रोना-धोना बंद करो: सत्संग से दूर होंगे सारे कष्ट और दुःख – श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के सत्संग की शक्ति: कैसे सत्संग, नामजप और समर्पण से जीवन के सभी कष्ट और दुःख दूर होते हैं। सम्पूर्ण हिंदी मार्गदर्शक।

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6/21/20251 min read

भूमिका

जीवन में दुःख, चिंता, निराशा और कठिनाइयाँ हर किसी के हिस्से आती हैं। कई बार हम इनसे घबराकर रोना-धोना, शिकायत या डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। लेकिन क्या सच में रोना-धोना समाधान है? क्या कभी किसी ने केवल चिंता करके, रोकर अपने जीवन की समस्याओं को हल किया है?


श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के सत्संग में स्पष्ट रूप से कहा गया है –

"रोना-धोना बंद करो, ये सत्संग आपके सारे कष्ट और दुःखों को हर लेगा।"

यह लेख उन्हीं के अमृत वचनों, सत्संग की शक्ति, नामजप, भक्ति और समर्पण के महत्व पर आधारित है। इसमें आप जानेंगे कि कैसे सत्संग और सही मार्गदर्शन से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज: परिचय

श्री हित प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के रसिक संत हैं, जिनका जीवन और शिक्षाएँ भक्तियोग, नामजप और आत्म-समर्पण पर आधारित हैं। वे मानते हैं कि सच्चा सुख केवल भगवान के चरणों में ही है, और संसार के भोग-विलास, आशाएँ, अपेक्षाएँ केवल दुःख का कारण हैं।

उनकी शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि –

  • बाहर की दुनिया में समाधान ढूँढने के बजाय, भीतर की यात्रा करो।

  • नामजप, सत्संग, भक्ति और समर्पण से ही जीवन का उद्धार संभव है।

  • भगवान पर पूर्ण विश्वास और समर्पण से ही जीवन की सारी समस्याएँ हल होती हैं।

सत्संग: दुःखों का नाशक

सत्संग क्या है?

‘सत्संग’ का अर्थ है – सत (सच्चाई, परमात्मा) के साथ संग (संपर्क, जुड़ाव)। जब हम संतों की संगति में बैठते हैं, उनकी वाणी सुनते हैं, तो हमारे मन के विकार, भ्रम, चिंता, भय, मोह आदि स्वतः दूर होने लगते हैं।

सत्संग का मनोवैज्ञानिक प्रभाव

  • चिंता और डिप्रेशन का समाधान:
    सत्संग में जब हम संतों के अनुभव, प्रेरणादायक कथाएँ, और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ते हैं, तो मन शांत होता है।

  • आत्मबल और विश्वास:
    सत्संग से आत्मबल बढ़ता है, भगवान पर भरोसा मजबूत होता है।

  • सकारात्मक सोच:
    सत्संग में बार-बार यही सिखाया जाता है कि सब कुछ भगवान की कृपा से होता है, इसलिए हर परिस्थिति में सकारात्मक रहो।

श्री महाराज जी का संदेश

महाराज जी कहते हैं –

"कष्ट, दुःख, तिरस्कार, ठोकर – ये सब भगवान की कृपा के संकेत हैं। जब संसार से आशाएँ टूटती हैं, तभी असली ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग खुलता है।"

नामजप: सबसे सरल और शक्तिशाली साधना

नामजप की महिमा

  • कलीयुग में सबसे सरल:
    महाराज जी बार-बार कहते हैं – "कलीयुग में भक्ति सबसे सरल मार्ग है, और नामजप उसका सबसे शक्तिशाली साधन।"

  • मन की शांति:
    जब हम ‘राधा-राधा’ या अपने इष्ट का नाम निरंतर जपते हैं, तो मन के विकार, चिंता, भय, अवसाद स्वतः दूर हो जाते हैं।

  • सकारात्मक ऊर्जा:
    नामजप से हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हम हर परिस्थिति में स्थिर और संतुलित रहते हैं।

नामजप का अभ्यास कैसे करें?

