Aishwarya Rai Bachchan ने मुंबई ITAT में जीता 4 करोड़ रुपये का इनकम टैक्स केस, जानें Section 14A और Rule 8D की कानूनी प्रक्रिया विस्तार से.
अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने एक महत्वपूर्ण आयकर मामला मुंबई ITAT में जीत लिया है, जिसमें उन पर टैक्स फ्री इनकम के निवेश संबधी खर्चों को नकारने हेतु विभाग ने 4 करोड़ रुपये की डीसएलाउन्स का दावा किया था। आखिरकार, जजमेंट उनके पक्ष में आया – जिससे न केवल ऐश्वर्या को राहत मिली, बल्कि आयकर कानून के तहत अनुमोदित प्रक्रियाओं और नियमों की व्याख्या भी सामने आई। इस विस्तृत हिंदी आर्टिकल में सामग्रियों/फैक्ट्स, कानूनी तर्क, केस हिस्ट्री, कर प्रक्रिया व फैसले का विश्लेषण प्रस्तुत है।
परिचय: केस का संक्षिप्त विवरण
22 अक्टूबर 2022 को ऐश्वर्या राय बच्चन ने असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए कुल ₹39 करोड़ की आय दर्ज की। उन्होंने टैक्स फ्री इनकम अर्जित करने वाली संपत्तियों में ₹4.7 करोड़ निवेश किया था। इसके बाद आयकर विभाग ने उनके रिटर्न को “पूर्ण जांच” के लिए चुना। जांच के दौरान कई बिंदुओं की पुष्टि के लिए नोटिस भेजा गया।
विभाग की कार्रवाई
- AO (Assessing Officer) ने Section 14A व Rule 8D के जरिए खर्चों की डीसएलाउन्स के लिए ऐश्वर्या को नोटिस भेजा।
- ऐश्वर्या ने अपनी ओर से ₹49 लाख का खर्च स्वेच्छा से डीसएलाउन्स कर दिया था, लेकिन AO ने इसे नकारते हुए ₹4 करोड़ से ज्यादा का डीसएलाउन्स निर्धारित कर लिया।
- AO ने average investment value (2020-21 के वित्त वर्ष में ₹460 करोड़) का 1% यानी ₹4.60 करोड़ खर्च मानकर इसमें से ₹49 लाख की छूट देते हुए शेष ₹4.11 करोड़ डिसएलाउन्स कर अंतिम आय ₹43 करोड़ तय कर दी।
ऐश्वर्या की प्रतिक्रिया व अपील प्रोसेस
- AO के ऑर्डर से असंतुष्ट होकर ऐश्वर्या ने CIT(A) के पास अपील की।
- CIT(A) ने AO के स्वविवेक के आधार पर मान्यता न देने को गलत माना और ऐश्वर्या के स्वेच्छा से किए गए डिसएलाउन्स को पर्याप्त ठहराया।
- इसके बाद आयकर विभाग ITAT मुंबई में चला गया, जहां 31 अक्टूबर 2025 को ऐश्वर्या राय बच्चन के पक्ष में आदेश आया।
वाद प्रक्रिया व दोनों पक्षों की दलीलें
टैक्स डिपार्टमेंट की दलील:
- विभाग का प्रतिनिधि ITAT मुंबई में बोला कि AO ने Section 14A और Rule 8D के प्रावधानों के अनुसार सही प्रक्रिया अपनाई।
- AO द्वारा डिसएलाउन्स की गणना व दस्तावेजी ‘संतुष्टि’ दर्ज की गई थी। AO ने अपने ऑर्डर में विस्तार से प्रक्रिया का उल्लेख किया।
ऐश्वर्या की ओर से दलीलें:
- ऐश्वर्या के प्रतिनिधि ने कहा कि AO ने सही तरीका नहीं अपनाया; AO ने विस्तार से दाखिल किए गए जवाब को बिना विचार किए खारिज कर दिया।
- AO ने यह नहीं बताया कि ऐश्वर्या की गणना में खामियां क्या थीं या उनकी दलील क्यों अस्वीकार की गई।
- कुल खर्च ₹2.48 करोड़ था जबकि AO ने ₹4.60 करोड़ की डिसएलाउन्स की, जिसे उन्हें “गैर-तार्किक” बताया।
ITAT मुंबई का फैसला
- ITAT ने पाया कि AO ने Section 14A (2) के तहत आवश्यक संतुष्टि दर्ज नहीं की।
- AO ने Rule 8D का सहारा लिया बिना ये स्पष्ट किए कि assessee की स्वेच्छा से की गई डिसएलाउन्स क्यों नाकाफी है।
- Tribunal ने Supreme Court के Maxopp Investments Ltd. Vs CIT (2018), 402 ITR 640 के फैसले को आधार बनाया।
प्रमुख बिंदु:
- सीए श्री सुराना के अनुसार AO को तर्क देना होता है कि क्यों assessee की खुद की डिसएलाउन्स पर्याप्त नहीं है।
- AO की गणना में total expenditure ही कम था जबकि डिसएलाउन्स ज्यादा लगाया गया।
