मनुष्य ऋण क्या है और उससे छूटनेका उपाय क्या है?

मनुष्यऋण से छूटने का उपाय

SPRITUALITY

Geeta Press book ''गृहस्थमें कैसे रहें ?'' से यह लेख पेश

3/28/20241 मिनट पढ़ें

प्रश्न - मनुष्यऋण क्या है और उससे छूटनेका उपाय क्या है?

उत्तर-बिना किसीकी सहायता लिये हमारा जीवन-निर्वाह नहीं होता। हम दूसरोंके बनाये हुए रास्तेपर चलते हैं, दूसरोंके बनाये हुए कुएँ का पानी काममें लेते हैं, दूसरोंके लगाये हुए पेड़- पौधोंको काम में लेते हैं, दूसरोंके द्वारा उत्पन्न किये हुए अन्न आदि खाद्य पदार्थोंको काम में लेते हैं- यह उनका हम पर ऋण है। दूसरोंकी सुख-सुविधाके लिये कुआँ खुदवानेसे, प्याऊ लगानेसे, बगीचा लगानेसे, रास्ता बनवानेसे, धर्मशाला बनवानेसे, अन्न-क्षेत्र चलानेसे हम मनुष्यऋण से मुक्त हो सकते हैं।

पितृऋण, देवऋण, ऋषिऋण, भूतऋण और मनुष्यऋण ये पाँचों ऋण गृहस्थपर ही लागू होते हैं। जो भगवान्‌के सर्वश शरण हो जाता है, वह पितर, देवता आदि किसीका भी ऋण नहीं रहता, सभी ऋणोंसे छूट जाता है।

यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.