गृहस्थ में कैसे रहे ? How to live in Grahastha (familyman)
यह किताब आपकी सभी पर्सनल प्रोब्लम सुलझा देगी
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यह किताब आपकी सभी पर्सनल प्रोब्लम सुलझा देगी
गृहस्थ कैसे रहे ?
जैसे श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, श्री वृंदावन धाम लोगों के सवालों का बहुत अच्छा जवाब देते हैं, वैसे ही यह पुस्तक भी लोगों के सामने आने वाली पर्सनल प्रॉब्लम्स को सुलझाने में बहुत अच्छा मार्गदर्शन करती है।
गीता प्रेस गोरखपुर की ओर से छापी गई पुस्तक "गृहस्थ में कैसे रहे ?" हम लोगों के सामने आने वाली रोज की निजी समस्याओं को दूर कर सकती है और हमें एक अच्छा जीवन भगवान के प्रति समर्पित होकर जीने की प्रेरणा दे सकती है।
पुस्तक में कहा गया है
"वर्तमान समय में हिंदू संस्कृति की आश्रम व्यवस्था छिन्न भिन्न हो रही है। चारों आश्रमों का मूल जो गृहस्थ आश्रम है, उसकी स्थिति बड़ी शोचनीय हो चुकी है। गृहस्थ को विभिन्न समस्याओं ने जकड़ रखा है और वह निराशा, अशांति एवं तनाव युक्त जीवन जी रहा है।
परमश्रद्धेय श्री स्वामी रामसुखदास जी महाराज जी के पास भी ऐसे अनेक गृहस्थ स्त्री पुरुष आते हैं और अपने व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं उनके सामने रखकर उनका समुचित समाधान पाते हैं।
अतः एक ऐसी पुस्तक की आवश्यकता समझी गई जिसमें गृहस्थ संबंधी आवश्यक बातों की जानकारी के साथ-साथ गृहस्थ को अपनी विभिन्न समस्याओं का समुचित समाधान भी मिल सके। प्रस्तुत पुस्तक इस आवश्यकता की पूर्ति करती है।
पाठकों से निवेदन है कि वह इस पुस्तक को स्वयं भी मननपूर्वक पड़े और दूसरों को भी पढ़ने की प्रेरणा करें. यह पुस्तक प्रत्येक घर में रहनी चाहिए विवाह आदि के अवसर पर इस पुस्तक का वितरण करना चाहिए।"
यह पुस्तक गीता प्रेस गोरखपुर के देश भर में खुले काउंटर से मंगवाई जा सकती है। यह काउंटर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन समेत कई रेलवे स्टेशनों पर खुले हैं।
गीता प्रेस गोरखपुर की देशभर में खुली दुकान और शाखाएं के पते और टेलीफोन नंबर नीचे दिए गए है।
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गीता प्रेस गोरखपुर - 273005
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