ऐसे कौन-कौन से पाप हैं जिनका कोई फल नहीं मिलता?

मैं आपके लिए “ऐसे कौन-कौन से पाप हैं जिनका कोई फल नहीं मिलता?” (02:46 से 06:30 तक) की वीडियो क्लिप से महाराज जी के वचन शब्द-शः और प्वाइंटवाइज हिंदी आर्टिकल में प्रस्तुत कर रहा हूँ:


महाराज जी के वचन

प्रश्न:
ऐसे कौन-कौन से पाप हैं जिनका कोई फल नहीं मिलता?

महाराज जी का उत्तर व मुख्य बिंदु:

  • मन में कोई पाप का विचार आया, पर आचरण में नहीं उतरा, तो उसका दंड तो नहीं मिलेगा।
  • लेकिन, मन मलिन हो गया, कमजोर हो गया – यही उसका परिणाम है।
  • कोशिश करें कि मन में भी पाप-आचरण का विचार न आए।
  • मानसिक पाप का दंड नहीं, पर मन की मलिनता उसका परिणाम बनती है – आगे चलकर वही विचार संकल्प बनेगा, संकल्प क्रिया बनेगा, और जब वह आचरण बन जाएगा, तो दुर्गति तय है।
  • जितना हो सके पाप-आचरण का चिंतन भी न हो; भगवान का चिंतन हो, बार-बार “राधा राधा” रटें।
  • मन को गलत विचारों से दूर रखें, वरना मन में आई गंदी सोच सिर्फ सोच बनकर नहीं रह पाएगी, वह धीरे-धीरे कर्म में उतरती है।
  • पाप का कोई भी विचार बुरा है:
    • अगर संकल्प बन गया, कर्म में उतरा – तो उसका फल भुगतना ही पड़ेगा।
    • अगर मानसिक स्तर पर भी विचार पक्का हो जाए तो आगे चलकर ज़रूर गलत कर्म करवाएगा।
  • कोई ऐसा पाप नहीं है जिसका फल न मिले – सबका फल मिलता है।
  • हर क्रिया का परिणाम होता है, कोई भी कर्म बिना फल के नहीं होता।
  • कोई प्रायश्चित नहीं है, ऐसा भी नहीं – जैसे दवा रोग के लिए है, वैसे पाप का भी प्रायश्चित होता है।
  • बार-बार पाप करके, प्रायश्चित करके अगर मनुष्य मनमानी करता है, प्रायश्चित निष्फल हो जाएगा – भोगना तो पड़ेगा।
  • जो लोग डर गए कि पाप हो गया – वे भगवान का नाम-संकीर्तन करें, कथा सुनें, दूसरों का उपकार करें, पवित्र नदियों का स्नान करें, तीर्थ में जाओ, मंत्र अनुष्ठान करो, नाम-कीर्तन से पाप नष्ट होते हैं।
  • लेकिन आगे और पाप किए, तो पिछले प्लस हो जाएँगे; आज से संकल्प लें आगे नहीं करेंगे।
  • जैसे दवा दी गई है, लेकिन अगर परहेज नहीं हुआ, मनमानी खाने-पीने लगाने लगे, तो दवा भी बेअसर हो जाती है; वैसे ही लगातार पाप और प्रायश्चित पर भी पाप, तो प्रायश्चित असर नहीं करेगा – दंड तो भुगतना पड़ेगा।

संक्षिप्त सार:
हर पाप का कोई न कोई फल है — मन से किया पाप कर्म अगर आचरण में नहीं उतरे तब भी मन की मलिनता आ ही जाती है। लेकिन अगर वह विचार कर्म में बदल गया, तो उसका फल अवश्य मिलेगा, कोई भी पाप बिना फल के नहीं जाता। प्रायश्चित तभी तक काम करेगा जब आप आगे न दोहराएँ, लगातार पाप करने वाला प्रायश्चित निष्फल कर देता है।

Sources:
YouTube वीडियो “Ekantik Vartalaap #1074” 02:46 – 06:30youtube​

  1. https://www.youtube.com/watch?v=pf7UOGWuUcE

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