
यह मामला आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT), आगरा बेंच का है जिसमें श्री महेश्वरी (आगरा, उत्तर प्रदेश) को उनकी दो बहनों से नकद उपहार (कैश गिफ्ट) मिला था। आयकर विभाग ने इन गिफ्ट्स को लेकर संदेह जताते हुए नोटिस भेजा था, लेकिन उन्होंने न्यायालय में केस जीत लिया। नीचे विस्तृत हिंदी लेख दिया गया है जो पूरे मामले, कानूनी प्रक्रिया, और ITAT के निर्णय की विवेचना करता है।
मामला: भाई को बहनों से नकद उपहार मिला, आयकर विभाग ने नोटिस भेजा
आगरा के श्री महेश्वरी ने एक बहन से ₹2.74 करोड़ और दूसरी बहन से ₹6.25 लाख नकद उपहार के रूप में प्राप्त किए थे। दोनों बहनें विवाहित हैं और दिल्ली में रहती हैं। श्री महेश्वरी ने यह राशि अपने व्यवसाय में निवेश की और 2016-17 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल किया, जिसमें ₹10,80,770 की आय दिखाई थी ।economictimes.indiatimes
आयकर विभाग की शंका और जांच
आयकर असेसिंग ऑफिसर (AO) ने उनकी रिटर्न की जांच के दौरान पाया कि उनके कैपिटल में ₹1.80 करोड़ की वृद्धि दिखाई गई थी। पूछताछ में श्री महेश्वरी ने बताया कि उन्होंने अपने प्रॉपर्टरशिप फर्म में ₹3.67 लाख और ₹1.8 करोड़ का कैपिटल बढ़ाया है जिसके स्रोत दो बहनों से मिले उपहार थे। उन्होंने दस्तावेज दिए कि बहनों ने ये राशि अपने आयकर रिटर्न में भी दिखाई है ।economictimes.indiatimes
इसके बावजूद, AO ने दिल्ली वाली बहन से ₹5,00,000 (15 अप्रैल) और ₹5,00,000 (15 मई), साथ ही दूसरी बहन से ₹6,25,000 की राशि को बिना पर्याप्त दस्तावेज के मानकर उसको Section 68 के तहत “अस्पष्ट कैश क्रेडिट” घोषित कर दिया ।economictimes.indiatimes
कानूनी प्रक्रिया और अपील
श्री महेश्वरी ने AO के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की, लेकिन कमिश्नर ऑफ इंकम टैक्स (अपील) [CIT(A)] ने भी AO के फैसले को कायम रखा। CIT(A) ने कहा कि गिफ्ट की राशि का प्रमाण सही नहीं है और बहन की आय की छानबीन नहीं हुई है।
निराश होकर, श्री महेश्वरी ने ITAT आगरा बेंच में अपील की। कोर्ट ने सभी दस्तावेज — गिफ्ट डिक्लेरेशन, कनफर्मेशन, बहन की सेल डीड, बैंक स्टेटमेंट आदि — का गहन मूल्यांकन किया ।economictimes.indiatimes
ITAT का फैसला और प्रमुख बिंदु
ITAT ने पाया कि —
- दोनों बहनें वास्तव में श्री महेश्वरी की सगी बहनें हैं, जिससे गिफ्ट का लेनदेन स्वाभाविक था।
- गिफ्ट देने वाली बहन (दिल्ली) ने अपना संपत्ति बेचा और उससे प्राप्त नकद से गिफ्ट दिया।
- बहनों के बैंक स्टेटमेंट, संपत्ति बिक्री के दस्तावेज, और श्री महेश्वरी का बैंक स्टेटमेंट — सभी ने ट्रांजेक्शन की पुष्टि की।
- AO ने अपनी जांच में बहनों से कोई स्वतंत्र पुष्टि या पूछताछ नहीं की, जबकि सभी विवरण उपलब्ध थे।
- बहनों की क्रेडिटवर्थिनेस, गिफ्ट की प्रकृति, और लेनदेन की वास्तविकता साबित हो गई थी।
- केवल यह तर्क कि बहन की आय पर विभाग ने छानबीन नहीं की, यह उसकी क्रेडिटवर्थिनेस पर दाग नहीं लगा सकता।
ITAT ने कहा: “बहन द्वारा भाई को गिफ्ट देने का तथ्य डिक्लेरेशन और कनफर्मेशन से समर्थित है। गिफ्ट की राशि के स्रोत का प्रमाण भी प्रस्तुत किया गया है और बहन ने अपना कैपिटल गेन टैक्स भी चुकाया है। AO की जांच की कमी का दोष बहन या भाई पर नहीं लगाया जा सकता। इसलिए गिफ्ट को वैध और वास्तविक माना जाता है।”economictimes.indiatimes
कोर्ट का अंतिम निर्णय
ITAT ने श्री महेश्वरी के पक्ष में फैसला दिया। दोनों बहनों से मिले उपहारों को Section 68 के तहत अस्पष्ट क्रेडिट नहीं माना गया और आयकर विभाग की अतिरिक्त कर मांग रद्द कर दी गई ।economictimes.indiatimes
मामले के मुख्य कानूनी निष्कर्ष
- Section 68 में कोई राशि तभी जोड़ी जाती है जब व्यक्ति उसके स्रोत, दाता की पहचान और क्रेडिटवर्थिनेस साबित न कर पाए।
- इस मामले में भाई ने सभी जरूरी दस्तावेज पेश किए — दाता की पहचान, उनके बैंक स्टेटमेंट, संपत्ति बिक्री की रसीद और गिफ्ट डिक्लेरेशन।
- AO द्वारा कोई स्वतंत्र जांच न करना उनके विवेक का विषय है; इसका दंड प्राप्तकर्ता को नहीं मिल सकता।
- परिवार के सदस्य से मिला उपहार अगर पूर्णतया प्रमाणित और वैध है तो आयकर विभाग संदेह के आधार पर उसे अस्पष्ट नहीं मान सकता ।economictimes.indiatimes
केस के शिक्षण
- परिवार में नकद उपहार (गिफ्ट) लेन-देन की वास्तविकता, पूर्ण दस्तावेजी प्रमाण देने पर आयकर विभाग को संदेह करने का अधिकार नहीं।
- उपहार देने वाले का स्रोत और क्रेडिटवर्थिनेस स्पष्ट होनी चाहिए, जिसके लिए संपत्ति बिक्री, बैंक स्टेटमेंट, गिफ्ट डिक्लेरेशन आदि दस्तावेज आवश्यक हैं।
- AO द्वारा जांच नहीं करने या दाता से पूछताछ न करने का दोष प्राप्तकर्ता पर नहीं लगेगा।
- ITAT का यह निर्णय अन्य मामलों के लिए भी मिसाल बनेगा ।
निष्कर्ष
भाई ने दोनों बहनों से मिले नकद उपहारों की कानूनी और दस्तावेजी पुष्टि की, जिससे उसे आयकर विभाग के आरोपों से राहत मिली। ITAT आगरा बेंच ने उसकी अपील स्वीकार की और दोनों बहनों से मिले उपहारों को स्पष्ट और वैध मानते हुए आपत्तिजनक टैक्स ऐडिशन हटाया ।