बहनोई और साले का आपस में कैसा व्यवहार होना चाहिये ?
How should brother-in-law and brother-in-law behave with each other?
प्रश्न- बहनोई और साले का आपस में कैसा व्यवहार होना चाहिये ?
उत्तर- बहनोईका यह भाव होना चाहिये कि जैसे मेरेको मेरी स्त्री प्यारी लगती है, ऐसे ही मेरी स्त्रीका प्यारा भाई होनेसे साला प्यारका पात्र है। इनके घरसे समय-समयपर कुछ-न-कुछ मिलता ही रहता है; अतः लौकिक दृष्टिसे देखा जाय तो भी फायदा-ही- फायदा है। पारमार्थिक भावमें तो त्यागकी मुख्यता है ही।
सालेका यह भाव होना चाहिये कि ये मेरी बहनके ही आदरणीय अंग हैं; अतः ये मेरे भी आदरके पात्र हैं। जैसे बहन और बेटीको देनेका माहात्म्य है, ऐसे ही बहनका अंग होनेसे बहनोईको भी देनेका माहात्म्य है। ये प्यारके, दानके पात्र हैं; अतः हृदयसे आदर करते हुए इनको देते रहना चाहिये।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.