झूठे आरोप लगने पर क्या करना चाहिए ?

What should one do when false allegations are made?

SPRITUALITY

Ekantik Vartalaap & Darshan/ 21-08-2024/ Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj

8/22/20241 min read

झूठे आरोप लगने पर क्या करना चाहिए ?

हमें झूठे आरोप के मामले में खुद को निर्दोश साबित करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए लेकिन फिर भी अगर हमको दंड भुगतना पड़ता है तो हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारे पूर्व के कोई पाप का हमें दंड मिल रहा है। फिर हमको भगवान का विधान मानके इसे भुगत लेना चाहिए।

एक व्यक्ति ने किसी एक महिला की हत्या करके उसको जंगल में जमीन पर गाड़ दिया। इस बात को कई साल हो गए। कोई जान नहीं सका। उस व्यक्ति का जीवन सुखमय बीतने लगा। एक दिन उस व्यक्ति के पड़ोस में एक सुनार का कत्ल करके दो पुलिसकर्मी रात में उसकी लाश एक बक्से में रखकर ले जा रहे थे। उस व्यक्ति ने दोनों पुलिसकर्मियों को देख लिया और पूछ लिया कि ये बक्सा कहां लेकर जा रहे हो। दोनों पुलिसकर्मियों ने उसे प्रलोभन दिया कि तुम किसी को मत बताना, हम तुम्हें इतने इतने पैसे देंगे। उस व्यक्ति ने मानने से इंकार कर दिया। दोनों पुलिसकर्मियों ने बक्सा उसके हाथ में थमा दिया। उसको पता नहीं था कि इसमें लाश है और दोनों पुलिसकर्मी चिल्लाने लगे कि देखों देखों यह बक्से में क्या ले जा रहा है। लोग आ गए और उसको गिरफ्तार करके ले गए। उस व्यक्ति की किसी ने नहीं सुनी। वह व्यक्ति कई साल जेल में रहा। जब जज उसको सजा सुनाने जा रहे थे तो उस व्यक्ति ने रो रो कर बताया कि दो पुलिसकर्मियों ने उन्हें ऐसे ऐसे फंसाया है। जज ने केस की तारीख आगे बढ़ा दी। जज को व्यक्ति की बात में कुछ सच्चाई लगी।

जज ने अपने एक कर्मी को मरने का ढोंग करने को कहा और इस कर्मी की लाश को दाह संस्कार करने के लिए उक्त दोनोें पुलिसकर्मियों को भेजा। उसी समय उस व्यक्ति को भी वहां भेज दिया जिसे उन दोनों पुलिसकर्मियों ने फंसाया था। दोनों पुलिसकर्मियों उसे देखकर हंस पड़े और बोले-तु अगर हमारी बात मान लेता तो आज सजा नहीं भुगतता। तुने कुछ भी नहीं किया था और तुझे यह दंड भोगना पड़ रहा है। पुलिसकर्मियों की बात सुनकर वे व्यक्ति बोला-नहीं नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मानूंगा। मुझसे पहले गलती हो चुकी है, अब कोई गलती नहीं करूंगा। अब जज का जो कर्मी मरने का ढोंग करके लाश बने वहां पड़ा था। उसके शरीर में रिकॉर्डिंग के यंत्र लगे थे। पुलिसकर्मियों और उस व्यक्ति की सब बात रिकॉड हो गई।

जज ने तारीख आने पर उस रिकॉर्डिंग के आधार पर उन दोनों पुलिसकर्मियों पर अभियोग चलाया। साथ ही उस व्यक्ति को बरी करते हुए एक बार पूछा कि आप रिकॉडिंग में कह रहे थे कि मुझसे पहले गलती हुई अब मैं फिर गलती नहीं करूंगा। आपको मैं कोई सजा नहीं दूंगा। आप मुझे वो गलती बताएं। वे व्यक्ति पहले चुप हो गया, फिर उसने बताया कि विगत में उसने एक लड़की को मारके जमीन में गाड़ दिया था। जज ने कहा आपको उस गलती की सजा भगवान ने दे दी। आप बिना कसूर इस मामले में कई जेल में रहे।

इसलिए हम यही कहते है कि हमारे पूर्व के कई पाप रहते है जिसका हम कोई प्रायश्चित नहीं करते जैसे भ्रूण हत्या, गर्भ हत्या,व्यभिचार जो प्रकाशित नहीं हुए है, ये पाप हमें आगे चलकर हमें निर्दोष अवस्था में हमें दंड दे देते है। हमें उसका दंड अवश्य भोगना पड़ता है।

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