ऐसा लगता है, सब कुछ छोड़ छाड़ के आप के पास आ जाऊ It seems that I should leave everything and come to you.
Maharaj ji showed the way
SPRITUALITY
महाराज जी, राधे, राधे, महाराज जी। मैं पुलिस में कार्य करता हूँ। परिवार के लिए कम ही समय निकाल पाता हूँ। परमपिता, परमात्मा पर शुरू से ही पूरा विश्वास है। मैं किसी गुरुजन के सम्मान को ठेस या आघात नहीं पहुंचाना चाहता। लेकिन मैं किसी गुरुजन द्वारा बताई बातों पर ज्यादा यकीन नहीं कर पाता था। मानता था कि परमात्मा को कार्य, नौकरी व ग्रहस्थ के साथ सीधे ही प्राप्त किया जाता था। लेकिन जीवन में पहली बार आप जैसे दिव्य आत्मा को सुनते ही, वह देखते ही सब शंकाओं विचारों, पर विराम सा लग गया। बस लगा कि मेरी मंजिल यही है। मतलब आप ही हो। ऐसा लगता है, सब कुछ छोड़ छाड़ के आप के पास आ जाऊ . महाराज जी ने दिखाया रास्ता
महाराज जी का उत्तर
अभी कल भी हमने यही चर्चा की थी। अगर आप हमारी बात समझ जाओगे तो कर्तव्य छोड़ने की बात नहीं है.
और कर्तव्य करने की बात है। जब हम अपने लिए कुछ करते हैं तो हमें बैरागी की भावना की जरुरत होती है और जब ठाकुर जी के लिए करते हैं.
देखो हमारे पास इतने संत भगवान है और सब ने वृंदावनवास के लिए ही हमारी शरणागति स्वीकार की।
श्री जी के कार्य। तो अगर इनको दिल्ली जाना होता है तो मना थोड़ी करते हैं। उत्साह पूर्वक जाते है.
आगरे जाना है, कभी प्रश्न नहीं करते।
अब इनको खुशी क्या है? मैं श्री जी की सेवा के लिए आगरे जा रहा हूँ। मैं श्री जी की सेवा के लिए जा रहा हूँ । महाराज जी की अनुमति और आज्ञा से मैं जा रहा हूँ।
बस आप भी आज्ञा से काम करे। जिस डिपार्टमेंट में अभी तक तो मैं करता था। अब आज से मैं प्रभु के लिए काम कर रहा हूँ.
अधर्म का धन नहीं लूंगा।
न्यायपूर्वक चलूँगा। जो कानून का सिद्धांत है। उसके अनुसार चाहे भले प्राण निकल जाए। मैं ठीक आचरण करूँगा। तो फिर तुम महात्मा ही हो, पुलिस की वर्दी में भी तुम साधु हो.
क्योंकि तुम भगवान के अंश हो और भगवत भाव से चलते हो, वो ठीक वैसे ही फल मिलेगा जैसे एक माला चलाने से मिलता है। हमारी बात को समझ लो। भागने की जरुरत नहीं है.
आपको पसंद नहीं है लेकिन आप बच्चे में भगवत भाव करके पढ़ा लिखा उसको स्वस्थ कीजिए। उसको उन्नति के मार्ग में लगाइए।
आपको भले घर परिवार बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन पत्नी के सामने जाए वैसे जाइए, जैसे पति जाता है। स्वांग पक्का होना चाहिए. स्वांग में गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए. स्वांग में गड़बड़ी की तो अभी तुम सही खिलाड़ी हो ही नहीं।
बात पक्की समझना।
दिलवर को बताने की जरुरत नहीं वो जानता है.
दिल की बात। दिल में छुपा के चुप अन्दर ही अंदर।
बाहर से सबसे वैसे कोई जान न पाए कि आपकी स्थिति क्या है.
माया से निकल जाएंगे.
कोई जान लेगा तो चोर है बड़े बड़े ठग हैं, फिर लूटना शुरू कर देंगे।
बिल्कुल जैसे कहें वैसे करो.
कहीं भागने की जरुरत नहीं। कहीं कुछ छोड़ने की नहीं.
बस जो कुछ अभी अहंकार से कर रहे थे, अब से भगवत सेवा मन से करने लगे।
सब बात बन जाएगी।
बड़े बड़े महापुरुष जो साधना में लगे थे।
जैसे श्री रैदास जी, रविदास जी.
बड़े बड़े योगी जन को लगता था कि ये इतना कहाँ से सिद्ध महापुरुष है.
इन महापुरष का अपना जो सेवा कार्य था
वे कभी उस सेवा कार्य से डरे नहीं। अपने सेवा कार्य को भगवान की पूजा मानते थे और नाम जप करते थे.
रविदास जी के कठौते में बड़ा सिद्ध जल था.
बड़े बड़े योगियों को आश्चर्य में डाल दिया।
नाम जप करते हुए जो उनका सेवा कार्य था। वो उन्होंने किया.
