जब जीवन में बहुत दुखी हों, परेशान हों, विपत्ति मे हों, हार गये हों तो ये सुनो !!

When you are sad, troubled or defeated, then listen to this.

SPRITUALITY

Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham

12/13/20241 min read

जब जीवन में बहुत दुखी हों, परेशान हों, विपत्ति मे हों, हार गये हों तो ये सुनो !!

देखो सबसे पहली बात की हमारी कमजोरी क्या है. हम परेशान हो जाते हैं. परेशानी हमारा स्वभाव बन गया है, धैर्यवान बनो, गंभीर बनो.

भारी से भारी विपत्ति में परेशानी स्वीकार करने से ही कोई हल निकल जाता है.

ठीक है विपत्ति आ जाती है, समस्या आ जाती है, इसका समाधान होगा. ऐसा थोड़ी कि विपत्ति हमें नष्ट कर देगी. अगर हमारी कोई बड़ी हानि हो जाती है, कल हम इससे बड़ा लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

फिर इससे ज्यादा सयंम में रहूंगा

हमको एकदम बिल्कुल गंभीर रहना है, इतने कमजोर नहीं बनना. अब वह वस्तु गई तो क्या फर्क पड़ गया प्रयास किया था नहीं मिली. यह पद नहीं मिला, इससे बड़ा पद प्राप्त करूंगा मैं इससे बड़ा महान बनूँगा. ठीक है एक बार गिर गया गलती हो गई दंड भोंगूंगा. फिर इससे ज्यादा सयंम में रहूंगा.

बिल्कुल एकदम फ्रेश दिमाग रखना चाहिए और अपने लोग क्या है, जरा सी बात में एकदम पचड़ा कर देते हैं, एकदम कमजोर हो जाते हैं, यह बिल्कुल ठीक नहीं है.

सुनो महाराज जी की मुश्किल जिंदगी

हम अपने जीवन भर की यात्रा की बात कर रहे हैं. भारी से भारी विपत्ति में मुस्कुराना तो हमें बल मिला है. भगवान की कृपा का दर्शन हुआ है. हमें भगवान का दुलार दिखाई दिया. है अगर ऐसे भाग जाते फिर परमार्थ में थोड़ी चलना होता. आज जो आप सुनकर के लाभ लेने की चेष्टा कर रहे हैं, यह केवल प्रवचन नहीं है यह जीवन है यह मेरा जीवन है अगर ऐसा जीवन न जिए होते तो इसका प्रभाव नहीं पड़ता फिर वाणी का प्रभाव नहीं पड़ता.

हम इसलिए कहते हैं, जैसे आप लोग एकदम परेशान हो जाते हैं, क्या हमसे ज्यादा परेशानी होगी, दो किडनी खराब दवाई लाने के भी पैसे नहीं, पानी रखा है, हम उठकर पी नहीं सकते. भीषण शरीर में दर्द, भीषण बुखार क्योंकि किडनी फेल है शरीर में बुखार. खाने को रोटी मांग कर लाओ. लाल मिर्च ऐसी पड़कर सब्जी मिलती थी कि खा नहीं सकते थे.

आप सोचो पानी लाना है तो मुझे लाना है पीना है तो मुझे पीना है अगर मैं हारता तो कहां पहुंच जाता. क्या स्थिति होती मेरी. नहीं मरना है पर कदम पीछे नहीं हटूंगा कोई दिन ऐसा नहीं जिस दिन गुरु जी की सेवा में ना गए हो. गुरु जी की सेवा में जाना है. पहले अपने आप को स्वस्थ साबित करना है, क्योंकि अगर उनको पता लगेगा कि बीमार हैं तो वह सेवा ही नहीं लेंगे. उनकी (गुरु जी ) दृष्टि पड़ी, तो शांत. सेवा की और आकर लेट गए फिर हिम्मत की, अपनी श्रीजी की सेवा की, मधुकरी नहीं है तो तीन-तीन चार दिन तक भोजन नहीं. लेकिन सेवा नहीं छोड़ी अपनी दिनचर्या नहीं छोड़ी. उसका प्रधान कारण संयम, ब्रह्मचर्य, भागवत आश्रय और नाम जप

कभी हारने नहीं दिया, अभी भी थोड़ी देर में डायलिसिस शुरू होगा. हम हर घडी में जल रहे हैं, अभी भी शरीर में पीड़ा है ऐसा कोई कि हम स्वस्थ बैठे हैं, बार-बार प्यास लग रही है थोड़ा-थोड़ा पानी मिलता है लेकिन हर पल हम आनंदित हैं प्रसन्न है हम लड़ाई में हारेनहीं है न हारेंगे. हम जीत चुके हैं. हम अपने मालिक के भरोसे में है. हम अपनी बड़ाई नहीं बता रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं समस्या को कैसे सुलझाया जाता है.

सोचो तुम्हारे पास तो माँ है भाई है बहन है परिवार है कोई ऐसा है तो है, मेरा तो किसी ने भी ध्यान भी नहीं दिया क्योंकि बचपन से बाबा बन गए, किसी से प्यार नहीं किसी से संबंध नहीं जानकर नहीं हम कहां है वह कहां है कोई मतलब नहीं अगर जवान साधु की कौन सेवा करें कभी गांव जाने की हिम्मत नहीं पड़ती थी की रोटी मांगने पता ही नहीं लोग क्या सोचेंगे क्या भावना कर लेंगे हम दरवाजे पर खड़े हैं क्या कैसी भाव जो हमारे सामने आकाश वृति से आया वास्तव में वही हमने पाया.

विवेक के द्वारा सावधान

जब हम हर समय अपने को विवेक के द्वारा सावधान रखें तो कभी निराश नहीं होंगे कभी उदास नहीं होंगे कभी ऐसा नहीं लगा कि उसे की यार हम दुखी हैं कभी नहीं लगा इसका फल है कि उसे सुख का संकेत मिल गया जहां दुख की निशानी भी नहीं है हम उसी के बच्चे हैं हम इस धातु से बने हैं हम इतना क्यों परेशान हो जाते हैं देखते हैं अपने लोग थोड़ी बात बिगड़ गई कि परेशान हो जाते हैं नई बिगड़ी तो उसकी संभावना से परेशान है आज सुख है लेकिन कल सुख छिन जाएगा तो हम आज के सुख में सुखी ना होकर कल के दुखी आने की संभावना में मैं भी अपना परेशान हो जाते हैं ,लेकिन आज हमको इतना बलवान बनना है कि सुख और दुख की दोनों को हमको बड़ी से बड़ीजो की व्यवस्था तो अहंकार नहीं हर्षित होकर किसी का अपमान ना करें कि यह हम इतने धनिया हम इतने पदाधिकारी हैं बारिश से भरी दुख आया तो मैं किसी के से की जरूरत नहीं हम फिर अपने कदम बढ़ाएंगे हम फिर जुड़ी हुई अपनी भावनाओं को सजाएंगे मस्त जीवन एकदम तुम अविनाशी के बच्चे हो. शेर का बच्चा भेड़ोके बीच में फंसकर मियो बोल रहा है बस अगर दहाड़ना सीख जाए तो कोई भी उसे परास्त नहीं कर सकता ऐसे रंग तो परपंच में फंसकर अपने को इतना दीन क्यों देख रहा है तू ऐसा है कि भगवान के दिव्य शास्त्र में भी ताकत नहीं तू अविनाशी का बच्चा है अविनाशी लोगों को अविनाशी शरीर को अपना मानकर इतना भयभीत इतना परेशान हो रहा है, आप समझो।