सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि
सौभाग्य सुंदरी तीज हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से विवाहित एवं अविवाहित महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य, पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और मंगलमय दांपत्य जीवन के लिए बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।
व्रत की तिथि और समय
सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। वर्ष 2025 में सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत की तिथि 8 नवंबर को है। इस दिन महिलाओं एवं कन्याओं के लिए उपवास, पूजा, और धार्मिक अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है।
सौभाग्य सुंदरी तीज का महत्व
- यह तीज सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
- इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवी पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने हेतु कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार किया।
- यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए भी शुभ फलदायक है क्योंकि इसे रखने से योग्य वर और मांगलिक विवाह की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
- व्रत रखने वाली स्त्रियां प्रातःकाल स्नान कर नया या स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं।
- भगवान शिव एवं माता पार्वती (गौरी) की मिट्टी, धातु या तस्वीर के रूप में स्थापना करें।
- देवताओं की बेल पत्र, अक्षत (चावल), पुष्प, दूध, दही, शहद, गंगाजल, आदि से विधिवत पूजा और अभिषेक करें।
- माता पार्वती को सुहाग की सामग्री – सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, काजल, मेहंदी, इत्यादि अर्पित करें।
- संध्या को कथा पढ़ी या सुनी जाती है तथा आरती कर प्रसाद वितरित किया जाता है।
- व्रत समाप्ति के पश्चात ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा, वस्त्र या भोजन देने से विशेष पुण्य मिलता है।
व्रत कथा
सौभाग्य सुंदरी तीज से संबंधित प्रमुख कथा के अनुसार: देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पर्वतराज हिमालय के घर कठोर तप किया। उनकी साधना और अटूट श्रद्धा से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार किया। इसी स्मृति में विवाहित महिलाएं अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली, सौभाग्य और अखंड सुख की कामना से यह व्रत करती हैं। कथा में यह भी कहा गया है कि कन्याएं भी यदि इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक रखें तो उन्हें श्रेष्ठ और इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
सौभाग्य सुंदरी तीज का महत्व विवाहित एवं अविवाहित महिलाओं के लिए
- विवाहित महिलाएं : यह पर्व उनके लिए जीवनभर के सौभाग्य की प्राप्ति, पति की दीर्घायु और दांपत्य सुख के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- अविवाहित कन्याएं : मनचाहा वर पाने, विवाह में आने वाली बाधाओं की निवृत्ति एवं सुस्त जीवन के लिए यह व्रत शुभ माना गया है।
पूजा के सामग्रियाँ
- मिट्टी या किसी धातु की शिव-पार्वती प्रतिमा
- बेलपत्र, पुष्प, दूर्वा, चंपा
- अक्षत, कच्चा दूध, दही, शहद
- शुद्ध जल या गंगाजल
- सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, काजल, लाल वस्त्र
- धूप, दीप, कपूर, नैवेद्य (मीठा प्रसाद)
- फल, पंचामृत, सुपारी, नारियल
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- व्रत के पूरे दिन संयम, सात्विकता और पवित्रता का ध्यान रखें।
- भगवान शिव-पार्वती के मंत्र, भजन एवं आरती करें।
- कथा सुनने या पढ़ने के बाद धन, वस्त्र, या अन्न का दान करें।
- पार्थिव सामग्री यथा चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, कपड़े आदि स्त्रियों में बांटना शुभ माना जाता है।
सौभाग्य सुंदरी तीज पर व्रत रखने की विधि (विस्तृत)
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान के बाद माता पार्वती व भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए पूजा स्थल को स्वच्छ करें। पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं, उस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा या फोटो रखें। बेलपत्र, पुष्प, और विशेष रूप से सुहाग की वस्तुएं देवी को अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें और माता पार्वती को दूध, दही, और शहद से स्नान कराएं। फिर पूजा की थाली में सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, काजल (सुहाग का सामान) सजाएं और देवी पार्वती को अर्पित करें। अंत में कथा सुने और परिवार के समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
व्रत की कथा (विस्तार)
प्राचीन कथा के अनुसार, पार्वती जी ने शिव जी को पति के रूप में पाने की इच्छा से घोर तपस्या की। कई वर्षों तक कठोर तप और उपवास करके उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया। इसी समर्पण को देखकर भगवान शिव ने पार्वती जी को स्वीकारा और उनका विवाह हुआ। अतः इस व्रत की मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक जो महिलाएं इस व्रत को करती हैं, उनके दांपत्य जीवन में प्रेम, सम्मान और सामंजस्य बना रहता है।
सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत से जुड़े अन्य तथ्य
- कई स्थानों पर इस दिन महिलाएं समूह में एकत्र होकर शिव-पार्वती की सामूहिक पूजा करती हैं।
- महिलाएं सौंदर्य प्रसाधन और गहनों से सजती हैं तथा नृत्य-गान व लोकगीतों का आयोजन करती हैं।
- इस व्रत के दौरान उपवास का विशेष महत्व है, यथाशक्ति निर्जला या फलाहारी व्रत रखा जाता है।
- दिनभर व्रत रहने के बाद संध्या को कथा व आरती कर व्रत संपन्न किया जाता है।
वैज्ञानिक एवं सामाजिक पहलू
इस व्रत के सामाजिक महत्व को देखें तो इससे महिलाओं में एकता, सांस्कृतिक चेतना और सौहार्द की भावना का विकास होता है। व्रत में सेवन की जाने वाली सात्विक चीजें एवं व्रत का संयम शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं। साथ ही इस व्रत के माध्यम से परिवार एवं समाज में स्त्री के सम्मान, दांपत्य जीवन के महत्व, और परंपरा के प्रति जिम्मेदारी का भाव पनपता है।
निष्कर्ष
सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने, वैवाहिक जीवन के सुचारु संचालन तथा जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, प्रेम, एवं सौभाग्य लाने का माध्यम है। यह पर्व महिलाओं के लिए अपने पति व परिवार के प्रति प्रेम, निष्ठा और समर्पण भाव को सांस्कृतिक स्तर पर प्रकट करता है। सही विधि, श्रद्धा और नियमों से किए गए इस व्रत का फल अवश्य मिलता है और परिवार में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है।