  1. नियमित समय पर बैठें:
    प्रतिदिन एक निश्चित समय पर शांत स्थान पर बैठें।

  2. माला या बिना माला के:
    माला लेकर या बिना माला के, केवल मन से अपने इष्ट का नाम जपें।

  3. पूर्ण समर्पण:
    नामजप करते समय मन, वचन, कर्म तीनों से भगवान को समर्पित करें।

  4. संकल्प और धैर्य:
    शुरुआत में मन भटकेगा, लेकिन धैर्य रखें। धीरे-धीरे मन स्थिर होगा।

समर्पण: भगवान को अपना सर्वस्व मानो

समर्पण का अर्थ

समर्पण का अर्थ है – अपने मन, वचन, कर्म, अहंकार, इच्छाएँ, अपेक्षाएँ – सब कुछ भगवान के चरणों में अर्पित कर देना।
महाराज जी कहते हैं –

"भगवान को अपना सर्वस्व सौंप दो, फिर देखो कैसे जीवन में चमत्कार होते हैं।"

समर्पण के लाभ

  • डिप्रेशन और चिंता से मुक्ति:
    जब आप अपने जीवन की सारी जिम्मेदारी भगवान पर छोड़ देते हैं, तो चिंता, भय, तनाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं।

  • सच्चा सुख:
    समर्पण से ही सच्चा, स्थायी और अविनाशी सुख मिलता है।

  • भगवत्कृपा:
    भगवान उन्हीं पर विशेष कृपा करते हैं, जो अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर देते हैं।

समर्पण का अभ्यास

  • मन में बार-बार दोहराएँ:
    "हे प्रभु, अब मैं आपका हूँ, जैसा चाहो वैसा करो।"

  • संकट में भी भरोसा:
    सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान – हर स्थिति में भगवान पर भरोसा रखें।

  • अन्य आश्रय न लें:
    महाराज जी कहते हैं – "प्रभु के सिवा किसी और के आगे हाथ मत फैलाओ।"

जीवन में सत्संग, नामजप और समर्पण का महत्व

1. सत्संग से सकारात्मक सोच

सत्संग में संतों की वाणी सुनकर, मन के भीतर छुपे नकारात्मक विचार, भय, हीनता, मोह आदि दूर होते हैं। सत्संग से जीवन में आशा, विश्वास और ऊर्जा का संचार होता है।

2. नामजप से मन की शुद्धि

नामजप से मन की चंचलता, विकार, और अशांति दूर होती है। निरंतर नामजप से मन निर्मल, शांत और आनंदित रहता है।

3. समर्पण से पूर्ण सुरक्षा

समर्पण से जीवन की सारी जिम्मेदारी भगवान पर आ जाती है। फिर कोई भय, चिंता या असुरक्षा नहीं रहती।
महाराज जी कहते हैं –

"भगवान अपने भक्त के लिए दास बन जाते हैं।"

श्री महाराज जी के अमृत वचन (प्रवचन का सार)

  • "भगवान जिसे अपनाना चाहते हैं, उसे जगत से ठोकर लगवाते हैं।"
    जब संसार से आशाएँ टूटती हैं, तब ही व्यक्ति भगवान की शरण में जाता है।

  • "कष्ट, तिरस्कार, ठोकर – ये कृपा है, शाप नहीं।"
    ये सब हमारे मोह, अज्ञान और अहंकार को दूर करने के लिए आते हैं।

  • "नामजप और समर्पण से ही सच्चा सुख है।"
    बाहरी साधनों, यज्ञ, तीर्थ, दान आदि से ज्यादा जरूरी है – नामजप और समर्पण।

  • "भगवान अपने भक्त के लिए सब कुछ कर सकते हैं।"
    जब भक्त अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है, तो भगवान भी उसके दास बन जाते हैं।

  • "डिप्रेशन का इलाज – नामजप और सकारात्मक सोच।"
    व्यर्थ की चिंता, कल्पना, भय – ये सब पाप कर्मों के कारण हैं। नामजप से पाप नष्ट होते हैं, मन निश्चिंत होता है।

सत्संग, नामजप और समर्पण: आधुनिक जीवन में क्यों जरूरी?