तो क्या आप ऐसा नहीं कर सकते, आप भी कर सकते है, जो सेवा कार्य है।
आप उस सेवा कार्य को भगवान का समझकर नाम जप करो, तो जहाँ हो वही से भगवत प्राप्ति हो जाएगी.
अगर ये जान जाएं यह रहस्य। तो कहीं भागने की जरुरत नहीं।
पक्की बात आपसे कह रहे. ये खूब शास्त्र सम्मत और अनुभव की बात कह रहे है.
भागने की जरुरत नही। अभी ये जो आपके अन्दर भगवान के प्रति भक्ति शृद्धा आई है, वो भगवान से ही आई है. वही तो कर रहे है ना.
वो ही भगवत प्राप्ति करा देगी।
सोचो, जो स्थिति आपको भक्ति की इस विषय में रहते हुए हो रही है.
अभी तो आपने उस कोटि की साधना भी नहीं की और उसने आपको ऐसी स्थिति दे दी कि आपको कुछ अच्छा नहीं लगता, तो क्या आपको वो भगवत प्राप्ति नहीं करा देगी? मतलब सही मार्ग में हो.
चुपचाप चलते रहो छोड़ने की जरुरत नहीं।
आधी छोड़ पूरी को धावे,पूरी मिले न आधी पावे। फिर बात गड़बड़ हो जाएगी। सिद्धांत से चलो वस्तु की प्राप्ति हो जाएगी। समझ रहे है ना.
Maharajji this Video https://youtu.be/EtwTYFPeZLU?si=z-6lSpVRoylCbq2u
Maharaj ji, Radhe, Radhe, Maharaj ji. I work in the police. I hardly get time for my family. There is complete faith in the Supreme Father, God from the beginning. I do not want to hurt or harm the honor of any Guru. But I could not believe much in what any Gurutold me. Believed that God was attained directly with work, job and householder. But for the first time in my life, as soon as I heard and saw a divine soul like you, all my doubts and thoughts came to a halt. Just felt that this is my destination. Means it's you It seems that I should leave everything and come to you.
Maharasji's answer
Just yesterday also we had the same discussion. If you understand our point then there is no question of leaving the duty.
And it is a matter of doing duty. When we do something for ourselves, we need a feeling of renunciation and when we do it for Thakur ji, look, we have so many saints and everyone accepted our surrender only for Vrindavan vas.
Shri ji's work. So if they have to go to Delhi then they did not refuse a bit. Goes enthusiastically.
Have to go Agra, never question.
What makes them happy now? I am going to Agra to serve Shri Ji. I am going to serve Bhagwan. I am going with the permission of Maharaj ji.
Just work as per orders.
Till now you used to work in the department. Now from today I am working for the Lord.
you should take pledge.
Will not take the wealth of unrighteousness, I will do according to principle of law. In the path of Justice, even if i die. I will behave properly. Then you will be Mahatma, you will also a saint even in police uniform.
Because you are a part of God and walk with devotion, you will get the same results as you get from rosary. Understand our point. No need to run away.
You don't like it, but you make the child healthy, give him education with Bhagwat Bhaav. Put him on the path of progress.
Even if you do not like the family at home at all, but go in front of the wife as the husband goes. The farce must be convincing. There should not be any disturbance in the farce. If you made a mistake in the farce, you are not the right player now.
Understand the matter for sure.
There is no need to tell Dilbar (God), it knows.
Heart to Heart. Hidden deep inside the heart.
No one from outside could know what your condition is.
Will come out of Maya.
If someone knows that he is a thief and a big thug, then he will start looting.
Do exactly as you say.
No need to run anywhere. No need to leave anything anywhere.
Whatever you were doing with ego, now you started serving God wholeheartedly.
Everything will happen.
Big great men who were engaged in meditation.
Like Shri Raidas ji, Ravidas ji.
Big yogi people used to think that from where he is such a proven great man.
The service work of these great men was
He was never afraid of that service work. He considered his service work as worship of God and used to chant his name.
There was a lot of pure water in his pot.
Took the big yogis by surprise.
While chanting the name, which was his service work. He did that.
So can't you do that, you can also do it, which is service work.
Do you consider that service work to be God's and chant his name? So God will be attained from wherever you are.
If they know this secret. So there is no need to run anywhere.
I am telling you for sure. i am speaking based on a lot of scriptures and experience.
No need to run away. Now this devotion towards God that has come in you, has come from God only. You are doing the same, aren't you?
Only that will make one attain God.
Think about the situation you are facing while living this subject of devotion.
Right now you haven't even done that level of Sadhana and it has given you such a situation that you don't like anything, so won't it help you attain God? Meaning you are on the right path.
Keep walking quietly, there is no need to leave.
Leave half the whole and get the whole, neither get the half. Then things will get messy. Follow the principle and the thing will be achieved. Are you understanding?