सोनम रघुंवंशी मेघालय मर्डर मामले पर इशारों में महाराज जी ने दिया बड़ा सन्देश, पढ़े और माने

शादी में अपनी पसंद या परिवार की पसंद – क्या सही है? जानिए श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के अनुसार विवाह चयन के आध्यात्मिक, सामाजिक और नैतिक पहलू। सोनम रघुंवंशी मेघालय मर्डर मामले पर भी संकेत

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6/13/20251 min read

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विवाह चयन: अपनी पसंद या परिवार की पसंद?

"महाराज जी, आजकल के समय में बच्चे चाहे अपनी पसंद से शादी करें या माता-पिता की पसंद में, दोनों ही परिस्थिति में परिणाम अच्छे नहीं आते। ऐसे में हम कैसे पता लगाएं कि शादी अच्छे आएंगे, कैसे अच्छे आएंगे?

बच्चे, बच्चियां कैसी पोशाकें पहन रहे हैं

नहीं, अच्छे आयेंगे कैसे ? आजकल बच्चों और बच्चियों के चरित्र पवित्र नहीं हैं, तो अच्छे कैसे आएंगे? हमारी सारी माताओं, बहनों के पहले रहन-सहन देखो। बहम अपने गांव की बता रहे हैं, बूढ़ी थी, पर इतने से नीचे इतना... ( सिर से नीचे घुंघट करने का संकेत करते हुए) और आज बच्चे, बच्चियां कैसी पोशाकें पहन रहे हैं, कैसे आचरण कर रहे हैं?

एक से ब्रेकअप, दूसरे से व्यवहार

एक लड़के से ब्रेकअप, दूसरे से व्यवहार, फिर दूसरे से ब्रेकअप, फिर तीसरे से व्यवहार, और व्यवहार व्यभिचार में परिवर्तित हो रहा है।

जब चार पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई है, तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत उसमें नहीं रहेगी

कैसे शुद्ध होगा? मान लो, हमें चार होटल के भोजन खाने की जबान में आदत पड़ गई है, तो घर की रसोई का भोजन अच्छा नहीं लगेगा। जब चार पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई है, तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत उसमें नहीं रह जाएगी।

चार लड़कियों से व्यभिचार करने वाला अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा

ऐसे ही जब चार लड़कियों से व्यभिचार करता है, तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा, उसे चार से व्यभिचार करना पड़ेगा, क्योंकि उसने आदत बना ली है।

हमारी आदतें खराब हो रही हैं, हमारे बच्चों की आदत खराब हो रही है.

100 में दो चार कन्याये, बालक ही शायद पवित्र हो

ये सब जो मोबाइल चल गया, ये जो गंदी बातें चल गई हैं... अब आजकल बहू मिलना और या पति मिलना... बड़ा मुश्किल है, बड़ा मुश्किल है। सौ में कोई दो-चार कन्याएं ऐसी होंगी, जो अपना पवित्र जीवन रखकर किसी पुरुष को समर्पित होती होंगी।

कैसे वो सच्ची बहू बनेगी, जो चार लड़कों से मिल चुकी? वो सच्ची बहू बनेगी? जो चार लड़कियों से मिल चुका, सच्चा पति बन पाएगा?

धर्म प्रधान देश में विदेशी माहौल घुस गया

अब ये हमारा भारत देश धर्म प्रधान देश है। अब जो हमारे देश में गलतियां घुस गई हैं, विदेशी ये माहौल घुस गया है, ये लिविंग रिलेशन क्या है? गंदगी का खजाना, गंदगी का खजाना।

अरे, हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दे दी। जब मुगलों का आक्रमण हुआ, तो पवित्रता के लिए जान दे दी, लेकिन छूने नहीं दिया शरीर को। तो आज वही बच्चे, ये सब क्या है?

