गृहस्थ में काम-धंधा करते हुए जो हिंसा होती है, उससे छुटकारा कैसे हो?
(१) जहाँ रसोई बनती है, वहाँ आगमें चींटी आदि छोटे-छोटे जीव मरते हैं, लकड़ियोंमें रहनेवाले जीव मरते हैं, आदि। (२) जहाँ जल रखते हैं, वहाँ घड़ा इधर-उधर करने आदिसे भी जीव मरते हैं।
SPRITUALITY
प्रश्न- गृहस्थ में काम-धंधा करते हुए जो हिंसा होती है, उससे छुटकारा कैसे हो?
उत्तर-गृहस्थमें रोज ये पाँच हिंसाएँ होती हैं- (१) जहाँ रसोई बनती है, वहाँ आग में चींटी आदि छोटे-छोटे जीव मरते हैं, लकड़ियों में रहनेवाले जीव मरते हैं, आदि। (२) जहाँ जल रखते हैं, वहाँ घड़ा इधर-उधर करने आदिसे भी जीव मरते हैं। (३) झाड़ू लगाते समय बहुत-से जीव मरते हैं। (४) चक्की में अनाज पीसते समय भी बहुत-से जीव पीसे जाते हैं। (५) ऊखल में चावल आदि कूटते समय भी जीव मरते हैं। इन हिंसाओंसे छूटनेके लिये गृहस्थ को प्रतिदिन बलिवैश्वदेव, पंचमहायज्ञ करना चाहिये। जो सर्वथा भगवान के ही शरण हो जाता है, उसको यह हिंसा नहीं लगती। वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है.
प्रश्न- हम चक्की नहीं चलाते, धान नहीं कूटते तो हमें हिंसा नहीं लगेगी ?
उत्तर-आप पीसा हुआ आटा, कूटा हुआ धान अपने काममें लेते हैं तो उस आटेको पीसने में, धान को कूटनेमें जो हिंसा हुई है, वह आपको लगेगी ही।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.