
यह लेख Bobby Deol और राज शमानी के पॉडकास्ट “Figuring Out” के एपिसोड पर आधारित है, जिसमें बॉबी देओल ने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, परिवार, इंडस्ट्री में संघर्ष, ट्रोलिंग, शराब के साथ लड़ाई, और अपने शानदार कमबैक के बारे में खुलकर बात की।
बचपन, परिवार और स्टारडम का बोझ
Bobby Deol का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ। उनके पिता धर्मेंद्र बॉलीवुड के सुपरस्टार और मां प्रकाश कौर हैं। बॉबी कई बार इस बातचीत में दोहराते हैं कि बड़े फिल्मी परिवार में जन्म लेने से एक सुरक्षा और लगाव मिलता है, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है—बेहद ऊंची अपेक्षाएँ। “पूरी फैमिली स्टार्स से भरी है, जिससे हमेशा यह प्रेशर रहता है कि आपको भी वैसा ही बनना है या नाम खराब नहीं करना है।”
बचपन में उनके साथ कई घटनाएँ हुईं जिनका उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा। एक घटना जब वे दो साल के थे—घर की पहली मंजिल से गिर गए थे। इसका असर उनके पिता पर भी पड़ा, जिससे वे बहुत ज्यादा प्रोटेक्टिव हो गए। बॉबी बताते हैं कि उनकी लाइफ काफी शेल्टर्ड रही। उन्हें साइकिल चलाना भी घर के अंदर सीखना पड़ा और बाहर निकलने की अनुमति बहुत कम मिलती थी, खासतौर पर जब ‘बिल्ला-रंगा’ जैसी किडनैपिंग घटनाएं सुनी थीं।
जॉइंट फैमिली, प्यार और अनुशासन
Bobby Deol के घर में जॉइंट फैमिली का माहौल था। एक छत के नीचे भाई-बहन, चाचा-चाची और cousins—यहां तक कि उनकी दादी भी सबका ध्यान रखती थीं। “हम इतने सारे लोग थे कि किसी को बोरियत नहीं होती थी, हम खेलते रहते थे—चोर पुलिस, डब्बा स्पाइस, वॉलीबॉल।”
बॉबी को अपने पिता से सीखी सबसे अच्छी बात ‘दिल का बड़ा होना’ लगती है। “पापा कभी किसी को छोटा महसूस नहीं कराते, सबको बहुत प्यार और सम्मान देते हैं। कई बार पापा ने गलत व्यवहार करने वाले फैन को भी माफ कर दिया, उसे अंदर बुलाकर खाने-पीने को दिया।”
माँ के बारे में बताते हैं कि वो घर की ‘बैड कॉप’ थीं—अनुशासन के लिए। “मम्मी डांटती थीं, स्लीपर से मार तक देती थीं, ताकि पापा को पता ही नहीं चले कि हमने कुछ गलती की।” लेकिन उनकी माँ, बहनें और बाकी महिलाएं उनके लिए सबसे बड़ा सहारा थीं।
करियर की शुरुआत, सफलता और गिरावट
Bobby Deol अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताते हैं कि उन्हें इंडस्ट्री में काम मिलना परिवार के नाम और कनेक्शन्स से आसान था। “पहले लोग खुद काम के ऑफर लेकर घर आ जाते थे। डैड और भाई मिलकर सलाह करते,” लेकिन समय के साथ इंडस्ट्री बदल गई—अब खुद जाकर दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे।
