मंदिर के भंडारे में टेंट हाउस के Non-Veg वाले बर्तनों में बने प्रसाद का सेवन: धर्म, शास्त्र और भक्तों के लिए सही मार्ग

क्या मंदिरों के भंडारे में टेंट हाउस से आए उन बर्तनों में बने प्रसाद का सेवन करना उचित है जिनमें पहले मांसाहारी भोजन बना हो? जानिए धार्मिक दृष्टिकोण, शास्त्रीय नियम और संतों की राय।

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kaisechale.com

6/20/20251 min read

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मंदिरों के भंडारे में टेंट हाउस के Non-Veg बर्तनों में बने प्रसाद का सेवन: क्या है धार्मिक दृष्टिकोण?

मुद्दा क्या है?

अक्सर मंदिरों के भंडारे या धार्मिक आयोजनों में टेंट हाउस से बर्तन किराए पर लिए जाते हैं। कई बार इन बर्तनों में पहले मांसाहारी (Non-Veg) भोजन भी पकाया गया होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन बर्तनों में बने प्रसाद का सेवन करना चाहिए?

संतों और शास्त्रों की राय

  • श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के अनुसार, जिन बर्तनों में पहले मांसाहारी भोजन बना हो, उन बर्तनों में बने भोजन या प्रसाद को भगवान को भोग नहीं लगाया जा सकता और न ही भक्तों को उस प्रसाद का सेवन करना चाहिए। ऐसे भोजन को "अवक्ष भोजन" कहा जाता है, जो शास्त्रों के अनुसार राक्षसी और आसुरी बुद्धि को जन्म देता है। इसलिए ऐसे बर्तनों में बना प्रसाद पूरी तरह निषिद्ध है।

  • प्याज-लहसुन के संबंध में महाराज जी स्पष्ट करते हैं कि ये पदार्थ तमोगुण बढ़ाते हैं, लेकिन अगर ऐसे बर्तनों को अच्छे से साफ कर लिया जाए तो उनमें शाकाहारी भोजन बन सकता है, जबकि मांसाहारी बर्तनों के लिए यह छूट नहीं है।

  • शास्त्रों में भी साफ लिखा है कि पूजा, भोग और धार्मिक कार्यों के लिए शुद्ध, सात्विक और पवित्र बर्तनों का ही प्रयोग करना चाहिए। जिन बर्तनों में मांस या मदिरा बनी हो, उनका उपयोग वर्जित है।

शुद्धता और पवित्रता का महत्व

  • धार्मिक कार्यों में तामसिक (मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि) पदार्थों का त्याग किया जाता है ताकि मन और वातावरण शुद्ध रहे। यही कारण है कि मंदिरों में प्रसाद या भोग के लिए केवल शाकाहारी, सात्विक और शुद्ध बर्तनों का ही प्रयोग किया जाता है।

  • कई मंदिरों में तो रसोई में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश तक वर्जित है और बर्तन भी केवल मंदिर के अपने होते हैं, ताकि शुद्धता बनी रहे।

भक्तों के लिए मार्गदर्शन

  • यदि आप जानते हैं कि प्रसाद उन्हीं बर्तनों में बना है जिनमें पहले मांसाहारी भोजन बना था, तो ऐसे प्रसाद का सेवन न करें। यह शास्त्रों और संतों दोनों के अनुसार उचित नहीं है।

  • यदि केवल प्याज-लहसुन वाले बर्तन हैं और उन्हें अच्छी तरह साफ कर लिया गया है, तो उनमें बना शाकाहारी भोजन सेवन किया जा सकता है, लेकिन भगवान को भोग लगाने के लिए पवित्रता सर्वोपरि है।

  • शास्त्रीय दृष्टि से किसी भी प्रकार की अशुद्धता या तामसिकता धार्मिक कार्यों में वर्जित है, इसलिए हमेशा शुद्धता का ध्यान रखें।

निष्कर्ष

मंदिरों के भंडारे में टेंट हाउस के Non-Veg बर्तनों में बने प्रसाद का सेवन शास्त्रों और संतों की दृष्टि में वर्जित है। ऐसे प्रसाद को भगवान को भोग भी नहीं लगाया जा सकता। भक्तों को चाहिए कि वे केवल शुद्ध, सात्विक और पवित्र बर्तनों में बने प्रसाद का ही सेवन करें, जिससे उनकी भक्ति और साधना में शुद्धता बनी रहे।