1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए

आजकल डिप्रेशन, चिंता, अकेलापन, तनाव – ये आम समस्याएँ हैं। दवाइयाँ केवल अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन मन की स्थायी शांति सत्संग, नामजप और समर्पण से ही मिलती है।

2. पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए

सत्संग से परिवार में प्रेम, सहयोग, और सकारात्मकता आती है। नामजप से घर का वातावरण पवित्र और शांत रहता है। समर्पण से आपसी विवाद, ईर्ष्या, द्वेष आदि दूर होते हैं।

3. व्यक्तिगत आत्म-विकास के लिए

सत्संग और नामजप से आत्मबल, आत्मविश्वास, और आत्मज्ञान बढ़ता है। समर्पण से अहंकार, लोभ, मोह आदि विकार दूर होते हैं।

श्री महाराज जी के जीवन से प्रेरणा

श्री हित प्रेमानंद जी महाराज का जीवन स्वयं एक उदाहरण है कि कैसे नामजप, भक्ति और समर्पण से जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आते हैं।

  • उन्होंने कभी संसार से कोई अपेक्षा नहीं रखी।

  • केवल अपने आराध्य श्री राधा रानी के नाम का जप और सेवा की।

  • आज लाखों लोग उनके सत्संग से प्रेरित होकर जीवन बदल रहे हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: सत्संग में क्या करना चाहिए?
A: सत्संग में संतों की वाणी ध्यान से सुनें, मन से ग्रहण करें, और जीवन में उतारें। प्रश्न पूछें, शंका समाधान करें, और सकारात्मक ऊर्जा लें।

Q2: नामजप कैसे शुरू करें?
A: सुबह-शाम शांत स्थान पर बैठकर, माला लेकर या बिना माला के, अपने इष्ट का नाम जपें। शुरुआत में 10-15 मिनट से शुरू करें, धीरे-धीरे बढ़ाएँ।

Q3: समर्पण का अभ्यास कैसे करें?
A: हर परिस्थिति में मन में दोहराएँ – "हे प्रभु, अब मैं आपका हूँ।" सुख-दुःख में भगवान पर भरोसा रखें, और अन्य आश्रय न लें।

Q4: सत्संग से क्या लाभ होते हैं?
A: मन की शांति, सकारात्मक सोच, आत्मबल, डिप्रेशन से मुक्ति, और भगवान की कृपा – ये सब सत्संग के लाभ हैं।

Q5: क्या सत्संग, नामजप और समर्पण से सच में जीवन बदल सकता है?
A: हाँ, लाखों लोग इसका अनुभव कर चुके हैं। ये आध्यात्मिक साधन जीवन में स्थायी सुख, शांति और सफलता लाते हैं।

निष्कर्ष

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की वाणी हमें यही सिखाती है –
"रोना-धोना बंद करो, सत्संग, नामजप और समर्पण से जीवन के सारे कष्ट और दुःख दूर हो सकते हैं।"
सत्संग में बैठो, नामजप करो, भगवान पर भरोसा रखो, और अपने जीवन को भगवान के चरणों में समर्पित कर दो। यही सच्चा सुख, शांति और सफलता का मार्ग है।

अंतिम संदेश

जीवन में चाहे जितनी भी समस्याएँ आएँ, कभी हिम्मत मत हारो। सत्संग, नामजप और समर्पण को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाओ।


विश्वास रखो – भगवान की कृपा से सब कुछ संभव है।

जय श्री राधे!

Sources & Further Reading:

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जय श्री राधे!