उन्होंने ‘सोल्जर’, ‘गुप्त’, ‘और प्यार हो गया’, जैसी हिट फिल्में कीं, मगर कुछ समय बाद करियर में गिरावट आयी। इस पर वे कहते हैं—“मैं एक समय पर स्टार था, लेकिन धीरे-धीरे सब खो दिया। फिल्में मिलना बंद होने लगीं, बाकी एक्टर्स सब्जेक्ट्स छीन ले जाते थे। उस वक्त शराब ही मेरी साथी रह गई थी।”
संघर्ष, अवसाद, और आत्म-विश्वास की वापसी
झटकों, ट्रोलिंग, और इंडस्ट्री के रुख से लड़ते-लड़ते बॉबी ने भीतर से खुद को खो देना शुरू कर दिया था। “पांच-छह साल ऐसे बीते जब पार्टी में जाता, लेकिन दिल टूट जाता, लोग मजाक उड़ाते।”
एक किस्सा शेयर करते हैं—“एक दिन बेटा मां से कहता है, ‘आप रोज ऑफिस जाती हो, पापा तो हमेशा घर पर ही हैं।’ उस मोमेंट ने सब बदल दिया।” बॉबी ने खुद को संभालने का प्रण लिया, और धीरे-धीरे शराब की लत से बाहर आए। “खड़े रहो, कभी न भूलना कि कोई भी जंग जीत सकते हो।”
कमबैक—‘आश्रम’, ‘एनिमल’ और प्रेम की ताकत
कमबैक की असली ताकत बॉबी के लिए ‘आश्रम’ वेबसीरीज और फिल्म ‘एनिमल’ से आई। “एनिमल लुक, एनिमल ने सब बदल दिया। एक टीज़र से ही इतने मैसेजेस आए, मानो मुझे दोबारा नया जीवन मिल गया हो।”
Bobby Deol का मानना है कि इंडस्ट्री और जीवन दोनों में प्रेशर असली परीक्षा है। “जो प्रेशर हैंडल कर सकता है, वो ही हर दिन जिंदगी में आगे बढ़ सकता है।” वे ये भी कहते हैं— “मेरे लिए जीवन प्यार के बिना अधूरा है, प्यार और अपनापन सबसे ज़रूरी है।”
स्टार किड्स का संघर्ष और पहचान बनाने की जद्दोजहद
“स्टार किड होने का बोझ काफी भारी होता है। दूसरों को लगता है कि सब आसान मिलता है, पर ये पहचान का संकट बहुत बड़ा है—क्या अपनी खुद की पहचान बना पाओगे?” बॉबी अपने डैड की तारीफ करते हैं, जिन्हें सभी इतना प्यार और सम्मान देते हैं। वह कहते हैं, “मुझे जो भी प्यार और सम्मान मिलता है, वह मेरे पिता के कारण है।”
एक और दिलचस्प बात—बॉबी अपने भाई सनी देओल को ‘दूसरे पिता’ जैसा मानते हैं क्योंकि वे उनसे उम्र में काफी बड़े हैं, और हमेशा उनका ख्याल रखते हैं।
खुद का असली रूप खोजने की यात्रा
राज शमानी के एक कोट पर बॉबी विस्तार से बात करते हैं— “The only journey is the one within, but most of us are forced to stop halfway because we inherit destinies that aren’t ours.” बॉबी कहते हैं कि कभी-कभी हम दूसरों के expectations पूरा करने के चक्कर में खुद को खो देते हैं।
वो बताते हैं कि वे नेचुरली एक्स्ट्रोवर्ट थे, लेकिन परिवार के संरक्षण और अनुशासन के कारण वे इंट्रोवर्ट बन गए। “हमसे कभी पार्टीज़ में जाने, इंडस्ट्री की फैमिलीज़ से मिलने की इजाज़त नहीं थी, ताकि हम बिगड़ न जाएं।”
वे मानते हैं, “कोई भी परफेक्ट पैरेंट्स नहीं होता—हम सब सीखते हैं, और मुझसे भी कई गलतियां हुई होंगी।”
नज़रों का डर, परिवार में विश्वास और दृष्टिकोण
Bobby Deol और उनका परिवार बुरी नज़र या ‘नजर’ में विश्वास करता है। वे कहते हैं—“कल ही नजर उतरवाई थी, मम्मी हमेशा कहती थीं नजर उतारो, वाइफ भी मानती है।”
