खुद और अपने बच्चों को भगवान के मार्ग में कैसे चलाएं ?
How to guide yourself and your children on the path of God?
SPRITUALITY
प्रश्न- खुद और अपने बच्चों को भगवान के मार्ग में कैसे चलाएं ?
पांच बातें स्वीकार कर लो
1.सुमिरन- किसी भी एक नाम का सुमिरन
2. सेवा- माता-पिता की सेवा, गुरु की सेवा, भगवान की सेवा, परिवार की सेवा, पशु पक्षियों की सेवा.
3 स्वाध्याय -गीता जी भागवत जी या महापुरुषों के वचनों का स्वाध्याय, रोज नियम पूर्वक स्वयं अध्याय करना
4. सत्संग-किसी एक संत महापुरुष का जिससे तुम्हारा मन मिलता हो चाहे 30 मिनट ही सही रोज उनका सत्संग सुनो आजकल तो यंत्र (मोबाइल) आ गए हैं. भगवान की बड़ी कृपा हो गई है. आजकल तो अमेरिका से भी सत्संग सुन सकते हैं.
5. समाधि -समाधि का मतलब है एक घंटा कम से कम ऐसा समय देना चाहिए जिसमें हम कुछ ना करें शांत बैठ जाएं. एकमात्र केवल चिंतन नाम का रख ले, बार-बार जहां मन जाए हटा करके नाम पर लगाए. लिखा हुआ ध्यान पूर्वक क्योंकि अभी व्यक्त में चित्त जोड़ पाने की सामर्थ्य नहीं है, स्वरूप में और परमात्मा के रूप का भी प्रकाश नहीं है तो नाम जैसे राधा, अब हम राधा आँख खोलकर देखे, आंख बंद करके देखें, शांत व बराबर. मन को हटाकर राधा में अगर हम 10 मिनट से शुरू करें तो हमें शांति प्राप्त होने लगेगी.
कैसे करे स्वाध्याय ?
जब हम स्वाध्याय करें तो अपने बच्चों को बिठाये, परिवार के जितने अपने अनुकूल हो, वे बैठ करके सुने, जैसे भागवत सुना रहे हो, श्लोक अर्थ सहित, गीता जी सुन रहे हो अर्थ सहित.
कैसे डाले बच्चों में संस्कार ?
सुमिरन भी बच्चो को पांच मिनट का अभ्यास करवाए. जैसे नाश्ता बना रहे हैं तो 5 मिनट ताली बजाकर राधा राधा बोलो, अब बच्चे भी राधा राधा बोले. क्योंकि आप संस्कार डाल रहे हो.
माता-पिता के चरण छूना, माता-पिता से सभ्यता से बात करना, उनको अभी से संस्कार डालो, जब गीता और भागवत सुनाओ. समझ में चाहे भले ना आए लेकिन वे उनके ऊपर अपना प्रभाव दिखाएंगे, यह संत वाक्य है अपना प्रभाव दिखाते हैं.
जब आप संकल्प करोगे मेरे बच्चे अच्छे बने तो उसका प्रभाव पड़ेगा. तो सुमिरन, सेवा, सत्संग, स्वाध्याय और समाधि. यह पांच संस्कार है. अगर यह पास साधन स्वीकार कर लो तो भगवत प्राप्ति हो जाएगी.
धीरे-धीरे उनमें संस्कार डालिए.
सुमिरन कैसा हो
जैसे यहां ब्रज की जो युवतियां हैं, गांव के बाहर कुआं कुमार से पानी लाती है तो एक हाथ में रस्सी, बाल्टी, एक हाथ में मटकी और तीन मटकी ऊपर रखी है और आपस में बातचीत कर रही हैं लेकिन पूरी चित्त वृत्ति मटकियों पर है क्योंकि अगर बैलेंस बिगड़ जाएगा तो मटकी गिरेगी.
एकाग्रता भगवान के चिंतन में हो और कार्य संसार के हो तो बहुत बढ़िया भजन होने लगेगा.
लोगों को भजन का मतलब समझ में आता है कि आसन में बैठकर माला चलाना है.
नहीं फावड़ा चलाना भी भजन है, राधा, राम, कृष्ण बोल रहे हैं और फावड़ा भी चलाये. जैसे माला जपते हुए बाबा जी बोल रहे हैं वैसे फावड़े में भी बोल सकते हैं. यह बढ़िया भजन है. भजन को समझना होगा. अब हर समय कंप्यूटर में थोड़ी बैठे रहते हैं. मान लो खाली हो. राधा राधा एक घंटा जो हमने किया वह भगवान को समर्पित कर दिया.
तो सेवा, सुमिरन, स्वाध्याय , सत्संग और समाधि यह पांच किसी को भी भगवत प्राप्ति कर सकते हैं, कर्म वाय कर्म, इसका अभ्यास करता रहे.
सुमिरन तो 24 घंटे.
सेवा जितना बन सके माता-पिता परिवार पशु पक्षी भारत के जितने भी सेवा बन जाए।
महाराज जी के अनमोल प्रवचन विडियो में सुनने के लिए क्लिक करे.