- जैसा Vireet Investments Pvt. Ltd. (Special Bench) के फैसले में स्थापित है, केवल उन्हीं निवेशों पर Rule 8D लागू होगा जहां से वास्तव में tax free income मिली है।
डिसएलाउन्स की गणना का विवाद
| विवरण | 31 मार्च 2021 | 31 मार्च 2020 | औसत मूल्य |
|---|---|---|---|
| टैक्स फ्री निवेश | ₹4,49,43,98,145 | ₹4,71,82,79,581 | ₹4,60,63,38,863 |
- AO ने औसत मूल्य का 1% यानी ₹4.60 करोड़ की डिसएलाउन्स मानारी।
- ऐश्वर्या का स्वयं का डिसएलाउन्स – ₹49 लाख, जिसमें डायरेक्ट व इनडायरेक्ट खर्च शामिल थे – जैसे सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस।
- AO के मुताबिक कोई डिफेक्ट नहीं था फिर भी पूर्ण डिसएलाउन्स लगाया।
सुप्रीम कोर्ट और विशेष बेंच की मिसालें
Maxopp Investments Ltd. बनाम CIT:
- AO को Reasons देना/संतुष्टि दर्ज करना जरूरी है कि assessee की गणना पर्याप्त क्यों नहीं है।
- satisfaction दर्ज किए बिना Rule 8D लागू करना गलत है।
Vireet Investments Pvt. Ltd. (Special Bench):
- केवल उन्हीं निवेशों पर Rule 8D की गणना होनी चाहिए जिससे साल भर में वास्तविक तौर पर tax-free income मिली है।
अपील की निष्कर्ष व फैसले का प्रभाव
- ITAT ने AO द्वारा suo-motu डिसएलाउन्स के ऊपर किया गया कोई भी अतिरिक्त डिसएलाउन्स खारिज कर दिया।
- आय ₹39 करोड़ से बढ़ाकर की गई ₹43 करोड़ की अंतिम आकलन AO का तर्कहीन और अनुचित पर आधारित पाया गया।
- AO ने खातों की सही परख नहीं की और संतुष्टि/justification के बिना की गई डिसएलाउन्स को Tribunal ने गलत बताया।
फाइनल जजमेंट: “हमारे विचार में AO द्वारा assessee की स्वेच्छा से की गई डिसएलाउन्स के ऊपर किया गया डिसएलाउन्स बिना किसी आधार और तर्क के है तथा इसे हटाया जाना चाहिए। Revenue की अपील खारिज की जाती है।” Order Pronounced In Open Court On 31.10.2025।
टैक्स कानून, Section 14A और Rule 8D
Section 14A:
- वह प्रावधान है जिसके तहत AO डिसएलाउन्स कर सकता है यदि उसे लगता है कि assessee ने टैक्स फ्री आय पर खर्चों को पूरी तरह नहीं दिखाया।
Rule 8D:
- यह डिटेल मेथड है, जिसके तहत AO खर्च को कई हिस्सों में बांटकर गणना करता है:
- डायरेक्ट खर्च
- इनडायरेक्ट खर्च (प्रबंधन, प्रशासन आदि)
- 1% औसत निवेश मूल्य।
अगर AO को यकीन होता है कि assessee ने सही गणना नहीं की, तो Rule 8D लागू होता है, लेकिन AO को Reasons देना जरूरी है; satisfaction/औचित्य के बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता।
व्यापक प्रभाव और कानून के अनुरूप फैसला
- ITAT का निर्णय टैक्सपेयर्स और विभाग, दोनों के लिए मार्गदर्शक है कि AO केवल संतुष्टि के बाद ही Rule 8D का सहारा लें।
- असाधारण और अनुचित गणना, जैसे कुल खर्च से ज्यादा डिसएलाउन्स, Tribunal द्वारा अस्वीकार्य ठहराई गई।
- टैक्स फ्री इनकम पर खर्च की गणना में अब “वास्तविक” इन्वेस्टमेंट और सुप्रीम कोर्ट की गाइडेंस का पालन जरूरी है।
निष्कर्ष
Aishwarya Rai Bachchan का केस आयकर विभाग और टैक्सपेयर्स दोनों के लिए एक सीख है कि कोई भी अतिरिक्त डिसएलाउन्स AO केवल पर्याप्त कारण और औचित्य के साथ ही कर सकता है, बिना संतुष्टि दर्ज किए Rule 8D का आवेदन नहीं होगा। ये फैसला टैक्स कानून की प्रक्रियागत पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिससे वित्तीय फेयरनेस और न्यायिक संतुलन सुनिश्चित होता है।
यह हिंदी रिपोर्ट आयकर कानून के अनुशासन, AO की जिम्मेदारी, टैक्सपेयर्स के अधिकार, और सुप्रीम कोर्ट व ITAT की व्याख्या पर आधारित है। यदि आपको विस्तार, केस के तर्क, कानूनी नियम व जजमेंट की संक्षिप्त व्याख्या चाहिए तो उपरोक्त वर्णन पर विश्वास करें।