पारिवारिक रिश्तों में भी नज़र लगने का डर हमेशा रहता है, इसलिए अपने परिवार के बारे में ज्यादा नहीं बताते। “हमारी एक फैमिली वैल्यू है—बहुत ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए, नज़र लग जाती है।”
बच्चों, नामों और विरासत की बात
Bobby Deol चार बच्चे चाहते थे और अपने भाई-बहनों के न्यूट्रल नामों (सनी, लाली, अनु, बॉबी) पर ही अपने बच्चों के नाम रखना चाहते थे। हालांकि, उनकी दो संतानें हैं—बड़े बेटे का नाम ‘आर्यमन’ और दूसरे का ‘धर्म’, जो अपने दादा यानी धर्मेंद्र पर रखा।
वे मानते हैं कि परिवार के लिए सबसे जरूरी है प्यार, अपनापन और एक-दूसरे का सम्मान—ठीक वैसे ही जैसे उनके पिता ने घर में सिखाया।
इंडस्ट्री का बदलाव और खुद को ढूंढना
इंडस्ट्री के बदलाव पर बॉबी कहते हैं—एक समय था जब लोग परिवार से डरते थे, उनसे मिलने से डरते थे क्योंकि उनका परिवार इतना प्रतिष्ठित था। “लोग सोचते थे कि अगर उनके पास काम के ऑफर लेकर जाएंगे तो भाई गुस्सा आएंगे।”
पहले 10 साल बॉबी के करियर के शानदार थे, लेकिन समय के साथ प्रतिस्पर्धा, टैलेंट एजेंसीज़, और इंडस्ट्री के डायनामिक्स बदल गए। बॉबी स्वीकार करते हैं कि इन बदलावों को समझने और अपनाने में समय लगा।
सफलता की असली परिभाषा
अंत में Bobby Deol मानते हैं—“सफलता सिर्फ स्टारडम या पैसे से नहीं मिलती। असली सफलता है—खुद को पहचानना, अपने अंदर की यात्रा पूरा करना, वो इंसान बनना जिसने अपने डर को हराया।”
वे कहते हैं—“मेरे डैड हमेशा कहते थे, ‘तू गोल्डन चाइल्ड है।’ लेकिन मैंने कई सालों तक खुद को उस उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया। अब जब पापा कहते हैं, ‘तूने खुद को पा लिया है,’ तो वो सुनना ही मेरे लिए सबसे बड़ी सफलता है।”
प्रेरणा और आत्म-संशोधन की सीख
बॉबी देओल की यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो गिरने के बाद उठने की हिम्मत जुटा रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ फैमिली टैग, बल्कि इंडस्ट्री की राजनीति, शराब की लत और मानसिक चुनौतियों का सामना किया और फिर से चमक के साथ वापसी की।
उनकी सीख यही है—“कभी उम्मीद मत छोड़ो, कभी हार मत मानो। खुद को पहचानो और प्यार करो। क्योंकि जब तक आप खुद को नहीं जानेंगे, तब तक बाहर की दुनिया आपकी कद्र नहीं करेगी। असली मजबूती उस दबाव में है जब हर चीज आपके खिलाफ है—तभी असल इंसान बनने का मौका मिलता है।”
यह पूरी बातचीत, बॉबी देओल के जीवन, पारिवारिक मूल्यों, इंडस्ट्री के बदलाव, संघर्ष, कमजोरियों और पुनः उभरने की प्रेरणादायक कहानी को दर्शाती है। यह लेख बॉलीवुड, फैमिली, और सेलेब्रिटी वर्ल्ड से बाहर, हर इंसान के लिए प्रेरणा देता है जो अपने संघर्ष से जूझ रहे हैं—कि एक गोल्डन चाइल्ड या सुपरस्टार के लिए भी असली जीत खुद को पाना और खुद से सच्चा रहना है।youtube