गृहस्थ का खास धर्म क्या है?

गृहस्थ ही सबका माँ-बाप है, पालक है, संरक्षक है

SPRITUALITY

Geeta Press book ''गृहस्थमें कैसे रहें ?'' से यह लेख पेश

3/16/20241 min read

प्रश्न - गृहस्थ का खास धर्म क्या है?

उत्तर-ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास-इन चारों आश्रमों की सेवा करना गृहस्थ का खास धर्म है, क्योंकि गृहस्थ ही सबका माँ-बाप है, पालक है, संरक्षक है अर्थात् गृहस्थ से ही ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यासी उत्पन्न होते हैं और पालित एवं संरक्षित होते हैं। अतः चारों आश्रमोंका पालन- पोषण करना गृहस्थ का खास धर्म है।

अतिथि-सत्कार करनाए गाय-भैंस, भेड़-बकरी आदि को सुख-सुविधा देना, घर में रहने वाले चूहे आदि को भी अपने घर का सदस्य मानना, उन सबका पालन-पोषण करना गृहस्थ का खास धर्म है। ऐसे ही देवता, ऋषि-मुनि की सेवा करना, पितरों को पिण्ड दान देना, भगवान की विषेषता से सेवा (भजन-स्मरण) करना गृहस्थ का खास धर्म है।

यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.