग बढ़ गई है.
- नई पीढ़ी की सोच: अब युवा वर्ग भी बॉडी पॉजिटिविटी को अपनाने लगा है और अपने शरीर के अनुसार फैशन की चाहत जताता है.
- बाजार का विस्तार: टियर-2/टियर-3 शहरों, ऑनलाइन शॉपिंग, और ज्यादा डिस्पोजेबल इनकम भी इस ट्रेंड की वजह हैं.
- कंपनियों की रणनीति: ब्रांड्स अब साइज एक्सक्लूसिविटी छोड़कर फिट, डिजाइन और ट्रेंड में विविधता ला रहे हैं.
क्या यह ट्रेंड भारत के लिए खतरे की घंटी है?
- हेल्थ पर्सपेक्टिव: बढ़ा हुआ मोटापा और जीवनशैली संबंधी रोग (डायबिटीज, हार्ट डिजीज इत्यादि) की दर भारत में तेज़ी से बढ़ रही है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण है. XL और XXL साइज की बढ़ती माँग इसका एक अप्रत्यक्ष संकेत है।
- फिजिकल एक्टिविटी में कमी, जंक फूड, स्ट्रेस, और शहरीकरण इस ट्रेंड के पीछे मुख्य कारण हैं।
- ये ट्रेंड नई पीढ़ी में स्वास्थ्य जागरूकता के लिए चेतावनी है कि फैशन के साथ-साथ जरूरी है फिटनेस, एक्टिव लाइफस्टाइल और पौष्टिक भोजन।
इस ट्रेंड के परिणाम
- फैशन इंडस्ट्री को सकारात्मक: डिजाइनर्स, ब्रांड्स और रिटेलर्स को इससे नया बाजार मिला है, जिससे रोजगार, डिज़ाइन इनोवेशन और इकोनॉमिक ग्रोथ हो रही है.
- स्वास्थ्य क्षेत्र को नकारात्मक: लम्बे समय तक शरीर की फिटनेस पर ध्यान नहीं देना, हेल्थ बजट पर असर डालेगा और बीमारियाँ बढ़ेंगी, जिसके इलाज का खर्च और सामाजिक प्रभाव दोनों होंगे.
- समाज में बदलाव: बॉडी शेमिंग घट रही है, आत्मविश्वास और आत्म-स्वीकार्यता बढ़ रही है, लेकिन साथ में फिटनेस की समझ अभी भी उतनी व्यापक नहीं है.
निष्कर्ष, समाधान और सलाह
- भारत में XL/XXL कपड़ों की माँग तेजी से बढ़ना फैशन इंडस्ट्री के लिए अवसर तो है, लेकिन यह मोटापे जैसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का संकेत भी है। अगर समाज में हेल्थ कॉन्शसनेस और फिटनेस को बढ़ावा नहीं दिया गया, तो भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ सामने आ सकती हैं.
- स्टेकहोल्डर्स (सरकार, रिटेलर्स, डिजाइनर्स) को चाहिए कि साथ में फिटनेस अवेयरनेस, हेल्थ कैम्पेन, और मोटिवेशनल फैशन का प्रचार करें ताकि भले ही साइज इंक्लूसिविटी हो, लेकिन स्वास्थ्य प्राथमिकता बनी रहे।
यह आर्टिकल आपको फैक्ट, मार्केट ट्रेंड और भविष्य की चिंताओं के बीच संतुलन बनाकर सोचने को प्रोत्साहित करेगा.








