अगर कोई बेटा नहीं होगा तो वृद्धावस्थामें हमारी सेवा कौन करेगा ?
उत्तर- जिनके बेटे हैं, क्या वे सभी अपने माँ-बापकी सेवा करते हैं? आजकलके बेटे तो माँ-बापकी धन-सम्पत्ति अपने नाम करवाना चाहते हैं और श्राद्ध-तर्पणको फालतू समझते हैं तो ऐसे बेटे क्या सेवा करेंगे? वे तो केवल दुःखदायी होते हैं।
वास्तवमें प्रारब्धसे जैसी सेवा बननेवाली है, जितना सुख-आराम मिलनेवाला है, वह तो मिलेगा ही, चाहे पुत्र हो या न हो। हमने यह प्रत्यक्ष देखा है कि विरक्त सन्तोंकी जितनी सेवा होती है, उतनी सेवा गृहस्थोंके बेटे नहीं करते। तात्पर्य है कि बेटा होनेसे ही सेवा होती है, यह बात नहीं है।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक “गृहस्थ कैसे रहे ?” से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.