Property बेचने पर Tax बचाने का आसान फॉर्मूला! 

यहाँ यूट्यूब वीडियो “Property बेचने पर Tax बचाने का आसान फॉर्मूला!” का सारांश और विस्तार से 3000 शब्द का हिंदी लेख प्रस्तुत है, जो घर या जमीन बेचने के बाद टैक्स बचाने के तरीकों पर है।


भूमिका

भारत में प्रॉपर्टी बेचना अक्सर उन्हें आर्थिक लाभ देता है, लेकिन साथ ही सरकार को टैक्स भी देना होता है। बहुत से लोग यह सोचते हैं कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, परंतु जब सही जानकारी मिल जाए तो आप अपनी टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकते हैं। इस लेख में मशहूर टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली की सलाहों और CNBC आवाज़ के प्लेटफॉर्म पर लक्ष्मण रॉय के सवालों- जवाब के आधार पर आपको टैक्स बचत के सभी रास्ते विस्तार में मिलेंगे।


शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

सबसे पहला सवाल जो हर प्रॉपर्टी सेलर के दिमाग में होता है — आखिर प्रॉपर्टी बेचने पर कौन-सा टैक्स लागू होता है, और इसे कैसे बचाया जा सकता है? इसका जवाब दो अवधारणाओं में छुपा है: शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)।

  • अगर आपने संपत्ति 24 महीने (2 साल) से कम समय तक रखी तथा बेच दी, तो आपका गेन शॉर्ट टर्म कहलाएगा और आपकी कुल आमदनी के टैक्स स्लैब में ही जोड़ दिया जाएगा।
  • उदाहरण: आपकी वार्षिक इनकम ₹15 लाख है, और प्रॉपर्टी बेचकर आपको ₹1 लाख मिला, तो टोटल इनकम ₹16 लाख मानी जाएगी और उसी पर टैक्स स्लैब लागू होगा।
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में अलग से कोई टैक्स बचत की स्कीम या रियायत नहीं मिलती।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन तब लागू होगा जब आपने प्रॉपर्टी 24 महीने से ज़्यादा समय तक रखी होगी। इसमें बहुत सारी टैक्स बचत की राहें खुलती हैं।


2024 के बजट के बाद बदलाव

23 जुलाई 2024 के बजट में एक बड़ा बदलाव हुआ है:

  • पहले LTCG पर 20% टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ मिलता था।
  • अब दो विकल्प हैं:
    • 20% टैक्स इंडेक्सेशन के साथ
    • या 12.5% टैक्स बिना इंडेक्सेशन के

यदि प्रॉपर्टी 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई है तो आपको दोनों विकल्प मिलते हैं। यदि बाद में खरीदी है, तो सिर्फ 12.5% टैक्स बिना इंडेक्सेशन लगेगा।


इंडेक्सेशन का लाभ

  • इंडेक्सेशन आपके रियल प्रॉफिट को महंगाई के अनुसार कम करता है।
  • 1 अप्रैल 2001 से इंडेक्सेशन शुरू होता है। अगर आपकी प्रॉपर्टी इससे पहले की है, तो उस डेट तक वैल्यूएशन कराएं और महंगाई इंडेक्स लागू करें।
  • इससे आपकी कॉस्ट बढ़ जाती है, जिससे कैपिटल गेन घट जाता है और टैक्स की रकम भी कम होती है।

कैसे करें इंडेक्सेशन लागू:
मान लें आपने 1 लाख की प्रॉपर्टी ली थी, वर्तमान इंडेक्स 350 है तो आपकी कॉस्ट 3.5 लाख मानी जाएगी। अगर 10 लाख में बेची, तो गेन सिर्फ ₹6.5 लाख ही बचेगा जिस पर टैक्स लगेगा।


टैक्स बचाने के मुख्य तरीके

1. नया घर खरीदना (Section 54)

  • यदि आपने घर बेचकर घर खरीदा, Section 54 का लाभ ले सकते हैं।
  • बेचने से एक साल पहले या दो साल बाद तक घर खरीदने की छूट।
  • सिर्फ प्रॉफिट (गेन) को नए घर में लगाएं, पूरी बिक्री रकम लगाने की जरूरत नहीं।
  • अधिकतम 10 करोड़ की सीमा।
  • अगर घर नहीं खरीद रहे, बल्कि बना रहे हैं, तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट 3 साल के भीतर जरूरी है।
  • रजिस्ट्रेशन या अलॉटमेंट की डेट से गणना होती है।