पति के लिए प्राण देने की परंपरा लेकिन आज पति के साथ क्या हो रहा है (sonam raguvanshi मामले कि ओर इशारा )

अपने पति के लिए प्राण देने की भावना हमारे देश में रही है कि हमारी जान चाहे चली जाए, मेरे पति का बाल बांका ना हो। और यहां पतियों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है।

अपनी पत्नी को प्राण माना गया है, अर्धांगिनी माना गया है। कहां हमारे देश की ये भाषाएं गईं? ये इसीलिए हो रहा है क्योंकि पहले से व्यभिचार हो रहा है। नहीं, हमारे यहां बहुत पवित्र व्यवहार माना गया। ब्याह हुआ, पूरे गांव के देवी-देवताओं का पूजन होता था, बुजुर्गों के आशीर्वाद लिए जाते, तब वो गृहस्थ धर्म में जाते थे।

आज पहले ही व्यभिचार किए बैठे हुए हैं, पहले ही गंदे आचरण किए बैठे हैं। क्या जानें उस पवित्र धारा को, क्या मानेंगे पाणिग्रहण को? नहीं, जिस पति ने पाणिग्रहण कर लिया, उसके लिए जीवन समर्पित किया जाता है।

हमारा भारत देश है, हमारा विदेश नहीं कि आज इसके साथ, कल उसके साथ, परसों उसके साथ।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चे, बच्चियां ही पवित्र नहीं

अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चे, बच्चियां ही पवित्र नहीं हैं। वो अगर किसी तरह से पवित्र मिल जाएं, तो भगवान का वरदान समझो।

हम कहते हैं, चलो, जो बचपन में गलती हो गई, हो गई, लेकिन ब्याह होने के बाद तो सुधर जाओ।

बड़ा विचित्र समय है, बड़ा विचित्र समय है।"

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महाराज जी के प्रवचन से क्या समाधान निकल कर आया

समाधान क्या है?

  • आत्मसुधार:
    सबसे पहले हमें अपनी आदतों और आचरण को सुधारना चाहिए।

  • संस्कारों की शिक्षा:
    बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक और नैतिक संस्कार भी देने चाहिए।

  • पवित्रता का महत्व समझना:
    विवाह से पहले और बाद में पवित्रता बनाए रखना चाहिए।

  • परिवार की सलाह:
    माता-पिता के अनुभव और आशीर्वाद का महत्व समझें।

  • आध्यात्मिक दृष्टि:
    विवाह को केवल व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का विषय न मानें, बल्कि उसे एक पवित्र सामाजिक और धार्मिक दायित्व समझें।

अपनी पसंद बनाम परिवार की पसंद – क्या चुनें?

महाराज जी के अनुसार, केवल अपनी पसंद या केवल परिवार की पसंद – दोनों ही पर्याप्त नहीं हैं। सबसे जरूरी है – चरित्र की शुद्धता, संस्कार, और पवित्रता। अगर लड़का-लड़की दोनों ही पवित्र हैं, संस्कारी हैं, और परिवार की सलाह का सम्मान करते हैं, तो विवाह सफल होगा – चाहे वह प्रेम विवाह हो या अरेंज्ड मैरिज।

युवाओं के लिए संदेश

  • अपने आचरण, संगति, और विचारों को शुद्ध रखें।

  • विवाह को केवल आकर्षण या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय न बनाएं।

  • परिवार की सलाह और आशीर्वाद को महत्व दें।

  • अपने जीवन में आध्यात्म और धर्म के संस्कार जोड़ें।

  • मोबाइल, सोशल मीडिया, और आधुनिकता के नाम पर अपने संस्कारों को न खोएं।

समाज के लिए संदेश

  • बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा दें।

  • परिवार में संवाद और विश्वास का वातावरण बनाएं।

  • विवाह को केवल एक रस्म न मानें, बल्कि उसे जीवन का पवित्र दायित्व समझें।

  • समाज में पवित्रता, नैतिकता और संस्कारों को पुनः स्थापित करें।

निष्कर्ष

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के अनुसार, विवाह में सफलता का रहस्य केवल अपनी या परिवार की पसंद में नहीं, बल्कि चरित्र की शुद्धता, संस्कार, और पवित्रता में है। यदि युवा अपने आचरण को सुधारें, परिवार की सलाह का सम्मान करें, और जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाएं, तो विवाह चाहे प्रेम से हो या परिवार की पसंद से – सुखद और सफल होगा।

संक्षिप्त रूप में:
शादी के लिए सबसे जरूरी है – पवित्रता, संस्कार और परिवार का आशीर्वाद। अपनी पसंद या परिवार की पसंद, दोनों में से जो भी चुनें, पहले खुद को सुधारें, संस्कारों को अपनाएं, और विवाह को एक पवित्र बंधन मानें1.

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