2. प्लॉट बेचकर घर खरीदना (Section 54F)

  • यदि नॉन-रेजिडेन्शियल प्रॉपर्टी (जैसे प्लॉट) बेची और घर खरीदा, सेक्शन 54F में पूरा पैसा नए घर में लगाना जरूरी है।
  • नियम वही रहते हैं – एक साल पहले/दो साल बाद या 3 साल में कंस्ट्रक्शन।

3. बांड्स में निवेश (Section 54EC)

  • यदि आप घर या जमीन बेचकर नया घर नहीं खरीदना चाहते, तो टैक्स बचाने के लिए स्पेसिफाइड बांड्स (NHAI, REC आदि) में निवेश करें।
  • अधिकतम ₹50 लाख तक निवेश संभव है।
  • 6 महीने के भीतर निवेश करें, 5 साल लॉक-इन पीरियड।

कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम

अगर घर खरीदने या बनाने में वक्त लगे, और रिटर्न फाइलिंग डेट आ गई है:

  • कैपिटल गेन अकाउंट किसी शेड्यूल्ड बैंक में खुलवाएं और पैसे उस अकाउंट में रख दें।
  • बाद में घर या कंस्ट्रक्शन के लिए निकाल सकते हैं।
  • अगर पैसा नहीं निकाला, तो टैक्स छूट वापस ले ली जाएगी।
  • पैनल्टी भी लग सकती है।

कैपिटल गेन की गणना

सिर्फ प्रॉपर्टी सेल प्राइस और खरीद कीमत का फर्क लेना काफी नहीं है। आप इनमें ये सब जोड़ सकते हैं:

  • इंडेक्सेशन से बढ़ी हुई कॉस्ट
  • प्रॉपर्टी की genuine इम्प्रूवमेंट, जैसे रेनोवेशन, एडिशन आदि।
  • ट्रांसफर के ऊपर हुई खर्च (रजिस्ट्रेशन, स्टाम्प आदि)
  • म्युनिसिपल टैक्स या निगम टैक्स इसमें नहीं आएंगे।

कॉस्ट बढ़ाएं, इससे कैपिटल गेन घटेगा और टैक्स भी कम लगेगा।


  • घर और प्लॉट में निवेश की सीमा और नियम अलग हैं।
  • 54 और 54F की सीमाएं और कंडीशन्स समझें।
  • एक से ज़्यादा घर होना टैक्स छूट को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

अगर आपने प्रॉपर्टी बेची है और मुनाफा कमाया है, तो घबराइए नहीं। टैक्स की चिंता न करते हुए ऊपर बताई गई विधियों को अपनाकर आप अपनी टैक्स लायबिलिटी कम कर सकते हैं। चाहे आप नया घर खरीदना चाहें, बांड्स में निवेश करना चाहें या कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम का फायदा उठाना चाहें – किरायेदार, रियल एस्टेट इन्वेस्टर या सेलर – सभी के लिए कोई-न-कोई राहत हो सकती है।

Important Points:

  • प्रॉपर्टी बेचने के बाद शॉर्ट टर्म/लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के नियम समझें।
  • बजट 2024 के बाद के नए टैक्स विकल्पों का लाभ लें।
  • इंडेक्सेशन सही तरीके से लागू करें।
  • Section 54, 54F, 54EC की शर्तों को समझकर सही विकल्प चुनें।
  • कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम ज़रूरत होने पर अपनाएं।
  • कंस्ट्रक्शन या रेनोवेशन की रकम टैक्स गणना में जोड़ना न भूलें।

लेख के अंत में सलाह यही है:
अगर टैक्स को लेकर कोई भी परेशानी है, एक्सपर्ट से सलाह लें और सरकार द्वारा दिए गए टैक्स छूट विकल्पों का पूरा लाभ उठाएं। सही प्लानिंग करें, सभी तारीखें व नियमों की पूरी जानकारी रखें, और अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बनाएं।


यह लेख वीडियो में दिए गए सभी मुख्य बिंदुओं को विस्तारपूर्वक बताता है ताकि आप प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स बचाने की सारी जानकारी पा सकें।

  1. https://www.youtube.com/watch?v=YFZw3BmdQEI

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